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Nilam Agarwalla
White देकर अन्न समाज को, भूखा रहे किसान। विडम्बना ये देश की, देख सभी हैरान।। पेट भरे जिस अन्न से, जग के सब इंसान। देकर सबको दान फिर, रहता दुखी किसान।। उपजाकर जो अन्न को, भरे बैंक का कर्ज।सबका भरना पेट ही, समझे अपना फर्ज।। सूखे का या बाढ़ का , नहिं कोई उपचार। दोनो ही से त्रस्त है, रहे कृषक लाचार।। -निलम ©Nilam Agarwalla #किसान
Heer
किसान कोई तो बचाए इनको समझे कोई दर्द इनका भी, इनके हक के लिए भी तो कोई उठाए आवाज अपनी। लड़ते लड़ते हार भी जाते और फिर त्याग देते ये जीवन, फिर भी किसी के आगे फैलाते न हाथ अपने। सबका पेट ये है भरते खुद मगर भूखे ही सोते, फिर भी मुख से आह न भरते। ©Heer #farmersprotest #किसान
Vijay Vidrohi
"किसान- प्रजापालक" प्रजा पालक, भूमि का स्वामी, दिन-रात मेहनत करता कामी। उसके हाथों में जादू है, ना वह अफसर ना वह बाबू। वह सूरज के साथ उठता है, और चाँद के साथ सोता है। उसकी मेहनत का फल देखो, जो खेतों में खिलखिलाता है। वह वर्षा की बूंदों का इंतज़ार करता है, और फसलों को पनपाता है। उसका प्यार भूमि के लिए सच्चा है, जो बीज बोता है, वह फसल लाता है। उसकी मेहनत का फल सबको मिलता है, और वह खुशी से अपना जीवन जीता है। प्रजा पालक, कमेरा किसान है, जो भूमि को जीवन, कर देता दान है। ©Vijay Vidrohi ||किसान_प्रजापालक|| #किसान #farmer #my #new #poem #Poetry #shayri #love #India #viral urdu poetry sad poetry hindi poetry love poetry in hindi poetry Author kunal VIMALESHYADAV दीपबोधि gaTTubaba Mukesh Poonia
सौरभ अश्क
एक जोड़ी बैल हल और पालो एक ठो कुदाल एगो लूंगी, एक ठो गमछा और एक ठो बनियान गेहूं, मकई, चना के पावडर (सत्तू) छोटका प्याज हरका मरचाय सुखलो खटाय दस ठो रोपनिया एक ठो मोरकबड़ा आरु ढेर सन हिम्मत यही किसान के साथी छै धन्य छै हमरो देश के माटी जे 0 इन्वेस्टमेंट म पूरा देश के पेट भरए छै आरू हेकरे शहरी भाषा मे अनपढ़ गवार कहलों जाय छै। आज कल यह अनपढ़ गवार खेतो में देखाय छै, आरू पढ़लो लिखलो रेस्टोरेंट में, ©सौरभ अश्क #Beauty #किसान #अनाज #संग्रहित
Vijay Vidrohi
किसान-मजदूर की ताकत जो मुंह में आए बकना मत पड़े हुए किस चक्कर में। बाकी सब तो सह लेंगे न आना किसान की टक्कर में। किसान मजदूरों ने ही तुमको आजादी दिलवाई थी। उनके बिना 1857 में तुमने मुंह की खाई थी। ©Vijay Vidrohi #किसान #किसान_की_व्यथा #India #New #poem #Poetry #Love #majdoor poonam atrey Andy Mann दीप बोधि indu singh rasmi
कलम की दुनिया
भारत का अन्नदाता हूँ विश्व का अन्नदाता बनने को तैयार हूँ हाँ, मैं किसान हूँ कडकती धुप अपने हिस्से में पाकर तुम्हें शीतल छाया देने को तैयार हूँ हाँ मैं किसान हूँ चिलचिलाती धुप, कडकती बरसात, सिंकुडा देती ठंड करती फसलों को बर्बाद हैं फिर भी अलग-अलग मौसम में उपजाता अलग-अलग फसल हूँ प्रकृति के हाथों लाचार हू हाँ, मैं किसान हूँ बारिश के बुंदों के साथ करता खेतों का श्रृंगार हूँ हाँ, मैं किसान हूँ भारत का अन्नदाता हूँ... मेरे भाग्य का मुझे पता नहीं फिर भी मैं भारत का भाग्य विधाता हूँ मैं भारत का अन्नदाता विश्व का अन्नदाता बनने को तैयार हूँ हाँ मैं किसान हूँ ©कलम की दुनिया #किसान
Andy Mann
#किसान का साथीArshad Siddiqui Ak.writer_2.0 Jack Sparrow Sethi Ji vineetapanchal sana naaz
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