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Nilam Agarwalla
White देकर अन्न समाज को, भूखा रहे किसान। विडम्बना ये देश की, देख सभी हैरान।। पेट भरे जिस अन्न से, जग के सब इंसान। देकर सबको दान फिर, रहता दुखी किसान।। उपजाकर जो अन्न को, भरे बैंक का कर्ज।सबका भरना पेट ही, समझे अपना फर्ज।। सूखे का या बाढ़ का , नहिं कोई उपचार। दोनो ही से त्रस्त है, रहे कृषक लाचार।। -निलम ©Nilam Agarwalla #किसान
Shiv Narayan Saxena
White सबके लिए अन्न चक्र में लगा हुआ किसान मौसम उद्यम पर टिका रहे मन मारे किसान प्रयास विफल न हो कोई याद करे भगवान चिंता है कि बिके फसल रहता दुखी किसान ©Shiv Narayan Saxena #wallpaper रहता दुखी किसान
#wallpaper रहता दुखी किसान #Poetry
read moreSatish Kumar Meena
White खेत खलिहान आस लगाए रहते हैं बस! बादलों के झुरमुट की इसलिए तो किसान सूखी पलकों को लेकर बारिश के लिए पलक पांवड़े बिछाए रहते हैं ताकि मेहनत रंग लाए। ©Satish Kumar Meena किसान
किसान #विचार
read moreShiv Narayan Saxena
पितरों से पहचान है पितरों से सम्मान तन मन धन सब हम पे कर देते कुर्बान कूकुर कागा को सदा दिलवाते हैं मान भूल क्षमा करिए दया हे पितर भगवान ©Shiv Narayan Saxena पितरों से सम्मान.....
पितरों से सम्मान..... #Poetry
read moreAshvani Kumar
सम्मान की बात आए तो गुस्सा यहां के लौड़ों के सर पर है, अपने पे उतर आएं तो कर देते हालात बद से बद्तर है, हमारा भौकाल कितना कट्टर है, की आओ कभी कानपुर तुमको बताएं की कैसा UP78 है।। ©Ashvani Kumar सम्मान
सम्मान #Shayari
read moreDR. LAVKESH GANDHI
White शिक्षक एक चरित्रहीन व्यक्ति को जब समाज या विभाग सम्मानित या महिमामंडित करता है तब उस समाज या विभाग का पतन निश्चित होता है | ©DR. LAVKESH GANDHI #teachers_day # # शिक्षक का सम्मान #
teachers_day # # शिक्षक का सम्मान #
read moreHeer
किसान कोई तो बचाए इनको समझे कोई दर्द इनका भी, इनके हक के लिए भी तो कोई उठाए आवाज अपनी। लड़ते लड़ते हार भी जाते और फिर त्याग देते ये जीवन, फिर भी किसी के आगे फैलाते न हाथ अपने। सबका पेट ये है भरते खुद मगर भूखे ही सोते, फिर भी मुख से आह न भरते। ©Heer #farmersprotest #किसान
#farmersprotest #किसान #Poetry
read moreसौरभ अश्क
एक जोड़ी बैल हल और पालो एक ठो कुदाल एगो लूंगी, एक ठो गमछा और एक ठो बनियान गेहूं, मकई, चना के पावडर (सत्तू) छोटका प्याज हरका मरचाय सुखलो खटाय दस ठो रोपनिया एक ठो मोरकबड़ा आरु ढेर सन हिम्मत यही किसान के साथी छै धन्य छै हमरो देश के माटी जे 0 इन्वेस्टमेंट म पूरा देश के पेट भरए छै आरू हेकरे शहरी भाषा मे अनपढ़ गवार कहलों जाय छै। आज कल यह अनपढ़ गवार खेतो में देखाय छै, आरू पढ़लो लिखलो रेस्टोरेंट में, ©सौरभ अश्क #Beauty #किसान #अनाज #संग्रहित