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sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3
White एक रिश्तें मॆं मोहब्बत है उसपर खून भी... काटकर देखे उन उंगलियोंके नाखून भी... कल मजबूरन घड़ी को कलाई काटनी पड़ी... वक्त ने आज़माएँ है दिसंबर मॆं जून भी..। ये आसमान उडते परिंदे की अमानत है... मिलने आए हो, उसूल भी साथ मॆं कानून भी..। किस्सा ख़त्म हुआ कहानी अधूरी छूट गयी... यूँ समझो कोट कहीं पर दूर है पतलून भी..। - ख़ब्तुल संदीप बडवाईक ©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3 खून
खून #शायरी
read moreबेजुबान शायर shivkumar
ख़ुद को इतना मज़बूत कर लेना है कोई कुछ भी कहे, खुद को दुखी नहीं करना है पहले सब आपकी अच्छाई का फ़ायदा उठायेंगे फ़िर जब आपको ज़रूरत होगी, मुँह मोड़ कर चले जाएंगे नहीं है हकीकत किसी निभाने वाले की खून के रिश्ते नहीं समझते जिसे, तुम्हें लगता है कोई अपनाएगा तुम्हें? ©बेजुबान शायर shivkumar Sethi Ji Kshitija puja udeshi poonam atrey Bhanu Priya शायरी लव शायरी हिंदी में Extraterrestrial liye #बेजुबानशायर143 #बेजुबानशायर #शा
Sethi Ji Kshitija puja udeshi poonam atrey Bhanu Priya शायरी लव शायरी हिंदी में Extraterrestrial liye बेजुबानशायर143 बेजुबानशायर शा
read moreRakesh frnds4ever
White क्या मैं हूं कहीं, या मैं हूं ही नहीं तुम्हारी हर खुशियों के शोर शराबे में, किसी कोने कचोने में चीखें मेरी दबी पड़ी तुम्हारे उत्सव और त्योहारों में, घर में कभी ना मुझको मिली मौजूदगी,,, क्या मैं हूं कहीं या मैं हूं ही नहीं दिन भर के थके बदन के चूर चूर हालातों में, शामों के कामों व रात भर के दिल,मन,जज्बातों के मरे खून से चकनाचूर हुए बिखरे जर्जर शरीर की , तुम्हारे अरामो, विश्रामों या खिलखिलाकर बतियाती बातों से परे टूटे फूटे बदन की मेरी, नंगे पांव गुजरी जलती हर दोपहरी क्या मैं हूं कहीं,, या मैं हूं ही नहीं,,,, .................१............. ©Rakesh frnds4ever #क्यामैंहूंकहीं या मैं हूं ही नहीं क्या #मैं हूं कहीं, या मैं हूं ही नहीं तुम्हारी हर #खुशियों के #शोर_शराबे में, किसी कोने कचोने में #
#क्यामैंहूंकहीं या मैं हूं ही नहीं क्या #मैं हूं कहीं, या मैं हूं ही नहीं तुम्हारी हर #खुशियों के #शोर_शराबे में, किसी कोने कचोने में # #दबी #हालातों #दोपहरी #चकनाचूर #चीखें #कोट्स #rakeshyadav
read moreRakesh frnds4ever
White बरसों से खटकता रहा हूं जिन आंखों में,, अब मैं उनमें रगड़ने लगा हूं फूटी आंख ना सुहाया किसी को, चुभता रहा ना भाया किसी को, आज उनमें और भी ज्यादा चुभने लगा हूं मैं दिल के दरिया का जो पानी सालों से आंखो से बह बह कर सूख चुका, जिसकी तलहटी को खुंद खूंद कर उसकी परतों से खून तक चूस डाला, जो अब बंजर सुनसान परतों की पपड़ी खाक बन कर उड़ती है तो उस धूल से उनकी आंखों में जो हल्की सी परेशानी है ,, वैसा एक कचरा/ तिनका बना हुआ हूं मैं ,,.... ©Rakesh frnds4ever #फूटिआंखनसुहायकिसिको #बरसों से खटकता रहा हूं जिन #आंखों में,, अब मैं उनमें रगड़ने लगा हूं फूटी आंख ना सुहाया किसी को,#चुभता रहा ना भाया कि
#फूटिआंखनसुहायकिसिको #बरसों से खटकता रहा हूं जिन #आंखों में,, अब मैं उनमें रगड़ने लगा हूं फूटी आंख ना सुहाया किसी को,#चुभता रहा ना भाया कि #बंजर #तिनका #तलहटी #परतों #कोट्स #दिलकादरिया♥ #rakeshyadav
read moreDevesh Dixit
मंत्री जी मंत्री जी ओ मंत्री जी मुंह उठा कर कहां चले धोती कुर्ता पहन के टोपी धूल उड़ा कर कहां चले अत्याचारों से लिपटी धरती सब तुम्हारी करनी है आतंकवाद की बढ़ती दरिंदगी सब तुम्हारी निशानी है पाप कर्म और मक्कारी का दिया जलाया तुमने है खून बहा के निर्दोषों का धन कमाया तुमने है मुद्दा बनाके जाति - पांति का आपस में लड़वाया तुमने है उसी से भड़कती है हिंसा उसी से रोटी सेंकी है और कौन से कुकर्म हैं बाकी जो तुमने आगे करने हैं धरती माता पर और लहू की बारिश करनी तुमने है मंत्री जी ओ मंत्री जी मुंह उठा कर कहां चले धोती कुर्ता पहन के टोपी धूल झोंक कर कहां चले ……………………………. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #मंत्री_जी #nojotohindi #nojotohindipoetry मंत्री जी मंत्री जी ओ मंत्री जी मुंह उठा कर कहां चले धोती कुर्ता पहन के टोपी धूल उड़ा कर कहां च
