Find the Latest Status about विश्वसनीयता from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, विश्वसनीयता.
Sabir Khan
रिश्ते और रास्ते चलाने और चलने के लिए होते हैं, दूर से देखने से उनकी विश्वसनीयता परखी नहीं जा सकती। विश्वसनीयता
विश्वसनीयता
read moreDR. LAVKESH GANDHI
चेहरा चेहरा जो मुरझा गया वह चेहरा बदलना चाहिए आज बिहार को एक नया चेहरा मिलना चाहिए इस चेहरे पर कई चेहरे हैं अहंकार का लबादा ओढ़े हैं आज बिहार को एक नया मसीहा मिलना चाहिए चेहरा # विश्वसनीयता #
चेहरा # विश्वसनीयता #
read moreEk villain
देश के मुख्य न्यायाधीश एनवी रामा ने हाल ही में केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई के संबंध में अपने विचार व्यक्त किए एंड वी रमन ने खेद जताया कि कुछ मामले सीबीआई के कार्यशैली न्यूज़ करता पर प्रश्न उठाने के कारण केंद्रीय जांच एजेंसी की विश्व नेता सार्वजनिक जांच के दायरे में आ गई है सीबीआई ने देश में महत्वपूर्ण मामले की जांच व्यवस्था में सुधार के लिए विभिन्न जांच एजेंसी को एक छत के नीचे लाने में एक स्वतंत्र संस्था बनाने की गई मूर्ति रमन ने सीबीआई के अतीत में बनी सभी को याद दिलाते हुए कहा है कि पहले जब नागरिकों के राज्य पुलिस अभिरक्षा में सीबीआई जांच की मांग करते आ गई ©Ek villain #कसौटी पर जांच एजेंसी की विश्वसनीयता #patience
Rahul Rambhau Vadate
यदि एक सुंदर मुखमडल संस्तुति पत्र है, तो एक अच्छा ह्रदय विश्वसनीयता का पत्र हैं. #मराठीशायरी
read morePrakhar Tiwari
प्रेम निष्ठा विश्वास मान सम्मान गाढ़ापन विश्वसनीयता एक अटूट रिश्ता एक सुंदर जीवन एक मधुर दिन ©Prakhar Tiwari प्रेम निष्ठा विश्वास मान सम्मान
प्रेम निष्ठा विश्वास मान सम्मान #विचार
read moreKunwar arun ¥
गिड़गिड़ा रहा है पेट को जहान बेईमान से कोई शर्मिदा हो रहा है अपने ही धर्म ईमान से कोई किया बदनाम है कुछ जाहिलों ने पूरी कौम को ऎसे सब्जी भी नहीं खरीद रहा है अब मुसलामान से कोई कुँवर अरुण Poet&writer lyricits shayar एक दो नीच लोगों ने पूरी कौम की विश्वसनीयता खो दी गाँव मे कोई बाहर के मुसलमान से #सब्जी नहीं खरीद रहा.... 😢 Read stories by *Kunwar arun ¥* o
एक दो नीच लोगों ने पूरी कौम की विश्वसनीयता खो दी गाँव मे कोई बाहर के मुसलमान से #सब्जी नहीं खरीद रहा.... 😢 Read stories by *Kunwar arun ¥* o #Poetry #wordporn #qotd #igwriters #nojotoapp #shayaris #writeraofindia
read morePrakhar Tiwari
सोमवार को ग्लेनमार्क फ़ार्मा ने करोना की दवाई निकाली 103 रूपेय की एक गोली 34 गोली का पत्ता 3500 रूपेय का , किसी मंत्रालय ने उसके दावे पर सवाल नहीं खड़ा किया , किसी ने उससे कोई सबूत नही माँगा की यह गोली करोना ठीक कर सकती है या नही पर जैसे ही बाबा रामदेव ने पाँच सौ रूपेय में करोना की किट निकाली सारे बुद्धिजीवी इसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करने लगे l आयुष मंत्रालय जो ख़ुद इस बीमारी से लड़ने के लिए आयुर्वेदिक काढ़े का ज़ोर शोर से प्रचार कर रहा है वो भी तलवार भाँजने लगा l इस घटना ने दिखा दिया की यह मंत्रालय कहने को भले ही मोदी जी और हर्षवर्धन के आधीन काम करता