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Dr. Satyendra Sharma #कलमसत्यकी
देती हैं तुफानों से लड़ने की ताकत मंदिरो मे रखी मूर्तियाँ बेजान नही होती #कविता #poem #Devotional #आस्था #कलमसत्यकी ✍️ #HolyPlaces #शायरी
read moreBharmal GaRg
एक दिन यह देश मूर्तियों का देश होगा मूर्तियाँ, जो न बोल सकती हैं न देख सकती हैं न चल सकती हैं न विरोध कर सकती हैं न्याय भी मूर्ति क़ानून भी मूर्ति | :- भारमल गर्ग "साहित्य" 🌻 #dawn एक दिन यह देश मूर्तियों का देश होगा मूर्तियाँ, जो न बोल सकती हैं न देख सकती हैं न चल सकती हैं
N S Yadav GoldMine
आज हम इसका पता लगायेंगे कि आखिर क्यों जगन्नाथ मंदिर में आधी अधूरी मूर्तियों की पूजा की जाती हैं !! 🌿 🌿{Bolo Ji Radhey Radhey} जगन्नाथ की मूर्तियों के हाथ :- 💠 भगवान जगन्नाथ का मंदिर अनंत रहस्यों से जुड़ा हुआ हैं तथा सबसे बड़ा रहस्य हैं मंदिर में रखी भगवान जगन्नाथ, बलभद्र तथा सुभद्रा की मूर्तियाँ जिनके हाथ आधे बने हुए हैं तथा पैर नही है । कहते हैं कि यह मूर्तियाँ भगवान श्रीकृष्ण की मृत्यु के पश्चात उनके हृदय से बनी है। आज हम इसी कथा के बारे में जानेंगे तथा इसका पता लगायेंगे कि आखिर क्यों जगन्नाथ मंदिर में आधी अधूरी मूर्तियों की पूजा की जाती हैं। भगवान श्रीकृष्ण के हृदय का पुरी पहुंचना :- 💠 जब भगवान श्रीकृष्ण की मृत्यु हो गयी तब अर्जुन के द्वारा उनका अंतिम संस्कार किया गया। कई दिन बीत जाने के पश्चात भी जब उनका हृदय जलता रहा तो अर्जुन ने भगवान श्रीकृष्ण के आदेश पर उनका हृदय लकड़ी समेत समुंद्र में बहा दिया। यही हृदय समुंद्र में बहता हुआ पश्चिमी छोर से पूर्वी छोर तक पुरी नगरी पहुंचा। राजा इंद्रद्युम्न को मिला भगवान श्रीकृष्ण का हृदय :- 💠 मालवा के राजा इंद्रद्युम्न जो भगवान श्रीकृष्ण के बहुत बड़े भक्त थे, एक दिन उन्हें भगवान जगन्नाथ ने स्वप्न में दर्शन देकर समुंद्र तट से वह लकड़ी का लट्ठा लेकर उससे मूर्ति बनवाकर एक विशाल मंदिर में स्थापित करने को कहा। राजा इंद्रद्युम्न ने भगवान के आदेश पर एक विशाल मंदिर का निर्माण करवाया तथा वह लकड़ी का लट्ठा लेकर मंदिर में आ गए। उस लट्ठे से मूर्तियाँ बनवाने के लिए राजा ने अपने नगर के सभी महान शिल्पकारों तथा विशेषज्ञों को बुलाया लेकिन कोई भी सफल नही हो पाया। जैसे ही वे उस लट्ठे से मूर्ति बनाने के लिए उस पर हथोड़ा इत्यादि मारने का प्रयास करते