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Pratima pandey
करुणा काल की वजह से इंटरसिटी बंद थी वाराणसी आवागमन में.# वाराणसी इंटरसिटी एक्सप्रेस मार्च के बाद फिर से चालू होगा और वहीं ट्रेनों की संख्या #जानकारी
read moreEk villain
हाल में भारतीय रेलवे ट्रेनों को आपस में टकराने से बचाने के लिए स्वदेशी सुरक्षा तकनीकी कवच का सफल परीक्षण किया इसके लिए दो ट्रेनों को आमने सामने चलाया गया दो ट्रेन एक दूसरे के करीब 380 मीटर की दूरी पर रुक गई कवच लगने की वजह से ट्रेनों में अपने ब्रेक लगाए दरअसल भारतीय रेल से सुरक्षा हमेशा में एक बड़ी चुनौती रही है अब कवच तकनीकी का प्रयोग कर भारतीय रेल एक नया रचना जा रही है यह तकनीकी 160 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चल रही है ट्रेन को रोक देगी इसके प्रयोग से देश में आए दिन होने वाले ट्रेन हादसे के रोकथाम होगी जिससे रेलवे को नुकसान से राहत मिलेगी साथ ही लोगों की जान माल की सुरक्षा होगी कवच तकनीकी की जीरो एक्सीडेंट के लक्ष्य को प्राप्त करने में रेलवे की मदद के लिए विकसित किया गया है और उस स्थिति में स्वचालित रूप से रोक देगी अभी ट्रेन के होने की जानकारी मिलेगी रेल फाटक आने पर कवच तकनीकी खुद सीट बजाना शुरू कर देगी लोकपाल द्वारा लाल सिग्नल को नजरअंदाज किए जाने और सी ट्रेन जाएगी जिससे उस में टकराव की आशंका नहीं रहेगी स्वदेशी में निर्मित तकनीकी विदेशी सुरक्षा प्रणाली से बहुत सस्ती है कवच तकनीकी के संचालक 5000000 रुपए के प्रति किलोमीटर आएंगे जबकि विस्तार से इस तरह की सुरक्षा प्रणाली का खर्च प्रति किलोमीटर 2 करोड रुपए आएगा ©Ek villain #ट्रेनों को टकराने से रोकेगा कवच #Moon
arvind arora
जापान ने कैसे बचाया बुलेट ट्रेनों को भूकंप के झटके से -- गजब तकनीक - ARVIND YADAV 1717 good luck Golden Navbharat Gopal Barupal Er.ABHISHEK #Knowledge
read moreRakesh frnds4ever
उलझन इस बात की है कि हमें .......उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की दुनिया के झमेले की या मन के अकेले की पैसों की तंगी की या जीवन कि बेढंगी की रिश्तों में कटाक्ष की या फिर किसी बकवास की दुनिया की वीरानी की या फिर किसी तनहाई की अपनी व्यर्थता की या ज़िन्दगी की विवशता की खुद के भोलेपन की या फिर लोगो की चालाकी की अपनी खुद की खुशी की या दूसरों की चिंता की खुद की संतुष्टि की या फिर दूसरों से ईर्ष्या की खुद की भलाई की या फिर दूसरों की बुराई की धरती के संरक्षण की या फिर इसके विनाश की मनुष्य की कष्टता की या धरती मां की नष्टता की मानव की मानवता की या फिर इसकी हैवानियत की बच्चो के अपहरण की या बच्चियों के अंग हरण की प्यार की या नफरत की ,,जीने की या मरने कि,,, विश्वाश की या धोखे की,, प्रयास की या मौके की बदले की या परोपकार की,,, अहसान की या उपकार की ,,,,,,ओर ना जाने किन किन सुलझनों या उलझनों या उनके समस्याओं या समाधानों या उनके बीच की स्थिति या अहसासों की हमें उलझन है,,, की हम किस बात की उलझन है..==........... rkysky frnds4ever #उलझन इस बात की है कि,,, हमें ...... उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी #मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की #दुनि
आलोक कुमार
बस यूँ ही चलते-चलते ......... जरा सोचिए कि आजकल हमलोग खुद को बेहतर बनाने के लिए कौन-कौन से गलत/अभद्र नुस्खें अपनाते जा रहे हैं. ना ही उस नुस्खें के चरित्र, प्रकरण एवं उसके कारण दूसरे मनुष्य, आसपास, समाज, देश व आगामी पीढ़ी पर असर का ख्याल रख रहें हैं, न ही ख़यालों को किसी को समझने का मौक़ा दे रहे हैं. बस अपने ही धुन में उल्टी सीढ़ी के माध्यम से अपने आप को आगे समझते हुए सचमुच में बारम्बार नीचे ही चलते जा रहे है. तो जरा एक बार फिर सोचिए कि उल्टी सीढ़ी उतरने और सीधी सीढ़ी चढ़ने में क्रमशः कितनी ऊर्जा, शक्ति और समय लगती होगी. यह भी पता चलता है कि आज की पीढ़ी की ऊर्जा और शक्ति का किस दिशा में उपयोग हो रहा है और शायद यही कारण है कि आज का "गंगु तेली" तो "राजा भोज" बन गया और "राजा भोज", "गंगु तेली" बन कर सब गुणों से सक्षम रहने के बावज़ूद नारकीय जीवन जीने को मजबूर है. यही हकीकत है हम अधिकतर भारतवासियों का...... आगे का पता नहीं क्या होगा. शायद भगवान को एक नए रूप में अवतरित होना होगा. आज की पीढ़ी की सच्चरित्र की हक़ीक़त
आज की पीढ़ी की सच्चरित्र की हक़ीक़त
read moreAnuj Ray
खुशबू चरित्र की" खुशबू चरित्र की, हीरे सी चमकती है, फूलों सी महकती है। खुशबू चरित्र की, जीवन के आईने में, सूरज सी दमकती है। खुशबू चरित्र की, आदर्श भी गढ़ती है, इतिहास भी रचती है। ©Anuj Ray # खुशबू की चरित्र की"
# खुशबू की चरित्र की" #कविता
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