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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
White गीत :- मातु-पिता के रूप में , मिले मुझे भगवान । करता जिनकी चाकरी , बनकर मैं संतान ।। जीवन मेरा धन्य है , स्वप्न सभी साकार । जीने का मुझको मिला , एक नया आधार ।। अब तो आठों याम मैं, करता हूँ गुणगान । करता जिनकी चाकरी , बनकर मैं संतान ।। मन मेरा गद-गद रहे , पाकर ऐसा धाम । जहाँ राम मेरे पिता , मातु जानकी नाम ।। ऐसे चरणों ने मुझे , बना दिया इंसान । करता जिनकी चाकरी, बनकर मैं संतान ।। अब तो जीवन का यही , मेरे है संकल्प । जितनी भी सेवा करूँ , लगे मुझे अब अल्प ।। क्या माँगूं मैं आपसे , क्या दो अब वरदान । करता जिनकी चाकरी , बनकर मैं संतान ।। मातु-पिता के रूप में , मिले मुझे भगवान । करता जिनकी चाकरी , बनकर मैं संतान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- मातु-पिता के रूप में , मिले मुझे भगवान । करता जिनकी चाकरी , बनकर मैं संतान ।। जीवन मेरा धन्य है , स्वप्न सभी साकार । जीने का मुझको म
गीत :- मातु-पिता के रूप में , मिले मुझे भगवान । करता जिनकी चाकरी , बनकर मैं संतान ।। जीवन मेरा धन्य है , स्वप्न सभी साकार । जीने का मुझको म #कविता
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दोहा :- करे सनातन धर्म यह , हर युग का आभार । हर युग की ही भाँति हो , कलयुग की जयकार ।। कलयुग में भी हो रहे , दैवीय चमत्कार । कहीं पान दातून अब , दिखे भक्त उपहार ।। कलयुग में होंगे वही , सुन लो भव से पार । जो कर्मो के संग में , करते प्रभु जयकार ।। कर्मो का पालन करो , मिल जायेंगे राम । तेरे अंदर भी वही , बना रखे हैं धाम ।। रिश्ते हैं अनमोल ये , करो नही तुम मोल । रिश्ते मीठे बन पड़े , अगर मधुर तू बोल ।। आटो बाइक में नही, करें यहाँ जो फर्क । मिलें उन्हें यमराज जी , ले जाने को नर्क ।। जीवन से मत हार कर , बैठो आज निराश । कर्मो से ही सुन यहाँ , होता सदा प्रकाश ।। जो भी सुत सुनती नहीं , मातु-पिता की बात । वे ही पाते हैं सदा, सुनो जगत में घात ।। मातु-पिता की बात जो , सुने अगर औलाद । तो पछतावा क्यों रहे , फिर गलती के बाद ।। मातु-पिता हर से कहे, प्रखर जोड़ कर हाथ । अपनी खातिर भी जिओ , रह के दोनों साथ ।। मातु-पिता गुरुदेव का , करता नित सम्मान । जिनकी इच्छा से बना , मैं अच्छा इंसान ।। तीनों दिखते हरि सदृश , मातु-पिता गुरुदेव । वह ही जीवन के सुनो , मेरे बने त्रिदेव ।। मातु-पिता के बाद ही , मानूँ मैं संसार । पहले उनका ही करूँ , व्यक्त सदा आभार ।। मातु-पिता क्यों सामने, क्यों खोजूँ भगवान । उनकी मैं सेवा करूँ , स्वतः बढ़े अभिमान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- करे सनातन धर्म यह , हर युग का आभार । हर युग की ही भाँति हो , कलयुग की जयकार ।। कलयुग में भी हो रहे , दैवीय चमत्कार । कहीं पान दातून
दोहा :- करे सनातन धर्म यह , हर युग का आभार । हर युग की ही भाँति हो , कलयुग की जयकार ।। कलयुग में भी हो रहे , दैवीय चमत्कार । कहीं पान दातून #कविता
read moreKavi Avinash Chavan(युवा कवी)
