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Ashwika Jaswal
अंग्रेजी से डरो मत इसे सीखो❣ #LearnIndia #myvoice #English #nojotonews #nojotohindi #Be #vocal #INDIA❣ENGLISH
read moreNitesh Pichhode Mangal
अंग्रेजी से ज्यादा हिन्दी पसन्द है मुझे हाँ सलवार सूट पर छोटी सी बिंदी पसन्द है मुझे..😘 ❤️💙💜 ©Nitesh Pichhode Mangal अंग्रेजी से ज्यादा हिन्दी पसन्द है मुझे हाँ सलवार सूट पर छोटी सी बिंदी पसन्द है मुझे..😘 ❤️💙💜 #Thoughts
अंग्रेजी से ज्यादा हिन्दी पसन्द है मुझे हाँ सलवार सूट पर छोटी सी बिंदी पसन्द है मुझे..😘 ❤️💙💜 Thoughts #Life
read moreMysterious Girl
कुर्ती-प्लाजो हाथों में कड़ा और माथे पर बिंदी पसंद है.... सबको अंग्रेजी पसंद है पर, मुझे अंग्रेजी से ज्यादे हिन्दी पसन्द है!! ©Mysterious Girl कुर्ती प्लाजो हाथों में कड़ा और माथे पर बिंदी पसंद है.... सबको अंग्रेजी पसंद है पर मुझे अंग्रेजी से ज्यादे हिन्दी पसन्द है!! * * * आप सभी को
कुर्ती प्लाजो हाथों में कड़ा और माथे पर बिंदी पसंद है.... सबको अंग्रेजी पसंद है पर मुझे अंग्रेजी से ज्यादे हिन्दी पसन्द है!! * * * आप सभी को #Quotes #Hindi #hindi_shayari #Hindidiwas #Phalsafa_e_zindagi
read moreएक इबादत
एक सूत्र में समूचे भारत को पिरो एक अनोखा माला बनाती है लोगों को एक पहचान देती जिससे लोगो का बिभेद मिटाती है, सभ्यता का भण्डार इसमें,संस्कारों की खदान है यह जननी बनकर पालती है हमें आंचल में रख देती है बराबर छाव हमें, उत्तर से दक्षिण तक ,पूरब से लेकर पश्चिम तक चहु ओर है विस्तार इसका जन-जन की भाषा है यह हर मन की अभिलाषा है यह देवनागरी के कुल में जन्मी सबसे बडी़ भाषा है यह, मर्यादा,निहित है इस भाषा में आदर ,सम्मान को भी है उच्च स्थान मिला, भारतेन्दु प्राचीन से,भारतेन्दु नवजागरण तक भारतेन्दु नवजागरण से द्विवेदी युग तक द्विवेदी से शुक्ल युग ,शुक्त से शुक्लोत्तर तक शुक्लोत्तर से आज तक यह निरन्तर गतिशील है, रूप बदले इसने अनेक ,पहचान ना अपनी बदलने दी मात्राओं से श्रृंगारित है,व्याकरण है मुख्यतः आधार इसकी.... हिंदी भाषा नही...माता कहलाती है हमकों इसने पाला है इसलिए हमें इसके सिवा पहचान में कुछ और नही आती है...!! #मातृभाषा,राजभाषा ,हमारी अमर पहचान हिंदी दिवस की बधाई एवं शुभकामनाऐं... # एक अभियान- " हिंदी बचाओ,राष्ट्र की मर्याद
#मातृभाषा,राजभाषा ,हमारी अमर पहचान हिंदी दिवस की बधाई एवं शुभकामनाऐं... # एक अभियान- " हिंदी बचाओ,राष्ट्र की मर्याद
read moreJALAJ KUMAR RATHOUR
