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mahak
मेरे श्याम... दुनिया की ठोकरों ने, जिसे गिरा दिया सड़क पे। तेरी मेहरबानियों ने उसे, बैठा दिया फलक पे ।। 🙏🏻जय श्री श्याम जी 🙏🏻
मेरे श्याम... दुनिया की ठोकरों ने, जिसे गिरा दिया सड़क पे। तेरी मेहरबानियों ने उसे, बैठा दिया फलक पे ।। 🙏🏻जय श्री श्याम जी 🙏🏻 #Music #nojotophoto
read moreनागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)
लिखने बैठा जब मैं खुद पे, कुछ भी न मैं लिख पाया। बरसात हुई ऐसी आंखो से, मुझे न कुछ भी दिख पाया। जीने को तो सब जीते हैं, जीना भी मजबूरी है। दर्द छिपाए सीने में, हंसना भी बहुत जरूरी है। दुनियां में रहते हुए भी मैं, दुनियां जैसा बन पाया। लिखने बैठा जब मैं...। अरमान अधूरे सिसक रहे,दिल भी मायूस हुआ मुझसे। जो भी चाहा वो मिला नहीं,तन्हाई आन मिली मुझसे। जीवन बीत गया ऐसे ही, सूनापन ना भर पाया। लिखने बैठा जब मैं...। ©नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।) # लिखने जब खुद पे बैठा।
# लिखने जब खुद पे बैठा। #शायरी
read moreDiwan G
रास्ते यहाँ लोग फलक तक, साथ चलने की बात करते हैं। चार कदम साथ चलके, वो रास्ते ही बदल लेते हैं।। Diwan G फलक तक। #फलक #रास्ते
Rahul Tripathi
सुनो! तुम्हे तो याद होगा वो चाय की झोपड़ी से शुरू हुआ प्रेम इश्क़ के रास्ते अंधेरो में खो गया था। ©Rahul Tripathi फलक से फलक तक....... #InternationalTeaDay
फलक से फलक तक....... #InternationalTeaDay
read morekapil rawat
दिन में काम का रात में तन्हाइयों का कब्जा है.. मिलोगे तो अब फलक पर मिलना इस जमीं में मिलना मुश्किल है.. #फलक
हरीश कंडवाल
"फलक" (पति पत्नी से ) चलो कुछ पल साथ बिता लेते हैं आज फिर चोरी से मुस्करा लेते हैं जिंदगी सिर्फ जिम्मेदारीयो के लिए नहीं चलो कुछ देर के लिए पहले जैसे हो लेते हैं। (पत्नी पति से) कुछ पल के लिए क्यो हमेशा साथ रहते हैं चोरी से क्यो खुलकर मुस्करा लेते हैं हम तो जिम्मेदारी के साथ मोहब्बत कर लेते है फिर से हमेशा के लिये पहले जैसे हो लेते हैं। (पति पत्नी से) कह तो सही रहे हो तुम फिर वही दोस्त बन लेते हैं जो भी गिला शिकवा है खत में लिख लेते हैं छोड़ दो कुछ पल के लिये यह फोन साथ मे बैठकर अंताक्षरी खेल लेते हैं। (पत्नी पति से) आज चलो खुलकर हँस लेते हैं कुछ नहीं तो पुरानी यादें ताजा कर लेते हैं फलक तक साथ चलने का वादा किया है चलो मिलकर वादे को फिर से फलक पर लिख लेते हैं। "फलक" (पति पत्नी से ) चलो कुछ पल साथ बिता लेते हैं आज फिर चोरी से मुस्करा लेते हैं जिंदगी सिर्फ जिम्मेदारीयो के लिए नहीं चलो कुछ देर के लिए पहले जैसे हो लेते हैं। (पत्नी पति से) कुछ पल के लिए क्यो हमेशा साथ रहते हैं चोरी से क्यो खुलकर मुस्करा लेते हैं हम तो जिम्मेदारी के साथ मोहब्बत कर लेते है फिर से हमेशा के लिये पहले जैसे हो लेते हैं। (पति पत्नी से) कह तो सही रहे हो तुम फिर वही दोस्त बन लेते हैं जो भी गिला शिकवा है खत में लिख लेते हैं छोड़ दो कुछ पल के लिये यह फोन साथ मे बैठकर अंताक्षरी खेल लेते हैं। (पत्नी पति से) आज चलो खुलकर हँस लेते हैं कुछ नहीं तो पुरानी यादें ताजा कर लेते हैं फलक तक साथ चलने का वादा किया है चलो मिलकर वादे को फिर से फलक पर लिख लेते हैं। (पति पत्नी दोनों एक साथ) जीवन में प्यार का गीत है गुनगुनायेंगे लाख तूफान है, उम्मीद का दिया जलायेंगे हाथ में हाथ पकड़कर जीवन का जश्न मनाएंगे चलो फलक तक नहीं ताउम्र साथ निभायेंगे। ©®@ हरीश कंडवाल "मनखी" की कलम से। ✒📝📝✒। 14/12/2019 (पति पत्नी दोनों एक साथ) जीवन में प्यार का गीत है गुनगुनायेंगे लाख तूफान है, उम्मीद का दिया जलायेंगे हाथ में हाथ पकड़कर जीवन का जश्न मनाएंगे चलो फलक तक नहीं ताउम्र साथ निभायेंगे। ©®@ हरीश कंडवाल "मनखी" की कलम से। ✒📝📝✒। 14/12/2019 फलक
फलक #कविता
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