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Ubaida khatoon Siddiqui
White कभी- कभी सोचते हैं जिन्दगी में जो होगा देखा जायेगा पर फिर meme याद आता हैं कि जिन्दगी में जो होता हैं, देखा जायेगा करते करते, जो होता हैं देखा नहीं जाता फिर 😁🤣, खैर allah पर, अपनी दुआओं पर यकीन हैं वो जो करेगा बेहतरीन ही होगा, और दूसरी बात क्या ही साथ ले कर जायेंगे अपने मरने के बाद, क्या? कुछ भी तो नहीं फिर काहे कि प्यार -मोहब्बत, काहे कि नफरत, काहे की जलन (हसद), काहे के गम (दुःख), काहे कि इस दुनिया की चाहतें, काहे कि किसी का इंतेज़ार, काहे कि किसी को पाने की तड़प, काहे को ये सब? The end 31/8/24 ⏰5:11 p. m. (Ubaida Khatoon S S) ✍️ ©Ubaida khatoon Siddiqui "काहे को"? #Ubaidakhatoon #ubaidawrites #Thoughts
"काहे को"? #Ubaidakhatoon #ubaidawrites Thoughts #विचार
read moreHimanshu Prajapati
हल्का भोजन हल्का मन, पेट खाली दिमाग भ्रम, फ्री का पाकर खाने में काहे का लागे शर्म..! ©Himanshu Prajapati #Funny हल्का भोजन हल्का मन, पेट खाली दिमाग भ्रम, फ्री का पाकर खाने में काहे का लागे शर्म..! #hpstrange #36gyan
#Funny हल्का भोजन हल्का मन, पेट खाली दिमाग भ्रम, फ्री का पाकर खाने में काहे का लागे शर्म..! #hpstrange #36gyan #विचार
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
White ग़ज़ल :- इस ज़िन्दगी का बाकी भी अरमान नहीं है जो भी दिया है दुनिया ने सम्मान नहीं है करना था इसे काम तरक्की हो वतन की फ़िर्को में बटा लड़ता क्या नादान नहीं है किससे करूँ मैं जाके शिकायत भी अदू की पहचान मगर इनकी भी आसान नहीं है इतना न करो जुल्म़ भी सरकार सभी पर इंसान की औलाद है शैतान नहीं है हर जुल्म़ लिखा होगा हिसाबों में तुम्हारा बन्दे खुदा के घर के बेईमान नहीं है दौलत के पुजारी हैं न होंगे ये किसी के जो मजहबों में बाटता इंसान नहीं है कुछ लोग हैं दे देते हैं जो जान वतन पर इस मुल्क़ की ऐसे तो बढ़ी शान नहीं है अब और न तारीफें करें आप यहाँ पर अब इतने भी अच्छे यहां परिधान नहीं है आया खुदा के घर से तो इंसान प्रखर था पर आज उसी की कोई पहचान नहीं है महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- इस ज़िन्दगी का बाकी भी अरमान नहीं है जो भी दिया है दुनिया ने सम्मान नहीं है
ग़ज़ल :- इस ज़िन्दगी का बाकी भी अरमान नहीं है जो भी दिया है दुनिया ने सम्मान नहीं है #शायरी
read moreसंस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु
शीर्षक तरु का आशियाना विधा दोहानुमा भाषा शैली हिन्दी भाव वास्तविक मिले विचार रहिये न मिले विचार दूर रहिये काहे सम्मान गिराये अपना दूर
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