तो वह टूट जाता। यह देखकर राजा बहुत निराश हो गए। शिल्पकार विश्वकर्मा आये मूर्ति बनाने :- 💠 तब सृष्टि के महान शिल्पकार तथा भगवान विश्वकर्मा एक वृद्ध कारीगर के रूप में राजा के पास आये तथा उनसे कहा कि वे उस लट्ठे से मूर्ति का निर्माण कर देंगे जिसमें उन्हें लगभग 21 दिन का समय लगेगा। साथ ही उन्होंने यह पाबंदी रखी कि इस दौरान वे एक दम अकेले रहेंगे और मंदिर के कपाट बंद रहेंगे तथा कोई भी अंदर नही आएगा। राजा ने उनकी यह शर्त मान ली तथा उन्हें मूर्ति बनाने का कार्य दे दिया। भगवान जगन्नाथ की बनी आधी अधूरी मूर्तियाँ :- 💠 भगवान श्रीकृष्ण का आदेश था कि उस लट्ठे से चार मूर्तियाँ बनाई जाए जिसमे एक उनकी मूर्ति हो तथा अन्य तीन उनके बड़े भाई बलराम (बलभद्र), बहन सुभद्रा तथा सुदर्शन चक्र की हो। विश्वकर्मा कई दिनों तक मंदिर के अंदर उस लट्ठे से मूर्तियों का निर्माण कर रहे थे तथा बाहर हथोड़ा इत्यादि चलने की ध्वनि आती रहती थी। एक दिन राजा इंद्रद्युम्न की पत्नी ने मंदिर के बाहर से कान लगाकर सुनने का प्रयास किया तो अंदर से कोई आवाज़ नही आयी। यह देखकर रानी को भय हो गया तथा उसे लगा कि कही वह वृद्ध व्यक्ति अंदर मर ना गया हो। उसने यह सूचना राजा इंद्रद्युम्न को दी। राजा को भी भय हुआ तथा वे अपने सैनिकों के साथ मंदिर पहुंचे। 💠 वहां पहुंचकर उन्होंने मंदिर के द्वार खुलवाए तो वहां से वह वृद्ध कारीगर विलुप्त हो चुका था। उन्होंने मूर्तियों को देखा तो वह आधी अधूरी पड़ी थी जिसमे तीनों के पैर नही थे तथा भगवान जगन्नाथ तथा बलभद्र के आधे हाथ ही बने थे जबकि सुभद्रा के हाथ भी नही बने थे। यह देखकर राजा निराश हुए तथा उन्हें समय से पहले मंदिर में आ जाने का दुःख हुआ किंतु भगवान जगन्नाथ ने उन्हें फिर से स्वप्न में दर्शन देकर कहा कि यही नीति थी तथा वह उन अधूरी मूर्तियों को ही मंदिर में स्थापित कर पूजा अर्चना करे। तब से भगवान जगन्नाथ, बलभद्र तथा सुभद्रा की आधी अधूरी मूर्तियाँ उस मंदिर में स्थापित हैं जिनकी भक्त पूजा करते हैं। ©N S Yadav GoldMine #MainAurChaand आज हम इसका पता लगायेंगे कि आखिर क्यों जगन्नाथ मंदिर में आधी अधूरी मूर्तियों की पूजा की जाती हैं !! 🌿 🌿{Bolo Ji Radhey Radhey}
#MainAurChaand आज हम इसका पता लगायेंगे कि आखिर क्यों जगन्नाथ मंदिर में आधी अधूरी मूर्तियों की पूजा की जाती हैं !! 🌿 🌿{Bolo Ji Radhey Radhey} #पौराणिककथा
read moreAK__Alfaaz..