#मंत्री_जी #nojotohindi #nojotohindipoetry मंत्री जी मंत्री जी ओ मंत्री जी मुंह उठा कर कहां चले धोती कुर्ता पहन के टोपी धूल उड़ा कर कहां च #Poetry #sandiprohila
read moreSamEeR “Sam" KhAn
White आज डूबा है मेरा बदन मेरे ही खून से.!! ये कांच के टुकड़ों पे मेरे भरोसे की सजा है.!! ©SamEeR “Sam" KhAn #खून
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- आजादी का दिवस मनाऊँ ,भूखा अपना लाल सुलाऊँ । कर्ज बैंक का सर के ऊपर, खून बेचकर उसे चुकाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ.... सरकारें करती मनमानी , पीने का भी छीने पानी । कैसे जीते हैं हम निर्धन , कैसे तुमको व्यथा सुनाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ... मैं ही एक नहीं हूँ निर्धन , आटा दाल न होता ईर्धन । जन-जन का मैं हाल सुनाऊँ , आओ चल कर तुम्हें दिखाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ... शिक्षा भी व्यापार हुई है , महँगी सब्जी दाल हुई है आमद हो गई है आज चव्न्नी, कैसे घर का खर्च चलाऊँ । आजादी का दिवस मनाऊँ... सभी स्वस्थ सेवाएं महँगी , जीवन की घटनाएं महँगी । आती मौत न जीवन को, फंदा अपने गले लगाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ... ज्यादा हुआ दूध उत्पादन, बिन पशु के आ जाता आँगन । किसको दर्पण आज दिखाऊँ दिल कहता शामिल हो जाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ..... आजादी का दिवस मनाऊँ ,भूखा अपना लाल सुलाऊँ । महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- आजादी का दिवस मनाऊँ , भूखा अपना लाल सुलाऊँ । कर्ज बैंक का सर के ऊपर,
गीत :- आजादी का दिवस मनाऊँ , भूखा अपना लाल सुलाऊँ । कर्ज बैंक का सर के ऊपर, #कविता
read moreMoHiTRoCk F44
अगर उतार दूं अपना जुनून कागज पर टपक पड़ेगा फिर आंखों से खून कागज पर लिखा है नाम तेरा फिर मिटाया है तलाश करता हूं अब हर पल सुकून कागज पर ©MoHiTRoCk F44 #MohitRockF44 #nojohindi अगर उतार दूं अपना जुनून कागज पर टपक पड़ेगा फिर आंखों से खून कागज पर लिखा है नाम तेरा फिर मिटाया है
#MohitRockF44 #nojohindi अगर उतार दूं अपना जुनून कागज पर टपक पड़ेगा फिर आंखों से खून कागज पर लिखा है नाम तेरा फिर मिटाया है
read moreDevesh Dixit
कलियुग का प्रकोप दूध की नदियां बहती थीं कभी अब खून की नदियां बहती हैं प्रेम भाव था भाईयों में कभी अब चाकू-छुरियां चलती हैं धन संपदा जमीन नारी जब हुआ करती थीं परदे में अब खुलकर है आ गई सारी कसर न छोड़ी झगड़े में कलियुग का है प्रकोप सारा इस ने लिया है लपेटे में मनुष्य तो है बस माध्यम बेचारा घसीटा उसको अंधेरे में तेरा – मेरा की लड़ाई कभी खत्म न होगी जमाने में ईश्वर भी सोचता होगा कभी क्या गलती हुई इंसां बनाने में …………………………………………………… देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #कलियुग_का_प्रकोप #nojotohindi #nojotohindipoetry कलियुग का प्रकोप दूध की नदियां बहती थीं कभी अब खून की नदियां बहती हैं प्रेम भाव था भाईय
#कलियुग_का_प्रकोप #nojotohindi #nojotohindipoetry कलियुग का प्रकोप दूध की नदियां बहती थीं कभी अब खून की नदियां बहती हैं प्रेम भाव था भाईय #Poetry #sandiprohila
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी पहुँच गये उचाईयो पर मगर झाड़ से खड़े है ना बची संवेदनाये ना सोच मानवता की है छीन लिये सबसे जीने के अधिकार पैसो के पहाड़ जोड़े खड़े है ना मिलती छाव किसी को उनसे छोटे रोजग़ार भी गरीबी के छीने खड़े है पेशेवरों के गुण धर्म ना दिखते कुछ भी तंत्र की हिमाकत पर पूंजी जोड़े खड़े है ना खुशबू आती रहीशी की दूसरो की खून पसीने की कमाई से बने एम्पायर पर हक जमाये खड़े है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #moon_day दूसरो की खून पसीने की कमाई पर एम्पायर खड़े कर है #nojotohindi
#moon_day दूसरो की खून पसीने की कमाई पर एम्पायर खड़े कर है #nojotohindi #कविता
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