हो पर वास्तव में यह अंग्रेज़ी दवा कोंपनियों के इशारे पर नाचने वाली कठपुतली है l किसी सरकारी मंत्रालय ने आज तक Fair & Lovely क्रीम बनाने वाली कम्पनी से यह दावा सिद्ध करने को नहीं कहा की उनकी क्रीम से काली लड़की गोरी हो जाती है क्यों उनसे इन अधिकारियों को मोटी धनराशि जो मिलती है अपना मुँह बंद रखने के लिये l आज की तारीख़ में बाबा रामदेव की विश्वसनीयता आयुष मंत्रालय से सौ गुना अधिक है l यह दवाई बाज़ार में आने दो , जनता इसे हाथो हाथ लेगी l आयुष मंत्रालय वालों तुम देखते रहना l '"रामदेव बाबा "' को फांसी दो,करोडों रु का बिजनेस फेल करवाएगा ये बाबा,हस्पताल में 25 लाख का बिल कौन देगा ? तुम्हारा बाप ? "फेयर &लवली "से गोरे होते हैं,"साफी " से खून साफ होता है, "रूह अफ़जह" से रूह को ठंडक मिलती है,"कोलगेट" से दांत मजबूत होते है,"डोव" से गाल मलाई बन जाते है,मगर रामदेव के "गिलोय, "अश्वगंधा, तुलसी "के अर्क से करोना ठीक नहीं होता, "WHO "को एतराज है इस पर,,, सबूत चाहिए , सबूत "'बाबा रामदेव"' यकीनन इस सारे ठग संस्थानों के लिए खतरा है, इस लिए सारे '"चोर उच्चक्के "' इस समय बाबा की दवा के पीछे पड़े है, कम से कम इस डिप्रेशन के समय मे बाबा ने सारे भारत मे गरीब जनता के चेहरे पर,मुस्कुराहट जरूर ला दी है सोमवार को ग्लेनमार्क फ़ार्मा ने करोना की दवाई निकाली 103 रूपेय की एक गोली 34 गोली का पत्ता 3500 रूपेय का , किसी मंत्रालय ने उसके दावे पर सवा
सोमवार को ग्लेनमार्क फ़ार्मा ने करोना की दवाई निकाली 103 रूपेय की एक गोली 34 गोली का पत्ता 3500 रूपेय का , किसी मंत्रालय ने उसके दावे पर सवा
read moreNaresh Chandra
एक बात मेरी समझ में कभी नहीं आई कि ये फिल्म अभिनेता (या अभिनेत्री) ऐसा क्या करते हैं कि इनको एक फिल्म के लिए 50 करोड़ या 100 करोड़ रुपये मिलते हैं । सुशांत सिंह की मृत्यु के बाद भी यह चर्चा चली थी कि जब वह इंजीनियरिंग का टाॅपर था , तो फिर उसने फिल्म का क्षेत्र क्यों चुना था ? जिस देश में शीर्षस्थ वैज्ञानिकों , डाक्टरों , इंजीनियरों , प्राध्यापकों , अधिकारियों इत्यादि को प्रतिवर्ष 10 लाख से 20 लाख रुपये मिलता हो , जिस देश के राष्ट्रपति की कमाई प्रतिवर्ष 1 करोड़ से कम ही हो ; उस देश में एक फिल्म अभिनेता प्रतिवर्ष 10 करोड़ से 100 करोड़ रुपये तक कमा लेता है । आखिर ऐसा क्या करता है वह ? आखिर वह ऐसा क्या करता है कि उसकी कमाई एक शीर्षस्थ वैज्ञानिक से सैकड़ों गुना अधिक होती है ? आज तीन क्षेत्रों ने सबको मोह रखा है - सिनेमा , क्रिकेट और राजनीति । इन तीनों क्षेत्रों से सम्बन्धित लोगों की कमाई और प्रतिष्ठा सीमा से अधिक है । ये क्षेत्र आधुनिक युवाओं के आदर्श हैं , जबकि वर्तमान में इनकी विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लगे हैं । स्मरणीय है कि विश्वसनीयता के अभाव में चीजें प्रासंगिक नहीं रहतीं और जब चीजें महँगी हों , अविश्वसनीय हों , अप्रासंगिक हों ; तो वह व्यर्थ ही है । सोचिए कि यदि सुशांत या ऐसे कोई अन्य युवक या युवती आज इन क्षेत्रों की ओर आकर्षित होते हैं , तो क्या यह बिल्कुल अस्वाभाविक है ? मेरे विचार से तो नहीं ... कोई भी सामान्य व्यक्ति धन , लोकप्रियता और चकाचौंध से प्रभावित हो ही जाता है । बाॅलीवुड में ड्रग्स या वेश्यावृत्ति , क्रिकेट में मैच फिक्सिंग , राजनीति में गुंडागर्दी - इन सबके पीछे धन मुख्य कारक है और यह धन हम ही उन तक पहुँचाते हैं । हम ही अपना धन फूँककर अपनी हानि कर रहे हैं । यह मूर्खता की पराकाष्ठा है । 