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Praveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी आदर्श व्यकित्व था श्री राम का कर्तव्य हमेशा निभाते थे नही चिंता की कभी अधिकारों की राजपाट तज,वन को जाते है देखी जग ने इनकी मर्यादा इसलिये हर युग मे राम ही युगपुरुष कहलाते है कल्पना राम राज्य की सब करते है उनके पदचिन्हों को आदर्श बनाना चाहते है राम राम का स्वर सबके मुख से उच्चरता ह्रदय ह्रदय में जाप चलता है जग की वैतरणी पार करने में आधार राम का ही लेना पड़ता है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Ram_Navmi देखी जग ने इनकी मर्यादा,इसलिये हर युग मे पूजे जाते है #nojotohhindi
#Ram_Navmi देखी जग ने इनकी मर्यादा,इसलिये हर युग मे पूजे जाते है #nojotohhindi
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी सब जीवों पर करुणा दया ही जीवन की सारभौमिक्ता है शाकाहार पनपे जग में निरीह और मूक प्राणी को मांसाहारीयो से बचाना है नामीबिया के सूखे का संकट घोषणा पशुओं के कत्ल की सरकारी है जैन समाज की पहल,मदद वहाँ पहुँचती है वहाँ की सरकार अपना आदेश वापस करती है उठ खड़े हो जाये सारे समाज और धर्म माँसाहार बंद कर,पशुओं पक्षियों के प्राणों की रक्षा हो सकती है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Sad_Status शाकाहार पनपे जग में, मूक प्राणी भी जीवित रह पाये #nojotohindi
#Sad_Status शाकाहार पनपे जग में, मूक प्राणी भी जीवित रह पाये #nojotohindi
read moreHeer
दोस्ती प्यार रिश्ते सब झूठे है इस जगत के, मतलब के सब साथी है। समय बतलाता है कौन अपना कौन पराया।। माया का सब खेला है भईया, केवल एक ईश है सच्चा। भरम में मत रहना ए बंदे, झूठा जग का झूठा मेला, झूठा सब जग का खेला। अंत समय कोई काम न आए, ना ही कोई साथ जाए। आत्मा को परमात्मा से जोड़े, खुद को करले ईश को प्यारा। ©Heer #sad_quotes #जीवन का कड़वा सत्य #स्वीकार कर ले ओ बंदे #नाहक ही क्यों फिरे जगत में #माया जाल है ये जग #ईश्वर को प्राप्त कर ले तू #खुद को कर उ
ब्रJESH Chanद्रा
दुनिया में अजनबी बनकर जिओ ऐसे भी अपना स्वार्थ के बिना कहां जीता ©ब्रJESH Chanद्रा स्वार्थ भरा यह जग सारा Anshu writer Mysterious Girl sing with gayatri ℘ґѦℊѦ†ї Internet Jockey
स्वार्थ भरा यह जग सारा Anshu writer Mysterious Girl sing with gayatri ℘ґѦℊѦ†ї Internet Jockey
read moredimple
मैं भी मिट्टी, तू भी मिट्टी l चलता फिरता जग सारा मिट्टी ll मिट्टी से बने, मिट्टी में पले, इक दिन फिर हो जाएंगे मिट्टी l जग का पेट भरने की खातिर, बीज को चाहिए पानी मिट्टी l नारियल के खोल में जैसे गिरि, आत्मा है कंचन, शरीर मिट्टी l कंक्रीट, एसी से तपते घरों को, शीतलता देगी फिर से मिट्टी l सांसों का खेल है सारा, सांसें बंद, शरीर मिट्टी l चाहे उड़ो सातवें आसमान पर, याद रखो होना है इक रोज़ मिट्टी l जीते जी बन जाओ सोना, मर कर फिर होना है मिट्टी l भागते भागते थक जाऊंगा जब, गोद में अपनी सुला लेगी मिट्टी ll ---------------------------- September 2024 ©Dimple Kumar #मिट्टी #जग #दुनिया #सोना #उड़ान #प्यार #आसमान #भाग #थक शायरी हिंदी में दोस्ती शायरी शायरी हिंदी में शायरी दर्द लव शायरी
Ashraf Fani
White दर्द शोला है, उमड़कर उग रहा है सीने में मौन था अब तक उभरकर जग रहा है सीने में ©Ashraf Fani【असर】 दर्द शोला है, उमड़कर उग रहा है सीने में मौन था अब तक उभरकर जग रहा है सीने में #ashraffani #Sad_Status
दर्द शोला है, उमड़कर उग रहा है सीने में मौन था अब तक उभरकर जग रहा है सीने में #ashraffani #Sad_Status
read moredeepmala kumari
White जो आप सोचते हो वह कभी नहीं होता है ©deepmala kumari #Ganesh_chaturthi #जग#
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष वर्ग नारी पर भारी , क्यों होता है करो विचार । निकल पड़ो हाथो में लेकर , घर से अपने आज कटार ।। बेटे भाई पति को अपने , दान करो अपने शृंगार । तुम जननी हो इस जग की .... कितनी बहनें कितनी बेटी , होंगी कब तक भला शिकार । चुप बैठी है सत्ता सारी , विवश हुआ है पालनहार ।। मन में अपने दीप जलाओ , नहीं मोम से जग उँजियार । तुम जननी हो इस जग की ..... छोड़ों चकला बेलन सारे , बढ़कर इन पर करो प्रहार । बहुत खिलाया बना-बना कर , इन्हें पौष्टिक तुम आहार ।। बन चंडी अब पहन गले में , इनको मुंडों का तू हार । तुम जननी हो इस जग की .... बन्द करो सभी भैय्या दूज , बन्द करो राखी त्यौहार । ये इसके हकदार नही है , आज त्याग दो इनका प्यार ।। जहाँ दिखे शैतान तुम्हें ये , वहीं निकालो तुम तलवार । तुम जननी हो इस जग की .... सिर्फ बेटियाँ जन्म लिए अब , सुतों का कर दो बहिष्कार । खो बैठें है यह सब सारे , बेटा होने का अधिकार ।। मिलकर जग से दूर करो यह , फैल रहा जो आज विकार । तुम जननी हो इस जग की .... तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष
गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष
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