कशास भिती त्या जखमांची, माझे प्रेम वेदनेवर आहे. नका सजावू चिता ही माझी, मी आधीच जळलो आहे.. #युवाकवी #मराठीकविता
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White गीत :- बेटी तुमको करना होगा , जीवन में संघर्ष । तब ही जीवन में आयेगा , सुनो तुम्हारे हर्ष ।। बेटी तुमको करना होगा... घात लगाये बैठे हैं सब , रहते अपने पास । चलो सँभलकर नित इनसे , करना मत विश्वास ।। इनसे सूझ-बूझ का अपनी , करना नही विमर्श । बेटी तुमको करना होगा ... ले आयेगा हाथी घोड़ा , तुम्हें दिखाने आज । छल बल से फिर कृत्य ही करता , ऐसा आज समाज ।। नहीं दिखायेगा ये तुमको , मार्ग यहाँ उत्कर्ष । बेटी तुमको करना होगा..... हर जीवन में मातु-पिता ही , होते सच्चे मीत । तू न कर शंका प्रीति इन्हीं की , दिलवाती है जीत ।। शेष जगत में स्वार्थ भरा है ,नहीं मिलेगा हर्ष । बेटी तुमको करना होगा ...... बेटी तुमको करना होगा, जीवन में संघर्ष । तब ही जीवन में आयेगा , सुनो तुम्हारे हर्ष ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- बेटी तुमको करना होगा , जीवन में संघर्ष । तब ही जीवन में आयेगा , सुनो तुम्हारे हर्ष ।। बेटी तुमको करना होगा... घात लगाये बैठे हैं सब
गीत :- बेटी तुमको करना होगा , जीवन में संघर्ष । तब ही जीवन में आयेगा , सुनो तुम्हारे हर्ष ।। बेटी तुमको करना होगा... घात लगाये बैठे हैं सब #कविता
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White गीत :- बेटी तुमको करना होगा , जीवन में संघर्ष । तब ही जीवन में आयेगा , सुनो तुम्हारे हर्ष ।। बेटी तुमको करना होगा... घात लगाये बैठे हैं सब , रहते अपने पास । चलो सँभलकर नित इनसे , करना मत विश्वास ।। इनसे सूझ-बूझ का अपनी , करना नही विमर्श । बेटी तुमको करना होगा ... ले आयेंगा हाथी घोड़ा , तुम्हें दिखाने आज । छल बल से फिर कृत्य करेंगा , ऐसा आज समाज ।। नहीं दिखायेगा ये तुमको , मार्ग यहाँ उत्कर्ष । बेटी तुमको करना होगा..... हर जीवन में मातु-पिता ही , होते सच्चे मीत । तू कर न शंका प्रीति इन्हीं की , दिलवाती है जीत ।। शेष जगत में स्वार्थ भरा है ,नहीं मिलेगा हर्ष । बेटी तुमको करना होगा ...... बेटी तुमको करना होगा, जीवन में संघर्ष । तब ही जीवन में आयेगा , सुनो तुम्हारे हर्ष ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- बेटी तुमको करना होगा , जीवन में संघर्ष । तब ही जीवन में आयेगा , सुनो तुम्हारे हर्ष ।। बेटी तुमको करना होगा... घात लगाये बैठे हैं सब
गीत :- बेटी तुमको करना होगा , जीवन में संघर्ष । तब ही जीवन में आयेगा , सुनो तुम्हारे हर्ष ।। बेटी तुमको करना होगा... घात लगाये बैठे हैं सब #कविता
