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Satish Deshmukh
White वाटले होते मला की वाटिका आहे जिंदगी सारी इथे शोकांतिका आहे शेतमालाची फुकट बोली तुम्ही लावा कास्तकाराला कुठे उपजीविका आहे वाटते वाचून घ्यावे मी तुला आता केवढी सुंदर तुझी अनुक्रमणिका आहे भिमरायाचा उजळ माथा बघितल्यावर वाटतो हा सूर्यही आता फिका आहे बारशाचे एवढे कौतुक नको ना रे जन्म माझा तेरवीची पत्रिका आहे ©Satish Deshmukh गजल
गजल #मराठीकविता
read moreਸੀਰਿਯਸ jatt
आज कल की दिल्ली की लड़कियो को Toxic guy ज्यादा पसंद आते हैं! इसलिए मैं धीरे धीरे लड़कियों को impress कर रहा हूं! #Videos
read moreHimanshu Prajapati
White कुछ लोग बातों में आते हैं कुछ लोग औकात में, बस ऐसे ही धीरे-धीरे बरबाद हो जाते हैं..! ©Himanshu Prajapati #sad_quotes कुछ लोग बातों में आते हैं कुछ लोग औकात में, बस ऐसे ही धीरे-धीरे बरबाद हो जाते हैं..! #hpstrange #36gyan
#sad_quotes कुछ लोग बातों में आते हैं कुछ लोग औकात में, बस ऐसे ही धीरे-धीरे बरबाद हो जाते हैं..! #hpstrange #36gyan #विचार
read moreShiv Narayan Saxena
White निकला रोज़ जैसा ही सूरज धीरे - धीरे ढल गया सदा एक-सा रहे समय न बतलाता ये चला गया छोड़ेंगे ऐसे ही तुझको धनबल जगबल नाते सारे हरि सुमरा न सोचे क्या तू जीवन सारा ढल गया ©Shiv Narayan Saxena #good_night धीरे-धीरे ढल गया.....
#good_night धीरे-धीरे ढल गया.....
read moreMadhusudan Shrivastava
White राहों में जो मिलें उन्हें अपना बना के चल दुश्मन भी हों तो उनको गले से लगा के चल कुर्सी पे आज वो हैं तो उनको सलाम है अपना भी दिन आएगा ये उनको बता के चल सांसें उखड़ रहीं हैं औ बैरी हुआ जहां दुश्मन हुई है आज ये आब ओ हवा के चल पत्ते दरख़्त से गिरे तो आएंगे नए लौटेगा दिन सभी का रख ये हौसला के चल सुनने सुनाने की है ये महफ़िल अता करो गीत ओ ग़ज़ल या नज़्म रूबाई सुना के चल जो दोस्त थे वो दुश्मनी की राह चल पड़े दौर ए जहां यहां का है दुश्मन हुआ के चल रस्ते सभी खुलेंगे जो तुम मुस्कुराओगो दुश्मन भी साथ देंगे तेरा मुस्कुरा के चल ©Madhusudan Shrivastava #गजल मुस्कुरा के रूप
Vic@tory
किसी ने पूछा सिगरेट क्यों पीते हो, क्या ये प्यास बुझाती है? मैंने कहा, नहीं दिल में एक बेवफा की तस्वीर बसी है, ये धीरे-धीरे उसे जलाती है। ©Vic@tory #ये धीरे-धीरे उसे जलाती है।
#ये धीरे-धीरे उसे जलाती है।
read moreNilam Agarwalla
White आँखों में ख़्वाहिशों के सितारे लिए! क्या-क्या सोचा था मैंने हमारे लिए! ए सितमगर! नहीं छोड़ी तुमने कसर, रो रही हूँ क्यों फ़िर भी तुम्हारे लिए? तुमको सारे ज़माने ने जो ग़म दिए, उनके बदले मुझ ही से क्यों सारे लिए? न ही कन्धे, न मय, न धुआँ, न दवा, सह गई सब, बिना कुछ सहारे लिए! तुमने तोड़ा भरोसे को क्यों इस कदर? फैसले दिल ने कुछ, डर के मारे लिए! "भावना" की तो पहचान आसान है, हँस रही आँखों में अश्क़ खारे लिए! ~ भावना आरोही - #kavyitri #kavita ✍️ #word ©Nilam Agarwalla #गजल
Laxmi singh
White सुरज की रौशनी की तरह उनका प्यार है जो हर रोज पुरब से निकलकर पश्चिम में डूब जाता है ©Laxmi singh # सूरज की रौशनी
# सूरज की रौशनी #शायरी
read moreNirankar Trivedi
सांझ के आंचल में, जब सूरज ढलता है, धरती पर सोने की चादर सा फैलता है। आसमान के रंगों में, सुनहरी लहरें खिलती हैं, प्रकृति की गोद में, मानो स्वर्णधारा बहती है। ©Nirankar Trivedi सांझ के आंचल में, जब सूरज ढलता है, धरती पर सोने की चादर सा फैलता है। आसमान के रंगों में, सुनहरी लहरें खिलती हैं, प्रकृति की गोद में, मानो स्
सांझ के आंचल में, जब सूरज ढलता है, धरती पर सोने की चादर सा फैलता है। आसमान के रंगों में, सुनहरी लहरें खिलती हैं, प्रकृति की गोद में, मानो स् #Poetry #GoldenHour
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