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Shashi Goutam
White रोजी रोटी की तलाश में घरों से दूर हैं हम, मुश्किल वक्त में पता चलता है,कितने मजबूर हैं हम। Roji roti ki talaash me gharon se door hain hun, muskil waqt me pata chalta hai,kitne mazboor hain hum. ©Shashi Goutam #वक्त #रोटी #घर #मजबूर #अपने #दोस्ती #परिवार #जरूरत
Bharat Bhushan pathak
सब्ज़ियों को देख रोटी मुँह फुलाती इस तरह। जन्म-जन्मांतरों के सौत लड़ती जिस तरह।। डुब जाए रोटियाँ सब्ज़ियों की ख़्वाहिश है। उग जाने रोटियों में देखिये ज़ोर-आजमाईश है।। सब्ज़ियों का रोटियों से मुहब्बत मुमकिन नहीं। दूर रहती हैं ये जैसे साथ चीनी नमकीन नहीं।। ©Bharat Bhushan pathak सब्ज़ियों को देख रोटी मुँह फुलाती इस तरह। जन्म-जन्मांतरों के सौत लड़ती जिस तरह।। डुब जाए रोटियाँ सब्ज़ियों की ख़्वाहिश है। उग जाने रोटियों म
सब्ज़ियों को देख रोटी मुँह फुलाती इस तरह। जन्म-जन्मांतरों के सौत लड़ती जिस तरह।। डुब जाए रोटियाँ सब्ज़ियों की ख़्वाहिश है। उग जाने रोटियों म
read moreSarfaraj idrishi
प्रदेश में संविदा कर्मचारियों की रोजी-रोटी छीनी जा रही है सरकार द्वारा और मुख्यमंत्री जी कहते हैं कि धर्म पर बंटेंगे तो कटेंगे ! 🤪🤣🤣 ©Sarfaraj idrishi #Funny प्रदेश में संविदा कर्मचारियों की रोजी-रोटी छीनी जा रही है सरकार द्वारा और मुख्यमंत्री जी कहते हैं कि धर्म पर बंटेंगे तो कटेंगे ! Monu
#Funny प्रदेश में संविदा कर्मचारियों की रोजी-रोटी छीनी जा रही है सरकार द्वारा और मुख्यमंत्री जी कहते हैं कि धर्म पर बंटेंगे तो कटेंगे ! Monu
read moreParasram Arora
White कई दिनों से पाली हुई अपनी. भुख के लिए मैं रोटी की तलाश हर गली मे करता रहा लेकिन सब जगह से मुझे दुतकारा गया लेकिनअब मैं रोटी मांगूगा नहीं बल्कि पूरी ताकत लगा कर छिनूँगा ...उस घरसे जहाँ से मुझे रोटी की सुगंध महसूस होंगी ©Parasram Arora रोटी की सुगंध
रोटी की सुगंध
read moreshamawritesBebaak_शमीम अख्तर
White इक नजूमी ने देखकर मिरी पेशानी,मिरा जो हाल बता रखा है यानि मुझपे नागानी आफत आने का वबाल बता रखा है//१ न रही इखलासे उल्फत,न तुझमे कोई खुलुस ए इबादत, ये कहकर उसने मिरि मुख्लिस बंदगी को दलाल बता रखा है//२ खुदाया तिरी हिक्मत मे,वो खुदाई दावा कर रहा है,जिसने कई मुफलिस मजलूम को कर क़त्ल,मासूम बेगुनाहो को दज्जाल बता रखा है//३ इधर दो जून रोटी के जुगाड़ मे फना हो गई गरीबों की उम्र तमाम, उधर अमीरों ने दो नम्बरी आड़ को एक नम्बर हलाल बता रखा है//४ शमा" हर्गिज़ नहीं करती किसी नजूमी के दावे पे यक़ीन,के गैब की बात का इल्म तो रब ने खुद से ही हरहाल बता रखा है//५ #shamawritesbebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #sad_qoute इक नजूमी ने देखकर मिरी पेशानी,मिरा जो हाल बता रखा है,यानि मुझपे नागानी आफत आने का वबाल बता रखा है//१ न रही इखलासे उल्फत,न तुझमे
