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RaUsHaN SoNa
दो ही किरदार थे कहानी में, एक तुम और एक मैं जांना.. देख लो छू के मर गए दोनों, जिस्म दोनों के सर्द हैं जांना !! कोई कितना भी प्यारा हो लेकिन, लाश घर में नहीं सजाते हैं.. आओ एक दूसरे को हम दोनों, कब्र तक जा के छोड़ आते हैं !! जो हुआ है नया नहीं है वो, वक्त को अपना काम करना था.. इश्क को हिचकियां तो आनी थी, प्यार को एक दिन तो मरना था !! खैर छोड़ो ये मरने की बातें, सोचो हम दोनों कितने साल जीए.. कितना रोए, हंसे, लड़े, झगड़े, जितने दिन भी जिए कमाल जीए !! एक कॉफी उठाई कैफे से, आधी-आधी वो बांट ली हमने.. वैसे दो भी खरीद सकते थे पर, खरीदी नहीं कभी हमने !! साथ रहते थे इतना हम दोनों, चीजें कोई अलग नहीं रखी.. बारिशें निकली एक छतरी में, सर्दियां एक सॉल में गुजरी !! तुम मेरे हाथ चूमती थी यूं, जैसे दुनिया से वास्ता ही नहीं.. दोनों आलम में जैसे मेरी तरह, दूसरा लड़का और कोई था ही नहीं !! और मैं भी तो यूं दीवाना था, हंस के हर इम्तहान दे देता.. सोना से यूं मोहब्बत की, मांगती वो तो जान दे देता !! पार कर ली हदें जमीनों की, आसमां तार तार हमने किया.. होश वालों की दुनिया में रह के, पागलों जैसा प्यार हमने किया !! खैर कितना भी प्यारा हो कोई, लाश घर में नहीं सजाते हैं.. आओ सोना एक दूसरे को हम दोनों, कब्र तक जा के छोड़ आते हैं !! ©RaUsHaN SoNa #Manoj Muntashir
joshi joshi diljala
एक सांप दूसरे सांप को समझा रहा। देखो भाई यह कैसा जमाना आ रहा। हम तुम तो यूं ही बदनाम है भाई। यहां तो आदमी ही आदमी को खा रहा। आजकल के आदमी का जहर किस कदर पड़ गया। कल सुबह अखबार में मिलेगा पढ़ने को मुंतज़िर। एक आदमी के काटने से सांप देखो मर गया। यह दिल जला लिखता रहा और कारवां गुजर गया। आदमी के काटने से सांप देखो मर गया। सांप देखो मर गया। ©joshi joshi diljala Manoj muntashir
Manoj muntashir #Shayari
read moreHarshita Joshi
सरहद पे गोली खाके जब टूट जाए मेरी सांस मुझे भेज देना यारों मेरी बूढ़ी मां के पास बड़ा शौक था उसे मैं घोड़ी चढूं धमाधम ढोल बजे तो ऐसा ही करना मुझे घोड़ी पे लेके जाना ढोलकें बजाना पूरे गांव में घुमाना और मां से कहना बेटा दूल्हा बनकर आया है बहू नहीं ला पाया तो क्या बारात तो लाया है मेरे बाबूजी, पुराने फ़ौजी, बड़े मनमौजी कहते थे- बच्चे, तिरंगा लहरा के आना या तिरंगे में लिपट के आना कह देना उनसे, उनकी बात रख ली दुश्मन को पीठ नहीं दिखाई आख़िरी गोली भी सीने पे खाई ©Harshita Joshi #Path manoj muntashir
Gaurav udvigna
तुमसे हो नहीं पाएगा , ये चार लफ्ज़ झुठलाते है उस कायनात को जो कभी आग का गोला थी , और आज जन्नत की तस्वीर , ... तुमसे हो नहीं पाएगा , अगर ये चार लफ्ज़ सच है तो क्या इंसान का चांद पे जाना और वहां से मिट्टी लाना झूठ है , क्या लंगोटी पहने फकीर का ब्रिटिश हुकूमत से टकराना और जीत के आना झूठ है, ... क्या 9 मजहबों और तीन हजार जातियों वाले इस देश का एक तिरंगे पे आके जन - गन - मन गाना झूठ है .... ज़रा कह दो उनसे जो हमे नामुमकिन का सबक सिखाते है की 70 साल पहले हम सिर्फ सुई , रूई बनाते थे , आज रॉकेट्स बनाते है , कभी सपरे कहलाते थे , आज एशिया की शान कहलाते है , जिसे Third word country , कहके हाशिए पे डाल दिया, आज उसके बेटे - बेटियां तुम्हारी दुनियां चलाते हैं ... चलो मान लिया आज सूरज धुंधला पड़ गया है , चांद फिका , मान लिया आज उतरीं हुई है ज़िन्दगी .. मान लिया कश्तियां डगमगा रही है , हिम्मते लड़खड़ा रही है , पर इसका मतलब ये तो नहीं हम संभलना भूल जाएंगे मौसम बदलना भूल जाएंगे , चिराग जलना भूल जाएंगे , अरे पैरो में कांटा चुभ गया तो हम चलना भूल जाएंगे ,.. मुश्किलों कब तक सर उठाओगी एक दिन हम तुम्हे झुकना सीखा देंगे , आज तुम्हारा दिन हैं हवा में उड़ लों , कल हमारा दिन होगा तुम्हे ठोकरों से उड़ा देंगे .... आज कैलेंडर की तारीखें ठहर गई तो क्या हुआ , वो दिन भी बीते थे , ये दिन भी बीतेंगे , हम पहले भी लड़ के जीते है , इस बार भी लड़ के जीतेंगे .... ये दिल का परिंदा है फिर से फड़फड़ाएगा पंख फैलाएगा और ऐसी उड़ान भरेगा की सितारे चूम के आएगा ..... हमसे दोबारा मत कहना तुमसे नहीं हो पाएगा !! Manoj muntashir sir ,🙏
Manoj muntashir sir ,🙏
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