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गीत :- जन्मदिवस की आप , बधाई मेरी ले लो । रोग न आये द्वार , दवाई मेरी ले लो ।। जन्मदिवस की आप बधाई... किया दुआ हर बार , शरण प्रभु की मैं जाकर । गया खुशी से फूल , आज उपहार वह पाकर ।। लाया हूँ सौगात , वहीं मैं तुमको देने । जीवन हो खुशहाल , कमाई मेरी ले लो । जन्मदिवस की आप, बधाई .... तुमको करूँ प्रसन्न , गीत वह लिखकर लाया । पास न मेरे और , कहीं कोई धन माया ।। देना था उपहार , जन्मदिन तेरा आया । रूठो मत अब आप , मिठाई मेरी ले लो ।। जन्मदिवस की आप , बधाई..... जीवन है संग्राम , नही डर कर तुम भागो । छोड़ो विस्तर आज , नींद से अब तो जागो ।। रहें कलम में धार , मातु से यह वर माँगूं सुन लो मेरी बात , खुदाई मेरी ले लो । जन्मदिवस की आप , बधाई ... लड्डू मोती चूर , मिठाई सारे लाये । तेरे लिए बहार , गुलाबी हम ले आये ।। मैं तो रहा अनाथ , धरा के देखे मेले । भू पे आयी नींद , चटाई मेरी ले लो .... जन्मदिवस की आप , बधाई...... राधे-रानी मातु , वचन देकर यह बोली । जा खुशियों में झूम , भरी मैं तेरी झोली ।। हो जीवन आनंद , तुम्हारा वर मैं पाया । झूठ न बोलूँ आज , गवाही मेरी ले लो ।। जन्मदिवस की आप, बधाई..... जन्मदिवस की आप , बधाई मेरी ले लो । रोग न आये द्वार , दवाई मेरी ले लो ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- जन्मदिवस की आप , बधाई मेरी ले लो । रोग न आये द्वार , दवाई मेरी ले लो ।। जन्मदिवस की आप बधाई... किया दुआ हर बार , शरण प्रभु की मैं जा
गीत :- जन्मदिवस की आप , बधाई मेरी ले लो । रोग न आये द्वार , दवाई मेरी ले लो ।। जन्मदिवस की आप बधाई... किया दुआ हर बार , शरण प्रभु की मैं जा #कविता
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*विधा सरसी छन्द आधारित गीत* आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव । वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।। आओ लौट चलें अब साथी .... पूर्ण हुई वह खुशियाँ सारी , जो थी मन में चाह । खूब कमाकर पैसा सोचा , करूँ सुता का ब्याह ।। आज उन्हीं बच्चों ने बोला , क्यों करते हो काँव । जिनकी खातिर ठुकरा आया, मातु-पिता की ठाँव । आओ लौट चलें अब साथी ..... स्वार्थ रहित जीवन जीने से , मरना उच्च उपाय । सुख की चाह लिए भागा मैं, और बढ़ाऊँ आय ।। यह जीवन मिथ्या कर डाला , पाया संग तनाव । देख मनुज से पशु बन बैठा , डालो गले गराँव ।। आओ लौट चलें अब साथी.... भूल गया मिट्टी के घर को , किया नहीं परवाह । मिला प्रेम था मातु-पिता से , लगा न पाया थाह ।। अच्छा रहना अच्छा खाना , मन में था ठहराव । सारा जीवन लगा दिया मैं , इन बच्चों पर दाँव ।। आओ लौट चलें अब साथी ..... झुकी कमर कहती है हमसे , मिटी हाथ की रेख । गर्दन भी ये अब न न करती ,लोग रहे सब देख ।। वो सब हँसते हम पछताते, इतने हैं बदलाव । मूर्ख बना हूँ छोड़ गाँव को , बदली जीवन नाँव ।। आओ लौट चलें साथी अब ... कभी लोभ में पड़कर भैय्या , छोड़ न जाना गाँव । एक प्रकृति ही देती हमको , शीतल-शीतल छाँव ।। और न कोई सगा धरा पर , झूठा सभी लगाव । अब यह जीवन है सुन दरिया , जाऊँ जिधर बहाव ।। आओ लौट चलें अब साथी.... आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव । वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR *विधा सरसी छन्द आधारित गीत* आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव । वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।। आओ लौट चलें अब साथी ...
