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Dr. Devbrat Pundhir
राह पे चलते जा रहे हैं मंजिल का कोई पता नहीं, हम आज वहां हैं, जहां कोई खड़ा नहीं, भीड़ में तो हर कोई चलता है, हम अकेले ही काफी हैं, इसलिए हम किसी के मोहताज नहीं।। #मंजिल #अकेले #मोहताज #खड़े
Shashi Bhushan Mishra
फक़त चाँद-तारों के पीछे पड़े हैं, हमीं सबसे उम्दा हमीं तो बड़े हैं, ज़रूरत जुटाने में मशग़ूल इतने, जहाँ से चले थे वहीं पर खड़े हैं, नहीं कोई हमसे बड़ा इस जहाँ में, "मेरी बात मानो" इसी पर अड़े हैं, मेरा इष्ट तेरी रज़ा से है बेहतर, जहालत में कितनी दफ़ा लड़ मरे हैं, ज़रा मुड़ के देखो ज़हन से विचारो, तेरे दिल में हरिहर सदा ही हरे हैं, सुख-शांति जिनको मिला है हृदय में, वही जीते जी भव से सचमुच तरे हैं, रहे भाव निर्मल तो 'गुंजन' स्वयं में, परम शांति सुख के ख़ज़ाने भरे हैं, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #वहीं पर खड़े हैं#
राज घोष
लड़के ! हमेशा खड़े रहे. खड़े रहना उनकी मजबूरी नहीं रही बस ! उन्हें कहा गया हर बार, चलो तुम तो लड़के हो खड़े हो जाओ. छोटी-छोटी बातों पर वे खड़े रहे ,कक्षा के बाहर.. स्कूल विदाई पर जब ली गई ग्रुप फोटो,लड़कियाँ हमेशा आगे बैठीं, और लड़के बगल में हाथ दिए पीछे खड़े रहे. वे तस्वीरों में आज तक खड़े हैं... कॉलेज के बाहर खड़े होकर, करते रहे किसी लड़की का इंतज़ार, या किसी घर के बाहर घंटों खड़े रहे, एक झलक,एक हाँ के लिए. अपने आपको आधा छोड़ वे आज भी वहीं रह गए हैं... बहन-बेटी की शादी में खड़े रहे, मंडप के बाहर बारात का स्वागत करने के लिए. खड़े रहे वे रात भर... हलवाई के पास,कभी भाजी में कोई कमी ना रहे.खड़े रहे खाने की स्टाल के साथ, कोई स्वाद कहीं खत्म न हो जाए. वे खड़े रहे विदाई तक... दरवाजे के सहारे और टैंट के अंतिम पाईप के उखड़ जाने तक. बेटियाँ-बहनें जब तक वापिस लौटेंगी वे खड़े ही मिलेंगे... वे खड़े रहे पत्नी को सीट पर बैठाकर,बस या ट्रेन की खिड़की थाम कर वे खड़े रहे बहन के साथ घर के काम में, कोई भारी सामान थामकर. वे खड़े रहे... माँ के ऑपरेशन के समय ओ. टी.के बाहर घंटों वे खड़े रहे पिता की मौत पर अंतिम लकड़ी के जल जाने तक वे खड़े रहे , अस्थियाँ बहाते हुए गंगा के बर्फ से पानी में वे खड़े रहे... लड़कों ! रीढ़ तो तुम्हारी पीठ में भी है, क्या यह अकड़ती नहीं ? ©राज घोष लड़के ! हमेशा खड़े रहे
लड़के ! हमेशा खड़े रहे #कविता
read moreBhumi Dev Verma
💔💔💔कोई उस पेड़ से सीखे मुसीबत में खड़े रहना बाढ़ के पानी में भी सीखा अड़े रहना मैं कई बड़े लोगों के छोटे पन से वाकिफ हूं बड़ा मुश्किल है दुनिया में बड़े बनकर बड़ा रहना💔💔💔 मुसीबत में खड़े रहना
मुसीबत में खड़े रहना
read moreNamrata Srivastava Srivastava
वादों के मुताबिक सफर के लिए। हम अब भी खड़े हमसफर के लिए। (1) हाथ मे हाथ लेकर चले थे कभी, दे गया ग़म मुझे उम्रभर के लिए।। (2) आरजू थी हमे फिर से दीदार हों, पर तरसते रहे इक नजर के लिए।। (3) "अनुपम" प्यार की प्यारी नदियाँ थमी, अब भी बहता है सागर लहर के लिए।। दीपान्शु श्री"अनुपम " कैसरगंज बहराइच ©Namrata Srivastava Srivastava हम अब भी खड़े #droplets