पता नहीं जीवन के किस मोड़ पर हम फिर मिलेंगे। शायद स्कूल के उस नीम के पेड़ के नीचे या उस चौराहे पर जहां तुम्हारा इंतजार करता सोलह साल का मैं, बैठा रहता था।मेरी हर उदासी को हंसी में बदलने वाली तुम आज कल मेरी आंखों में नमी का कारण बनती हो।जैसे इंद्रधनुष आसमान को खूबसूरत बनाता है वैसे ही मुझे तुम्हारा साथ खूबसूरत नजर आता था।अब जब भी घर आता हूं तो तुमसे मुलाकात की ऐसी तड़प होती है जैसी तड़प छुट्टियों में नानी के घर से आने के बाद ,स्कूल में जाने के लिए किसी बच्चे को होती है।मुझे आज भी तुम्हारी जरूरत है जैसे आसमानी झूले पर बैठे किसी शक्श को होती है किसी का हाथ थामने की। मैं बचपन में जब भी अंग्रेजी स्कूल के बच्चों को देखता था तो उनकी अंग्रेजी से बहुत प्रभावित होता था और मन में एक प्रकार की घृणा भी होती थी।क्युकी उनकी अंग्रेजी की दो लाइन हमारी हिंदी के याद किए कई श्लोकों से ज्यादा तारीफें बटोर लेती थीं।पर जब तुम्हे पहली बार देखा था तो अंग्रेजी से मुझे पहली बार प्रेम हुआ था और शायद तुमसे भी।फ्यूचर टेंस के सहारे तुम्हारे संग मैं अपना भविष्य देखने लगा था।इन डायरेक्ट स्पीच के सहारे मैने कई बार बताना चाहा था कि तुम मेरी पोएम रूपी जीवन का सेंट्रल आइडिया थीं।जैसे हर लेखक और कवि का उसके द्वारा कही गई पंक्तियों से एक आशय होता है वैसे मेरी भी हर बात का एक आशय होता था। जिसमें तुम्हारे संग जीवन बिताने का मेरा एक निश्चय रूपी मतलब छिपा था। ...#जलज कुमार ©JALAJ KUMAR RATHOUR पता नहीं जीवन के किस मोड़ पर हम फिर मिलेंगे। शायद स्कूल के उस नीम के पेड़ के नीचे या उस चौराहे पर जहां तुम्हारा इंतजार करता सोलह साल का मैं,
पता नहीं जीवन के किस मोड़ पर हम फिर मिलेंगे। शायद स्कूल के उस नीम के पेड़ के नीचे या उस चौराहे पर जहां तुम्हारा इंतजार करता सोलह साल का मैं, #जलज
read moreJALAJ KUMAR RATHOUR
उलझन इस बात की है कि पता नहीं जीवन के किस मोड़ पर हम फिर मिलेंगे। शायद स्कूल के उस नीम के पेड़ के नीचे या उस चौराहे पर जहां तुम्हारा इंतजार करता सोलह साल का मैं, बैठा रहता था।मेरी हर उदासी को हंसी में बदलने वाली तुम आज कल मेरी आंखों में नमी का कारण बनती हो।जैसे इंद्रधनुष आसमान को खूबसूरत बनाता है वैसे ही मुझे तुम्हारा साथ खूबसूरत नजर आता था।अब जब भी घर आता हूं तो तुमसे मुलाकात की ऐसी तड़प होती है जैसी तड़प छुट्टियों में नानी के घर से आने के बाद ,स्कूल में जाने के लिए किसी बच्चे को होती है।मुझे आज भी तुम्हारी जरूरत है जैसे आसमानी झूले पर बैठे किसी शक्श को होती है किसी का हाथ थामने की। मैं बचपन में जब भी अंग्रेजी स्कूल के बच्चों को देखता था तो उनकी अंग्रेजी से बहुत प्रभावित होता था और मन में एक प्रकार की घृणा भी होती थी।क्युकी उनकी अंग्रेजी की दो लाइन हमारी हिंदी के याद किए कई श्लोकों से ज्यादा तारीफें बटोर लेती थीं।