*विधा सरसी छन्द आधारित गीत* आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव । वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।। आओ लौट चलें अब साथी ... #कविता
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दोहा :- मिलकर करना वंदना , कहते पुराण वेद । कट जायेंगे कष्ट सब , करो न कोई भेद ।। हृदय रखो विश्वास तो , चले राम जी साथ । बस कर लो अनुभूति यह , वे ही थामें हाथ ।। कैसे मानूँ मैं यहाँ ,हूँ मैं एक अनाथ । चलते भोलेनाथ जी , थामें मेरा हाथ ।। सोम-सोम उपवास कर , भर मन में विश्वास । हरे व्याधि शिवनाथ जी , रखना इतनी आस ।। रिश्तों में विश्वास ही , हुए मनुज के प्राण । अगर नहीं विश्वास तो , मधुर वचन भी बाण ।। मातु-पिता भगवान हैं , कर भी लो विश्वास । उनसे ही तो पूर्ण है, जीवन की हर आस ।। गुरुवर होते देव हैं , देते समुचित ज्ञान । जिसको पाकर शिष्य सब , बन जाते इंसान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- मिलकर करना वंदना , कहते पुराण वेद । कट जायेंगे कष्ट सब , करो न कोई भेद ।। हृदय रखो विश्वास तो , चले राम जी साथ । बस कर लो अनुभूति य
दोहा :- मिलकर करना वंदना , कहते पुराण वेद । कट जायेंगे कष्ट सब , करो न कोई भेद ।। हृदय रखो विश्वास तो , चले राम जी साथ । बस कर लो अनुभूति य #कविता
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White राधिका छन्द :- सुनकर विनती मातु अब , कृपा कर देना । रोग दोष सारे अभी , सुनों हर लेना ।। मैं बालक नादान हूँ , भूल हो जाती । करो क्षमा अपराध सब , आप हो दाती ।। प्रेम ज्योति सब में जले , यही वर माँगा । दे दो भोलेनाथ जी , प्रेम का धागा ।। देख पराई पीर को , लगे सब रोने । यही भाव उत्पन्न हो, हृदय के कोने ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR राधिका छन्द :- सुनकर विनती मातु अब , कृपा कर देना । रोग दोष सारे अभी , सुनों हर लेना ।। मैं बालक नादान हूँ , भूल हो जाती ।
राधिका छन्द :- सुनकर विनती मातु अब , कृपा कर देना । रोग दोष सारे अभी , सुनों हर लेना ।। मैं बालक नादान हूँ , भूल हो जाती । #कविता
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दोहा :- भाई मेरा बन भरत , रहता हरपल साथ । देख चरण वह पादुका , लिए खड़ा है हाथ ।। नहीं लखन की बात को , पूछो हमसे आज । मेरी सेवा के सिवा , और न जाने काज ।। मुझको अतिशय प्रिय लगे , महावीर हनुमान । मैं उनके ही नाम का , करता नित गुणगान ।। घर-घर में रहते लखन , पहचानें अब आप । रहकर हरपल संग में , हर लेता संताप ।। प्राणों से प्यारी सखी , जनक दुलारी आज । मेरे सारे दुख हरें , करें हृदय पर राज ।। देखा परमेश्वर यहीं , मातु-पिता के रूप । नतमस्तक निशिदिन रहूँ , मान उन्हें अब भूप ।। बात मान गुरुदेव की , चलूँ सही मैं राह । पूर्ण तभी होंगी सभी , मन में उपजी चाह ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- भाई मेरा बन भरत , रहता हरपल साथ । देख चरण वह पादुका , लिए खड़ा है हाथ ।। नहीं लखन की बात को , पूछो हमसे आज । मेरी सेवा के सिवा , और
दोहा :- भाई मेरा बन भरत , रहता हरपल साथ । देख चरण वह पादुका , लिए खड़ा है हाथ ।। नहीं लखन की बात को , पूछो हमसे आज । मेरी सेवा के सिवा , और #कविता
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