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Shankar Yadav
🚩🙏जय श्री राम 🙏🚩 वहशी लफ़ंगों के समूहों द्वारा हज़ार साल तक अनवरत किए आक्रमणों से जब हमारा कोई कुछ न उखाड़ पाया तो दो घर दूर के पड़ोसी के यहाँ उनके जानवर-छाप छोकरों के उत्पात से हमारे देश का भला क्या बिगड़ेगा🇮🇳💪🏼 ? इसलिये कह रहा हूँ कि ज़्यादा दिमाग़ न लगाइए।अगर पड़ोस के घर में मची अफ़रातफ़री के कारण, ज़िंदगी भर आपसे इज़्ज़त पाने वाले और आपके घर में रह रहे, बदबूदार सोच से भरे किसी जाहिल शख़्स का पर्दाफ़ाश हो रहा है तो शोक नहीं, शुक्र मनाइए कि दो पैसे की प्याली गई (वो भी पड़ोसियों की) पर कुत्ते की जात पहचानी गई 👎🏿🤮 ©Shankar Yadav वहशी लफ़ंगों के समूहों द्वारा हज़ार साल तक अनवरत किए आक्रमणों से जब हमारा कोई कुछ न उखाड़ पाया तो दो घर दूर के पड़ोसी के यहाँ उनके जानवर-छाप
वहशी लफ़ंगों के समूहों द्वारा हज़ार साल तक अनवरत किए आक्रमणों से जब हमारा कोई कुछ न उखाड़ पाया तो दो घर दूर के पड़ोसी के यहाँ उनके जानवर-छाप #विचार #MereKhayaal
read moreAnant
नफ़रतों से कहाँ टूटे हैं , दिल ज़माने के ? मोहब्बत, सभी के दिल यहाँ पे तोड़ देती है । जिन बच्चों को छाती से लगाकर घूमती थी माँ! वो औलादें बुढ़ापे में, तड़पता छोड़ देतीं हैं। मुझे लगता है, दुनिया का यही दस्तूर है, शायद ये ज़रूरत पर, अकेला छोड़ देती है। मुक्कद्दर भी, किसी का क्या बिगड़ेगा ? शिद्दत हो इरादों में, तो किस्मत मोड़ लेती है। ईरादा कर लिया जाए, फिर किस बात से डरना? चिड़िया तो , तिनकों से घरौंदा जोड़ लेती है। ©Anant नफ़रतों से कहाँ टूटे हैं , दिल ज़माने के ? मोहब्बत, सभी के दिल यहाँ पे तोड़ देती है । जिन बच्चों को छाती से लगाकर घूमती थी माँ! वो औलादें
नफ़रतों से कहाँ टूटे हैं , दिल ज़माने के ? मोहब्बत, सभी के दिल यहाँ पे तोड़ देती है । जिन बच्चों को छाती से लगाकर घूमती थी माँ! वो औलादें #Shayari
read moreश।यर देव Thakur
कोई इश्क़ क्या खाक बिगड़ेगा मेरा, हम उनकी तस्वीर को आंखों में लिए फिरते हैं। ©देव Thakur कोई इश्क क्या खाक बिगड़ेगा मेरा #meltingdown
कोई इश्क क्या खाक बिगड़ेगा मेरा #meltingdown #शायरी
read more🅟︎Ⓔ︎🅝︎Ⓣ︎🅞︎Ⓟ︎🅔︎Ⓝ︎✍️
वो दिन याद आते हैं ! वो पल मैं साथ बिताए, वो हर वक्त याद आते हैं ! वो कसमें, वो वादे ,वो रिश्ते, वो नाते.... वो हर छोटी-छोटी चीज याद आते हैं .... क्या-क्या क्या बताऊं तुम्हें! क्या-क्या याद आते हैं ... तेरे चेहरे का नूर यादों के जरिए.. मेरे आंखों के सामने छाते हैं.... बस उन यादों को सोचकर ! मेरी आंखें नम हो जाती है... क्या क्या बताऊं तुम्हें!! क्या-क्या याद आते हैं.... -PENTOPEN✍ क्या-क्या क्या बताऊं तुम्हें क्या-क्या याद आते हैं....
क्या-क्या क्या बताऊं तुम्हें क्या-क्या याद आते हैं.... #Life
read moreKK क्षत्राणी
पहले रिसते बन जाते थे जन्म जन्म के.. अब रिसते की भी एक सीमा बन जाती है ©KK क्षत्राणी क्या क्या होगा
क्या क्या होगा #ज़िन्दगी
read moreShreyashi Mishra
तुम्हारी पहचान... मैं अब तक नहीं आक पायी थी तुम्हारी ताकत को ,तुमने क्या दहसत फैलायी है। हा डरती हूँ अब तुमसे,आग की लपट हर लड़की के ज़िस्म तक आयी है । हँस रहे हों ना तुम, क्या खूब हैवानियत तुम्हारे नसों में समायी है। सड़क पर फैले हुए कीड़े हो, तुम्हारे नाम से आज रूह भी सहम के बैठी है।। बेशब्द#श्रेयशी क्या क्या लिखूं
क्या क्या लिखूं
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