#sad_qoute इक नजूमी ने देखकर मिरी पेशानी,मिरा जो हाल बता रखा है,यानि मुझपे नागानी आफत आने का वबाल बता रखा है//१ न रही इखलासे उल्फत,न तुझमे
read moreParasram Arora
White एक अदद रोटी और दो गूँट प्यास के लिये मैं अपनी जिंदगी को धूप मे तपा कर पसीनो से लथ पथ करता रहा और पसीनो से जिंदगी को नहला. कर उसे ताज़गी से भरता रहा ©Parasram Arora एक अदद रोटी और दो गूट प्यास
एक अदद रोटी और दो गूट प्यास
read moreDevesh Dixit
मंत्री जी मंत्री जी ओ मंत्री जी मुंह उठा कर कहां चले धोती कुर्ता पहन के टोपी धूल उड़ा कर कहां चले अत्याचारों से लिपटी धरती सब तुम्हारी करनी है आतंकवाद की बढ़ती दरिंदगी सब तुम्हारी निशानी है पाप कर्म और मक्कारी का दिया जलाया तुमने है खून बहा के निर्दोषों का धन कमाया तुमने है मुद्दा बनाके जाति - पांति का आपस में लड़वाया तुमने है उसी से भड़कती है हिंसा उसी से रोटी सेंकी है और कौन से कुकर्म हैं बाकी जो तुमने आगे करने हैं धरती माता पर और लहू की बारिश करनी तुमने है मंत्री जी ओ मंत्री जी मुंह उठा कर कहां चले धोती कुर्ता पहन के टोपी धूल झोंक कर कहां चले ……………………………. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #मंत्री_जी #nojotohindi #nojotohindipoetry मंत्री जी मंत्री जी ओ मंत्री जी मुंह उठा कर कहां चले धोती कुर्ता पहन के टोपी धूल उड़ा कर कहां च
#मंत्री_जी #nojotohindi #nojotohindipoetry मंत्री जी मंत्री जी ओ मंत्री जी मुंह उठा कर कहां चले धोती कुर्ता पहन के टोपी धूल उड़ा कर कहां च
read moreRahul Anand
White राहुल आनंद ©Rahul Anand #शायरी #कविता #संगीत #कवि #दर्द #रोटी #ग़म #बेबसी shayari status shayari on life zindagi sad shayari shayari sad hindi shayari
Niaz (Harf)
गरीबी फटे हुए कपड़ों में लिपटी ज़िन्दगी की कहानी, हर सांस में बसी है दर्द की निशानी। पेट की आग बुझाने को दिन रात जूझते हैं, ख्वाब तो हैं मगर, टूटे आईनों में सूझते हैं। रोटी के टुकड़ों में बंटा है सारा वजूद, हर ख्वाहिश पर लगता है जैसे कोई सूद। आंखों में आंसू, दिल में हसरतें दबती हैं, हर सुबह उम्मीदें फिर से मरती हैं। नहीं हैं किताबें, ना खेलों की बात, बस मेहनत में बीतता है बचपन का हर रात। वो टूटी हुई झोपड़ी, वो सूना सा चूल्हा, दौलत के आगे सब कुछ यहाँ बेमानी सा लगता है। कभी उम्मीदें होती हैं, कभी दिल तंग होता है, गरीबी में हर इंसान का सपना अधूरा सा रहता है। इस अंधेरी रात में बस एक ख्वाब है रोशनी का, शायद कभी खत्म हो ये दर्द गरीबी का। ©Niaz (Harf) गरीबी फटे हुए कपड़ों में लिपटी ज़िन्दगी की कहानी, हर सांस में बसी है दर्द की निशानी। पेट की आग बुझाने को दिन रात जूझते हैं, ख्वाब तो हैं म
गरीबी फटे हुए कपड़ों में लिपटी ज़िन्दगी की कहानी, हर सांस में बसी है दर्द की निशानी। पेट की आग बुझाने को दिन रात जूझते हैं, ख्वाब तो हैं म
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