पाथर पूजिहैं सौ-सौ दिन.., घर कै माटी न पूजै कोय.., जेका ऊपजा निशिदिन खाय.., नौ दिन रखिहैं व्रत-उपवास.., देवी पूजन होईहैं रोज नहाय.., मईया कै फिर जईहैं भूल.., लगिहैं उहे आपन धरम अपनाय.., घर कै नारी न पूजिहैं कबहुँ.., जईहैं मंदिर..माथा टिकाय.., कैसी विडंबना है.. पत्थर की मूर्तियाँ यहाँ रोज पूजी जाती हैं घर मिट्टी कोई नहीं पूजता.. जिससे उसे अन्न मिला लालन पालन हुआ.. ठीक वैसे ही इन नव
Vidhi
एक लप्रेक हमारी तरफ से भी- "तुम मुझे छोड़ के भाग तो नहीं जाओगे ना?, लोन बोली। "अरे पगली, तू इंसानों वाले वहम क्यों पाल रही? खासकर औरतों वाले? तू तो मेरा ब्लैंक चेक है।
Ravinder Sharma
चाहत तेरी रखते है हम इसलिए हमने खुद से शर्त रखी है महाकाल तेरी बनने के लिए हमने आज चिड़ियों की व्रत रखी है ।। हरतालिका तीज (चिड़ियों का व्रत) की शुभकामनाएं ©Ravinder Sharma हिमाचल में बनाई जाती है आज ही के दिन बामी की मिट्टी से चिड़ियाँ और शिव पार्वती की मूर्तियाँ उनकी की जाती है पूजा , माना जाता है कि माँ पार्व
हिमाचल में बनाई जाती है आज ही के दिन बामी की मिट्टी से चिड़ियाँ और शिव पार्वती की मूर्तियाँ उनकी की जाती है पूजा , माना जाता है कि माँ पार्व #Love #शायरी #महाकाल #Himachal #maaparvati #cleanhimalayas #MereKhayaal #RishtaDilKa #SeptemberCreator #Happyhartalikateej #चिड़ियोंकाव्रत
read moreNitish Sagar
सामा चकेवा मिथिलांचल का एक पर्व Read in caption सामा चकेवा मिथिलांचल क्षेत्र में प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है। यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते को दर्शाता है। जिस तरह रक्षाबंधन, भाईदूज भाई-बह
सामा चकेवा मिथिलांचल क्षेत्र में प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है। यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते को दर्शाता है। जिस तरह रक्षाबंधन, भाईदूज भाई-बह #Brother #story #Festival #nojotohindi #kalakaksh #Sisters #sama_chakeva
read moreRavinder Sharma
हिमाचल में बनाई जाती है आज ही के दिन बामी की मिट्टी से चिड़ियाँ और शिव पार्वती की मूर्तियाँ उनकी की जाती है पूजा , माना जाता है कि माँ पार्व #Love #शायरी #महाकाल #Himachal #maaparvati #cleanhimalayas #MereKhayaal #RishtaDilKa #SeptemberCreator #Happyhartalikateej #चिड़ियोंकाव्रत
read moreNaresh Chandra
हिन्दू धर्म विशाल है सब धर्मों की जननी है कृपया अनुशीर्षक मे पढ़ें 🙏 ©Naresh Chandra वैदिक काल और यज्ञ प्राचीन काल में लोग वैदिक मंत्रों और अग्नि-यज्ञ से कई देवताओं की पूजा करते थे। आर्य देवताओं की कोई मूर्ति या मन्दिर नहीं
वैदिक काल और यज्ञ प्राचीन काल में लोग वैदिक मंत्रों और अग्नि-यज्ञ से कई देवताओं की पूजा करते थे। आर्य देवताओं की कोई मूर्ति या मन्दिर नहीं #विचार #लक्ष्मीनरेश #दिल_की_आवाज़
read moreN S Yadav GoldMine
इस मंदिर को कई लोग रामायण काल के समय का बताते हैं इस मंदिर के इतिहास के बारे में जानिए !! 📯📯 {Bolo Ji Radhey Radhey} सांवेर के उलटे हनुमानजी :- 🏯 भारत की धार्मिक नगरी उज्जैन से केवल 30 किमी दूर स्थित है यह धार्मिक स्थान जहाँ भगवान हनुमान जी की उल्टे रूप में पूजा की जाती है। यह मंदिर साँवरे नामक स्थान पर स्थापित है इस मंदिर को कई लोग रामायण काल के समय का बताते हैं। मंदिर में भगवान हनुमान की उलटे मुख वाली सिंदूर से सजी मूर्ति विराजमान है। 