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Farooq Farooqui
बे वजह घर से निकलने की जरूरत क्या है,मौत से आँखे मिलाने की जरूरत क्या है,सब को मालूम है बाहर कि हवा है कातिल,यू ही कातिल से उलझने की जरूरत क्या है,जिंदगी एक नेमत है इसे सम्भालकर रख्खो,कब्रगाहों को सजाने कि जरूरत क्या है,दिल बहलाने के लिये घर मे वजाह है काफी,यू ही गलियों में भटकने की जरूरत क्या है, लॉक डाउन
लॉक डाउन
read moreShiv Goriya Goriya
कभी कभी लोगो की सोच देख कर लगता है सब लॉक डाउंड मै लोग दिमागी रूप से विकलांग हो गए है लॉक डाउन
लॉक डाउन
read moreAnuj thakur "बेख़बर"
हालात ऐसे गूंगे भी बने सवाली बैठे हैं! दहशत इतनी कि सीधे भी बने बवाली बैठे हैं!! जो कहते थे मरने भर का समय नही है मेरे पास! वो मौत के डर से आज "खाली" बैठे हैं!! #लॉकडाउन अनुज *बेख़बर* लॉक डाउन
लॉक डाउन #लॉकडाउन
read moreAbhay Bhongle
लॉक डाउन अब तो बस दुवा है यही, मायुस ना हो जिंदगी मे कोई. क्या हुवा रुबरु मुलाकात नही हो रही बाते तो हो रही, ग्रुप पर ही सही. कलम भी उदास है, ना उंगलियों को लग रही है स्याही. क्या हुआ न मिला कागज तो, लिखने के लिए मोबाइल ही सही. बंद पड़े है मंदिर सारे, आज घर से बड़ा कोई मंदिर नही. ना मिल पा रहे भगवानसे तो क्या? घर मे बैठे माँ-बाप ही सही. डर रहा हु रास्तों पर चलने से, लग रहा घर का आंगन सही. कैद रहने से गर मिल रही जिंदगी, तो फिर ये कैद ही सही. लॉक डाउन-3
लॉक डाउन-3
read moreManish Gautam
लॉक डाउन फिलहाल तो दिन कुछ ऐसे चल रहे है, चौराहे सूने औऱ अस्पतालों में ईलाज चल रहे है । सुबह 7 से 11 में लॉक डाउन में छूट देते हैं, इसके बाद निकलो तो चौराहों पर लट्ठ पड़ते हैं । फिलहाल तो दिन............ सुबह-शाम 9 से 10 रामायण आती है, Tv देखने के बाद अम्मा खाना खाती है । अच्छे बच्चे अच्छा काम कर रहे, Pubg खेल कर घरों में आराम कर रहे । फिलहाल तो दिन..... बाबू सोना बस मैसेज तक सिमट के रह गये, मिलने के आंशू बस बातों तक दब कर रह गये । देश में इस समय ये विपदा बड़ी भारी है, घर में रहो बस यही जिम्मेदारी हमारी है । फिलहाल तो दिन.......... किसान अभी भी खेत में लगा हुआ है, गेंहू समय से निकल जाए, बस इसी सोच में डूबा हुआ है । नेता,मंत्री सब घर में बैठे है, पुलिस,डॉक्टर और सफाईकर्मी बस यही अपना काम करने बैठे है । - मनीष गौतम लॉक डाउन @india
लॉक डाउन @india #poem
read moreBhabesh Mahato
लॉक डाउन फासला मीटा नहीं सकते कोई घर राहत सदा के लिए नहीं होती समय थम सा गया है मेरे पैरों के नीचे दबे पैरों में, मैं चल रहा हूं... धरती को रोशनी देती है सूरज खुद जलते हुए मैं जल रहा हूं अपनों को जला कर। - भवेश #लॉक डाउन
madan sunder pradhan
सन्नाटा फैला सारे टॉउन में। काश तेरे घर मे फसे होते इस लॉक डाउन में। लॉक डाउन
लॉक डाउन
read moreFarooq Farooqui
अब परिदों का शोर सुनाई नही देता,वीरान पड़ी सड़को पर कोई दिखाई नही देता,ये कैसी आपदाओं से घिर गया है शहर,अब बन्द गलियों में भी कोई दिखाई नही देता, लॉक डाउन
लॉक डाउन
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