पर जब तुम्हे पहली बार देखा था तो अंग्रेजी से मुझे पहली बार प्रेम हुआ था और शायद तुमसे भी।फ्यूचर टेंस के सहारे तुम्हारे संग मैं अपना भविष्य देखने लगा था।इन डायरेक्ट स्पीच के सहारे मैने कई बार बताना चाहा था कि तुम मेरी पोएम रूपी जीवन का सेंट्रल आइडिया थीं।जैसे हर लेखक और कवि का उसके द्वारा कही गई पंक्तियों से एक आशय होता है वैसे मेरी भी हर बात का एक आशय होता था। जिसमें तुम्हारे संग जीवन बिताने का मेरा एक निश्चय रूपी मतलब छिपा था। ...#जलज कुमार ©JALAJ KUMAR RATHOUR पता नहीं जीवन के किस मोड़ पर हम फिर मिलेंगे। शायद स्कूल के उस नीम के पेड़ के नीचे या उस चौराहे पर जहां तुम्हारा इंतजार करता सोलह साल का मैं,
पता नहीं जीवन के किस मोड़ पर हम फिर मिलेंगे। शायद स्कूल के उस नीम के पेड़ के नीचे या उस चौराहे पर जहां तुम्हारा इंतजार करता सोलह साल का मैं, #जलज #AdhureVakya
read moreDivyanshu Pathak
आप सभी लोगों ने जो मोहब्बत मुझे दी है मैं सदैव उसका आभारी रहूंगा ऐसे ही अपने प्रेम को बनाए रखिए मैं नई ऊर्जा के साथ सामाजिक संस्कारों से जुड़े स्तंभ आपको पढ़ाता रहूंगा ! 😝😐🍹#पंछी🍭🍨#पाठक😀👍🍵☕🌳#शिक्षा🍀#संस्कार🍁🍂🌴🌲#हिंदी 😐😝🌳🍀🍁🍁☕ :😀😝🌳🍀🍁🍁☕🍵🍂🌲😐 सरकार यदि मन से हिन्दी के पक्ष में है, तो उसे घोषणा के साथ संकल्प करना च
😝😐🍹पंछी🍭🍨पाठक😀👍🍵☕🌳शिक्षा🍀संस्कार🍁🍂🌴🌲हिंदी 😐😝🌳🍀🍁🍁☕ :😀😝🌳🍀🍁🍁☕🍵🍂🌲😐 सरकार यदि मन से हिन्दी के पक्ष में है, तो उसे घोषणा के साथ संकल्प करना च
read moreDivyanshu Pathak
हिंदी सिर्फ़ एक भाषा ही नही भावों की अभिव्यक्ति है सभी भाषाओं को स्वयं में सहेजने की हिंदी में अद्भुद शक्ति है ! प्रिय लेखकों को विश्व हिंदी दिवस की हार्दिक बधाई। #विश्वहिंदीदिवस #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi.....जी : पिछल
प्रिय लेखकों को विश्व हिंदी दिवस की हार्दिक बधाई। #विश्वहिंदीदिवस #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi.....जी : पिछल #पंछी #पाठक #हरे
read moreSecret Writer
Hindi hmari jan... Anushirshak me padhe.... आज सुबह आंख खुली-- व्हाट्सप्प देखा तो उसका मैसेज था.. हिंदी दिवस की हार्दिक सुभकामनाएँ-- तुम्हे भी. मैंने भी लिख दिया-- फिर मैंने पूछा तुम्ह
आज सुबह आंख खुली-- व्हाट्सप्प देखा तो उसका मैसेज था.. हिंदी दिवस की हार्दिक सुभकामनाएँ-- तुम्हे भी. मैंने भी लिख दिया-- फिर मैंने पूछा तुम्ह #Hindidiwas
read morekumaarkikalamse
अस्तित्व - कहानी हिन्दी और अंग्रेजी की पुस्तक से वार्तालाप की सांयकाल का समय, आते - जाते लोगों की धक्का मुक्की। दृश्य था एक पुस्तक प्रदर्शनी मेले का और मुझे सौभाग्य मिला दो पुस्तकों से बातचीत कर