Find the Latest Status about मन समर्पित तन समर्पित कविता का अर्थ from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, मन समर्पित तन समर्पित कविता का अर्थ.
Parasram Arora
White रात भर वो नींद से आँख मिचोनी का खेल खेलता रहा लगता है कहीं उसने वही उबाउ ख्वाब फिर से न देख लिया हो जिंदगी को जीनेके लिए वो नए बहाने ढूंढ रहा है हो सकता है मन के सैयाद ने जिंदगी के सामने फिर नए दाने न फेंक दिए हो ©Parasram Arora मन का सैयाद
मन का सैयाद
read moreरघुराम
White मेरे मन का लाल गुलाब गगन जा खिला। प्यार का गंध भी उस पुष्प जा मिला नयन वावरा बहका बहका उसके नैनो से जा मिला।।। ©रघुराम #Sad_Status मन का गुलाब
#Sad_Status मन का गुलाब
read moreनवनीत ठाकुर
जमीन पर आधिपत्य इंसान का, पशुओं को आसपास से दूर भगाए। हर जीव पर उसने डाला है बंधन, ये कैसी है जिद्द, ये किसका अधिकार है।। जहां पेड़ों की छांव थी कभी, अब ऊँची इमारतें वहाँ बसी। मिट्टी की जड़ों में जीवन दबा दिया, ये कैसी रचना का निर्माण है।। नदियों की धाराएं मोड़ दीं उसने, पर्वतों को काटा, जला कर जंगलों को कर दिया साफ है। प्रकृति रह गई अब दोहन की वस्तु मात्र, बस खुद की चाहत का संसार है। क्या सच में यही मानव का आविष्कार है? फैक्ट्रियों से उठता धुएं का गुबार है, सांसें घुटती दूसरे की, इसकी अब किसे परवाह है। बस खुद की उन्नति में सब कुर्बान है, उर्वरक और कीटनाशक से किया धरती पर कैसा अत्याचार है। हरियाली से दूर अब सबका घर-आँगन परिवार है, किसी से नहीं अब रह गया कोई सरोकार है, इंसान के मन पर छाया ये कैसा अंधकार है।। हरियाली छूटी, जीवन रूठा, सुख की खोज में सब कुछ छूटा। जो संतुलन से भरी थी कभी, बेजान सी प्रकृति पर किया कैसा पलटवार है।। बारूद के ढेर पर खड़ी है दुनिया, विकसित हथियारों का लगा बहुत बड़ा अंबार है। हो रहा ताकत का विस्तार है,खरीदने में लगी है होड़ यहां, ये कैसा सपना, कैसा ये कारोबार है? ये किसका विचार है, ये कैसा विचार है? क्या यही मानवता का सच्चा आकार है? ©नवनीत ठाकुर #प्रकृति का विलाप कविता
#प्रकृति का विलाप कविता
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी जुनून में है जिंदगी आपाधापी मची हुयी है दौड़ बराबरी की तय करने के लिये मन की मस्ती खोयी हुयी है तन हो गया बीमारियों का घर धन उसमे जा रहा है प्रतिष्ठित होने के लिये आज पैदा होते ही कोमल किशोरों को धन की जंग लड़ने के लिये उतारा जा रहा है हावी होता भोगवाद मकड़ी की तरह मानव उसमे फँसता जा रहा है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #love_shayari तन हो गया बीमारियों का घर #nojotohindipoetry
#love_shayari तन हो गया बीमारियों का घर #nojotohindipoetry
read moreAnita Agarwal
heart कितना अनोखा है ना ये मन का आँगन! पल मे खिल जाता तो पल मे मुरझाता है। खुशी और गम का झोंका हर क्षण आता जाता है।। कभी फूलोँ सा संवर उठता है बादलों की गड़गड़ाहट से भी। कभी कुम्हला जाता है किंचित धूप की आहट से भी ।। कोई बरसों से संजोया ख्वाब सच होकर बरस जाता है और कभी हकीकत की जमीन पर अनायास डर जाता है।। इस आँगन को चाहिए विश्वास और दृढ़ता की खाद। हर बाधा को पार कर तब, रहेगा सालों साल आबाद ©Anita Agarwal मन का आँगन
मन का आँगन
read moreKamlesh Kandpal
ये सोचता हूँ मै अक्सर जो आता है मुझे नजर ये धरती, या ये आकाश सूर्य का अदभुत प्रकाश चंदा गोल,टीमटिमाते तारे बनाये ये सब,किसने सारे ठंडी, गर्मी औऱ ये बरसात लू के दिन,अमावस की रात पाने की खुशी, खोने का डर ये सोचता हूँ मै अक्सर जो आता है मुझे नजर ©Kamlesh Kandpal #प्रकृति का सौंदर्य हिंदी कविता
#प्रकृति का सौंदर्य हिंदी कविता
read more