🏯 सांवेर का हनुमान मंदिर हनुमान भक्तों का महत्वपूर्ण स्थान है यहाँ आकर भक्त भगवान के अटूट भक्ति में लीन होकर सभी चिंताओं से मुक्त हो जाते हैं। यह स्थान ऐसे भक्त का रूप है जो भक्त से भक्ति योग्य हो गया। इस मंदिर की खासियत यह है कि इसमें हनुमानजी की उलटी मूर्ति स्थापित है। और इसी वजह से यह मंदिर उलटे हनुमान के नाम से मालवा क्षेत्र में प्रसिद्ध है। 👈 पौराणिक कथा :- 🏯 यहाँ के लोग एक पौराणिक कथा का जिक्र करते हुए कहते हैं कि जब कहा जाता है कि जब रामायण काल में भगवान श्री राम व रावण का युद्ध हो रहा था, तब अहिरावण ने एक चाल चली. उसने रूप बदल कर अपने को राम की सेना में शामिल कर लिया और जब रात्रि समय सभी लोग सो रहे थे,तब अहिरावण ने अपनी जादुई शक्ति से श्री राम एवं लक्ष्मण जी को मूर्छित कर उनका अपहरण कर लिया। वह उन्हें अपने साथ पाताल लोक में ले जाता है। जब वानर सेना को इस बात का पता चलता है तो चारों ओर हडकंप मच जाता है। सभी इस बात से विचलित हो जाते हैं। 🏯 इस पर हनुमान जी भगवान राम व लक्ष्मण जी की खोज में पाताल लोक पहुँच जाते हैं और वहां पर अहिरावण से युद्ध करके उसका वध कर देते हैं तथा श्री राम एवं लक्ष्मण जी के प्राँणों की रक्षा करते हैं। उन्हें पाताल से निकाल कर सुरक्षित बाहर ले आते हैं। 🏯 ऐसी मान्यता है कि यही वह स्थान है, जहाँ से हनुमानजी ने पाताल लोक जाने हेतु पृथ्वी में प्रवेश किया था। जहाँ से हनुमान जी पाताल लोक की और गए थे। उस समय हनुमान जी के पाँव आकाश की ओर तथा सर धरती की ओर था जिस कारण उनके उल्टे रूप की पूजा की जाती है। 🏯 साँवेर के उलटे हनुमान मंदिर में श्रीराम, सीता, लक्ष्मणजी, शिव-पार्वती की मूर्तियाँ हैं। मंगलवार को हनुमानजी को चौला भी चढ़ाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि तीन मंगलवार, पाँच मंगलवार यहाँ दर्शन करने से जीवन में आई कठिन से कठिन विपदा दूर हो जाती है। कहते हैं भक्ति में तर्क के बजाय आस्था का महत्व अधिक होता है। यहाँ प्रतिष्ठित मूर्ति अत्यन्त चमत्कारी मानी जाती है। यहाँ कई संतों की समाधियाँ हैं। सन् 1200 तक का इतिहास यहाँ मिलता है। 🏯 उलटे हनुमान मंदिर परिसर में पीपल, नीम, पारिजात, तुलसी, बरगद के पेड़ हैं। यहाँ वर्षों पुराने दो पारिजात के वृक्ष हैं। पुराणों के अनुसार पारिजात वृक्ष में हनुमानजी का भी वास रहता है। मंदिर के आसपास के वृक्षों पर तोतों के कई झुंड हैं। इस बारे में एक दंतकथा भी प्रचलित है। तोता ब्राह्मण का अवतार माना जाता है। हनुमानजी ने भी तुलसीदासजी के लिए तोते का रूप धारण कर उन्हें भी श्रीराम के दर्शन कराए थे। 🏯 नगर के साँवरे क्षेत्र में विश्व प्रसिद्ध पाताल विजय हनुमानन की उलटी प्रतिमा स्थापित है। यहां ऐसी हनुमानजी की दुर्लभ प्रतिमा है जो बहुत ही कम देखने को मिलती है। लोकप्रिय और पुरातन मंदिर होने के कारण हनुमानजी के प्रति श्रद्धा रखने वाले श्रद्धा रखने वाले लोग दूर-दूर से यहां आते हैं और रामभक्त हनुमानजी उनकी मनोकामना पूरी करते हैं। 👉 Rao Sahab N S Yadav... ©N S Yadav GoldMine #mahashivaratri इस मंदिर को कई लोग रामायण काल के समय का बताते हैं इस मंदिर के इतिहास के बारे में जानिए !! 📯📯 {Bolo Ji Radhey Radhey} सांवेर
#mahashivaratri इस मंदिर को कई लोग रामायण काल के समय का बताते हैं इस मंदिर के इतिहास के बारे में जानिए !! 📯📯 {Bolo Ji Radhey Radhey} सांवेर #पौराणिककथा
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