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Hrishabh Trivedi
जब किसी की देह के जलने के कारण, किसी दूसरे की देह को रूह सहित जला दिया जाए तो उसे ही कहते हैं "सती प्रथा" क्या इसे ही कहते हैं "सती प्रथा"? #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yourquote #yourquotebaba #women #yqhindi
क्या इसे ही कहते हैं "सती प्रथा"? #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yourquote #yourquotebaba #Women #yqhindi
read moreA.j9h(9h.a.n)
# ओशो रजनीश # सती प्रथा की रीतियां # कैसे जबरन ज़िंदा स्त्री को# आग में सती करवाते थे....!
read moreJai Bhim
आज पण सती प्रथा अशीच चालू राहिली असती जर डॉ. बाबासाहेब आंबेडकरांनी 26 नोव्हेंबर 1949 साली या भारत देशाला संविधान दिल नसतं तर....💙 🙇♂️ #समाज
read moreRahul.
सोशल वाणी ब्राह्मण हिंदुओं का मार्गदर्शक है । शिक्षक है । हिंदू उससे पूछकर शादी करता है । बच्चे का नाम रखता है । हिंदू समाज की हर बुटाई , जातिवाद , छुआ - छूत , आपसी टकराव , जलन , सती प्रथा , विधवा विवाह निषेध , अशिक्षा , युद्धों में हार , हिंसा , ग़रीबी आदि के लिए ब्राह्मण ही ज़िम्मेदार है ✌️ ©Kajal सोशल वाणी ब्राह्मण हिंदुओं का मार्गदर्शक है । शिक्षक है । हिंदू उससे पूछकर शादी करता है । बच्चे का नाम रखता है । हिंदू समाज की हर बुटाई , जा
सोशल वाणी ब्राह्मण हिंदुओं का मार्गदर्शक है । शिक्षक है । हिंदू उससे पूछकर शादी करता है । बच्चे का नाम रखता है । हिंदू समाज की हर बुटाई , जा
read moreShivangi
सौभाग्य क्या छीना मुझसे रंग छिन गया श्रृंगार छिन गया नाम छिन गया संसार छिन गया हो गई मैं अब अपशगुनी, नाम दे दिया विधवा दे दिया सफेद रंग जो अब ना रही मैं सधवा छीन गया हक मुझसे रंगों में रंग जाने का भर के मांग में सिंदूर सुहागन कहलाने का शुभ काम में जा नहीं सकती अच्छा खाना खा नहीं सकती पैर में रंग लगा नहीं सकती हाथ में मेहंदी रचा नहीं सकती शेष भाग अनुशीर्षक में 👇- #paidstory मांग में कुमकुम नहीं न बिंदी मैं लगाती हूं आंखों के काजल को अब आंसू से मिटाती हूं दुनिया के नजरों में अब बेचारी बन गई दया की पा
#paidstory मांग में कुमकुम नहीं न बिंदी मैं लगाती हूं आंखों के काजल को अब आंसू से मिटाती हूं दुनिया के नजरों में अब बेचारी बन गई दया की पा #yqbaba #yqdidi #yqhindi #yqquotes #विधवा #shivangiverma
read moreसाहस
दिव्कर्म संस्था """""""""""" भाव ताव बाद में कर लेते है,जो कर्मनिष्ठा को हास्य कहते हैं। कर्मशीलता को सर्वोपरि कह परंपराओं को व्यंग कहते है। वो सती प्रथा की नारी थी ।आज की नारी सबके जैसे आम है ।वो दोस्त है।वो बहन है।वो माँ है । वो जीवनसाथी है।उसकी पहचान पिता ,भाई, पति जैसे अपनी
वो सती प्रथा की नारी थी ।आज की नारी सबके जैसे आम है ।वो दोस्त है।वो बहन है।वो माँ है । वो जीवनसाथी है।उसकी पहचान पिता ,भाई, पति जैसे अपनी #YourQuoteAndMine
read moresapna prajapati❤
😥राह चलते तुम लोगों की..... एक औरत को ही... क्यों ऐसा❓ 😥राह चलते, तुम लोगों की अपने उस अछुमन हाथों से हम लोगों छूने की जो हिम्मत होती है...!😣 क्यों? क्यों तुम लोगों को हमारी भावनाओं की कदर नहीं
😥राह चलते, तुम लोगों की अपने उस अछुमन हाथों से हम लोगों छूने की जो हिम्मत होती है...!😣 क्यों? क्यों तुम लोगों को हमारी भावनाओं की कदर नहीं
read moreRohit Rathaur
तेरे घर में भूखा इंसान क्यों है, भगवान तू भगवान क्यों है। ... rohit yaadgar तेरे घर में भूखा इन्सान क्यों है। भगवान, तू भगवान क्यों है। मैने सुना है तू सर्वज्ञानी, सर्वव्यापी है। तो सब जान के अनजान क्यों है। तुम्
तेरे घर में भूखा इन्सान क्यों है। भगवान, तू भगवान क्यों है। मैने सुना है तू सर्वज्ञानी, सर्वव्यापी है। तो सब जान के अनजान क्यों है। तुम् #Ro_hit
read moreAnvi kaushik
भारत मे नारी शिक्षा की जनक, भारत की पहली शिक्षिका माता सावित्री बाई फुले जी की 191वीं जयंती 03 जनवरी को आप सभी को बधाई व शुभकामनाएं। 💐🙏 इन्ह #विचार
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