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Himanshu Prajapati
ना समझ आया, ना समझाया गया, हम मोहब्बत की गलियों में भटकते रहे, दिल जुड़ा दिल टूटा, पर ये क्यों हुआ ना बताया गया..! ©Himanshu Prajapati #lovetaj ना समझ आया, ना समझाया गया, हम मोहब्बत की गलियों में भटकते रहे, दिल जुड़ा दिल टूटा, पर ये क्यों हुआ ना बताया गया..! #36gyan #hpstra
B Rani
White Ek Ajib sa sukun hai tumhari bataon men... jab bhi bat hoti hai ko bahut sukun milata hai... Iam very sad . ©B Rani #Sad_Status sadशायरी हिंदी में शायरी हिंदी में
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read moreबादल सिंह 'कलमगार'
तेरी पूजा करू तेरा नाम पुकारू... #badalsinghkalamgar #maa Poetry #Hindi #Bhakti हिंदी कविता vimlesh Gautamhttps://youtube.com/@jin
read moreFuck off nojoto
उस से कहियो कि दिल की गलियों में , रात दिन तेरी इंतिज़ारी है .. हिज्र हो या विसाल हो कुछ हो , हम हैं और उस की यादगारी है .. ©Arshu.... उस से कहियो कि दिल की गलियों में रात दिन तेरी इंतिज़ारी है हिज्र हो या विसाल हो कुछ हो हम हैं और उस की यादगारी है Sethi Ji प्रज्ञा Ritu
उस से कहियो कि दिल की गलियों में रात दिन तेरी इंतिज़ारी है हिज्र हो या विसाल हो कुछ हो हम हैं और उस की यादगारी है Sethi Ji प्रज्ञा Ritu
read moreAnant Nag Chandan
रूह खोई हुई है बनारस की गलियों में, जिस्म भटक रहा रांची की सड़कों में। अनंत ©Anant Nag Chandan रूह खोई हुई है बनारस की गलियों में, जिस्म भटक रहा रांची की सड़कों में। अनंत
रूह खोई हुई है बनारस की गलियों में, जिस्म भटक रहा रांची की सड़कों में। अनंत
read moreRSTM Tekam
White दर्द में और तू खुल के मुस्कुराना सीख ले अपनी हसरतों को सबको जाताना सीख ले अपनी कमियों को तू अपना हथियार बना इस तरह जिदगी का कर्ज चुकाना सीख ले।। ©RSTM Tekam #raksha_bandhan_2024 शायरी हिंदी में शायरी हिंदी में
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read moreRabindra Kumar Ram
White " इक ख़्याल हम से भी हैं तुम हो जो कहीं मुकर रहे , तुम्हें अंदाजा हैं कोई इस तरह , रुख तो किया मैंने तेरे गलियों का , इक तुम हो जो दरीचों पे नज़र नहीं आ रहे . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " इक ख़्याल हम से भी हैं तुम हो जो कहीं मुकर रहे , तुम्हें अंदाजा हैं कोई इस तरह , रुख तो किया मैंने तेरे गलियों का , इक तुम हो जो दरीचों पे
" इक ख़्याल हम से भी हैं तुम हो जो कहीं मुकर रहे , तुम्हें अंदाजा हैं कोई इस तरह , रुख तो किया मैंने तेरे गलियों का , इक तुम हो जो दरीचों पे
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