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IG @kavi_neetesh
शीर्षक : *धनतेरस* 🚩🙏 चहात तो रखते है ,धन की सभी जन । पर उस धन का वो,उपयोग नही करते। धन आने पर बंद,तिजोरी में करते है। पर लक्ष्मीजी तो लोगों,चंचल होती है। तो उन्हें कैद तुम ,कैसे कर सकते हो।। धन और विद्या में ,बहुत अंतर होता है। दोनों का मिलन भी,बहुत कम होता है। वास जहाँ लक्ष्मीजी करती है अभाव वहाँ सरास्वती का होता है। बड़ा ही अजीब खेल, ,उस विद्यता ने रचा है। जहाँ दोनों का साथ ,कम ही रहता है।। विद्या से जो करते है,धन का उपयोग। वही पुण्यात्मा और दानवीर कहलाते है। इसलिए समाज में, उच्च स्थान पाते है। और जरूरत मंदो को,उच्च शिक्षा दिलाते है। और शिक्षित समाज का निर्माण कर पाते है।। ©IG @kavi_neetesh #HappyDhanteras हिंदी दिवस पर कविता कविताएं कविता कोश हिंदी कविता प्रेरणादायी कविता हिंदी शीर्षक : *धनतेरस* 🚩🙏 चहात तो रखते है ,धन की सभी
#HappyDhanteras हिंदी दिवस पर कविता कविताएं कविता कोश हिंदी कविता प्रेरणादायी कविता हिंदी शीर्षक : *धनतेरस* 🚩🙏 चहात तो रखते है ,धन की सभी
read moreवैभव जैन
मम गुरु विद्या गुरु विद्यागुरु के गुण ग्रहण,लघुता रखो स्वयं भरपूर. लघुता से प्रभुता मिले,आशीष मिल रहा भरपूर. विद्यागुरु जी साधे जग के, साधन सभी असाध्य. गुरु-पूजन, गुरु-वंदना,आप ही है परम आराध्य. ©वैभव जैन #गुरु विद्या गुरु
#गुरु विद्या गुरु
read moreवैभव जैन
मम गुरु विद्यागुरु गुरु सूर्य है बड़े अम्बर से है वो विशाल. गुरु गरिमा से नहीं है कोई बड़ा आकार. पल पल हमको गढ़ रहे, मूरत होती तैयार विद्यागुरु का सान्निध्य ही हैं बड़ा उपहार. ©वैभव जैन #विद्या गुरु
#विद्या गुरु
read moreankita
महाभारत लेखन की कथा: पुराणों के अनुसार, महर्षि वेद व्यास ने भगवान ब्रह्मा से एक योग्य लेखक की मांग की, जो उनकी महाभारत की रचना को लिपिबद्ध
read moreDevesh Dixit
White गुरु (दोहे) गुरु मिलता जब शिष्य को, मिलती खुशी अपार। देते विद्या दान हैं, भरे ज्ञान भंडार।। गुरु की महिमा है बड़ी, शिक्षा दे भरपूर। बिन पानी साबुन बिना, दोष करे वो दूर।। शिष्य करे जो अर्चना, गुरु का हो सम्मान। विद्या से जीवन खिले, पूरे हों अरमान।। गुरु जैसा ज्ञानी नहीं, वही ज्ञान का सार। निर्माता ये भाग्य के, जीवन का आधार।। गुरु बिन है विद्या नहीं, और कहाँ फिर ज्ञान। पशुवत होती जिंदगी, पाता कष्ट महान।। विद्या जो धारण करे, बनता वही महान। गुरु को रहती लालसा, सबका हो सम्मान।। ........................................................ देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #teachers_day गुरु (दोहे) गुरु मिलता जब शिष्य को, मिलती खुशी अपार। देते विद्या दान हैं, भरे ज्ञान भंडार।। गुरु की महिमा है बड़ी, शिक्षा द
#teachers_day गुरु (दोहे) गुरु मिलता जब शिष्य को, मिलती खुशी अपार। देते विद्या दान हैं, भरे ज्ञान भंडार।। गुरु की महिमा है बड़ी, शिक्षा द
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इस कलयुग में मनुष्य ही असुर हैं और आसुरी भी मन के भाव और भावनाएं दूषित हो तो नकारात्मक सोच और विकार ग्रसित कर देती हैं मन के विकार मनके छह प्रकार के विकार उत्पन्न होते है। इनको छह रीपु भी कहते है। यथा काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह, मात्सर्य स्वार्थ , ईर्ष्या , क्रोध , अहंकार , घमंड, अभिमान , गुस्सा , लालची स्वभाव , नास्तिक व्यवहार , असत्य ,झूठ , अपशब्द , दुष्टता, यह सब नरक के द्वार खोलते हैं और इन्हीं सबसे मनुष्य की पतन होती हैं ©person इस कलयुग में मनुष्य ही असुर हैं और आसुरी भी मन के भाव और भावनाएं दूषित हो तो नकारात्मक सोच और विकार ग्रसित कर देती हैं मन के विकार मनके
इस कलयुग में मनुष्य ही असुर हैं और आसुरी भी मन के भाव और भावनाएं दूषित हो तो नकारात्मक सोच और विकार ग्रसित कर देती हैं मन के विकार मनके
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