70-80 वर्ष पहले तक प्रसिद्ध अभिनेताओं को सामान्य वेतन मिला करता था । 30-40 वर्ष पहले तक भी इनकी कमाई बहुत अधिक नहीं थी । 30-40 वर्ष पहले तक क्रिकेटरों के भी भाव नीचे ही थे । 30-40 वर्ष पहले तक राजनीति इतनी पंकिल नहीं थी । धीरे-धीरे ये हमें लूटने में लगे रहे और हम शौक से खुशी-खुशी लुटते रहे । हम इन माफियाओं के चंगुल में फँसते रहे और अपने बच्चों का , अपने देश का भविष्य बर्बाद करते रहे । 50 वर्ष पहले तक भी फिल्में इतनी अश्लील नहीं बनती थीं , क्रिकेटर और नेता इतने अहंकारी नहीं थे , आज तो ये भगवान बन बैठे हैं । अब आवश्यकता है इनको सिर पर से उठाकर पटक देने का ताकि ये अपनी हैसियत समझें । वियतनाम के राष्ट्रपति हो-ची-मिन्ह एक बार भारत आए थे । भारतीय मंत्रियों के साथ हुई मीटिंग में उन्होंने पूछा - " आपलोग क्या करते हैं ?" इनलोगों ने कहा - " हमलोग राजनीति करते हैं ।" उन्होंने फिर पूछा - " राजनीति तो करते हैं , लेकिन इसके अलावा क्या करते हैं ?" इन लोगों ने फिर कहा - " हमलोग राजनीति करते हैं ।" हो-ची मिन्ह बोले - " राजनीति तो मैं भी करता हूँ ; लेकिन मैं किसान हूँ , खेती करता हूँ । खेती से मेरी आजीविका चलती है । सुबह-शाम मैं अपने खेतों में काम करता हूँ । दिन में राष्ट्रपति के रूप में देश के लिए अपना दायित्व निभाता हूँ ।" स्पष्ट है कि भारतीय नेताओं के पास इसका कोई उत्तर न था । बाद में एक सर्वेक्षण से पता चला कि भारत में 6 लाख से अधिक लोगों की आजीविका राजनीति है । आज यह संख्या करोड़ों में है । कुछ महीनों पहले ही जब कोरोना से यूरोप तबाह हो रहा था , डाक्टरों को महीनों से थोड़ा भी अवकाश नहीं मिल रहा था ; पुर्तगाल के एक डाॅक्टरनी ने खिजलाकर कहा था - " रोनाल्डो के पास जाओ न , जिसे तुम करोड़ों डाॅलर देते हो ; मैं तो कुछ हजार डाॅलर पाती हूँ ।" मेरा दृढ़ विचार है कि जिस देश में युवा छात्रों का आदर्श वैज्ञानिक , शोधार्थी , शिक्षाशास्त्री आदि न होकर उपरोक्त लोग होंगे , उनकी स्वयं की आर्थिक उन्नति भले ही हो जाए , देश उन्नत नहीं होगा । जिस देश के अनावश्यक और अप्रासंगिक क्षेत्र का वर्चस्व बढ़ता रहेगा , देश की समुचित प्रगति नहीं होगी । धीरे-धीरे देश में भ्रष्टाचारी देशद्रोहियों की संख्या ही बढ़ती रहेगी , ईमानदार लोग हाशिये पर चले जाएँगे , राष्ट्रवादी कठिन जीवन जीने को अभिशप्त होंगे । नोट : - सभी क्षेत्रों में अच्छे व्यक्ति भी होते हैं । उनका व्यक्तित्व मेरे लिए हमेशा सम्माननीय रहेगा । एक बात मेरी समझ में कभी नहीं आई कि ये फिल्म अभिनेता (या अभिनेत्री) ऐसा क्या करते हैं कि इनको एक फिल्म के लिए 50 करोड़ या 100 करोड़ रुपये मिल
एक बात मेरी समझ में कभी नहीं आई कि ये फिल्म अभिनेता (या अभिनेत्री) ऐसा क्या करते हैं कि इनको एक फिल्म के लिए 50 करोड़ या 100 करोड़ रुपये मिल #लक्ष्मीनरेश #दिल_की_आवाज़
read more