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Anjali Jain
आज अर्जुन के बाणों द्वारा पितामह भीष्म का वध, फ़िर भी भीष्म द्वारा निहाल होकर आशीर्वाद दिया जाना - "आयुष्मान भव अर्जुन ", आचार्य द्रोण को बधाई देना - आपके शिष्य ने मेरी छाती छलनी कर दी, आचार्य द्रोण, बधाई हो! अविस्मरणीय दृश्य, मर्मांतक पीड़ा, आज का दृश्य उतना ही पीड़ा दायी था जितना द्रोपदी का चीर हरण! भीष्म की आत्म शांति भी दर्शनीय थी क्योंकि दुर्योधन के पक्ष में युद्ध करने की विवशता से वे भी मुक्ति चाहते थे शायद! शिखण्डी के चेहरे से छलकती तृप्ति, अन्य सभी परिजन के चेहरों से टपकती पीड़ा, आज कई भावों को सब ने एकसाथ भोगा! महाभारत की युद्धभूमि का सबसे महान, विशाल शक्तिशाली और पुरातन वट वृक्ष आज धराशायी हो गया! विविध भाव - सरिताएँ, दुख के असीम पारावार में जा मिली!! मुकेश खन्ना द्वारा भीष्म पितामह के चरित्र को इस जीवंतता से निभाना कि इससे अलग भीष्म का रूप और क्या होगा? शानदार! शानदार! #पितामह भीष्म #
#पितामह भीष्म #
read morePoetry दिल से..!
पितामह भीष्म द्रोणाचार्य की विद्द्या से मर जाता, करण के अस्त्र से ही ये न जाने कब बिखर जाता, धनुर्धारी सुनो अर्जुन,कहा मोहन कन्हैया ने, अगर #story #nojotohindi #महाभारत
read moreVikas Sharma Shivaaya'
महाभारत का एक सार्थक प्रसंग🙏 महाभारत युद्ध समाप्त हो चुका था. युद्धभूमि में यत्र-तत्र योद्धाओं के फटे वस्त्र, मुकुट, टूटे शस्त्र, टूटे रथों के चक्के, छज्जे आदि बिखरे हुए थे और वायुमण्डल में पसरी हुई थी घोर उदासी .... ! गिद्ध , कुत्ते , सियारों की उदास और डरावनी आवाजों के बीच उस निर्जन हो चुकी उस भूमि में *द्वापर का सबसे महान योद्धा* *"देवव्रत" (भीष्म पितामह)* शरशय्या पर पड़ा सूर्य के उत्तरायण होने की प्रतीक्षा कर रहा था -- अकेला .... ! तभी उनके कानों में एक परिचित ध्वनि शहद घोलती हुई पहुँची , "प्रणाम पितामह" .... !! भीष्म के सूख चुके अधरों पर एक मरी हुई मुस्कुराहट तैर उठी , बोले , " आओ देवकीनंदन .... ! स्वागत है तुम्हारा .... !! मैं बहुत देर से तुम्हारा ही स्मरण कर रहा था" .... !! कृष्ण बोले , "क्या कहूँ पितामह ! अब तो यह भी नहीं पूछ सकता कि कैसे हैं आप" .... ! भीष्म चुप रहे , कुछ क्षण बाद बोले," पुत्र युधिष्ठिर का राज्याभिषेक करा चुके केशव ... ? उनका ध्यान रखना , परिवार के बुजुर्गों से रिक्त हो चुके राजप्रासाद में उन्हें अब सबसे अधिक तुम्हारी ही आवश्यकता है" .... ! कृष्ण चुप रहे .... ! भीष्म ने पुनः कहा , "कुछ पूछूँ केशव .... ? बड़े अच्छे समय से आये हो .... ! सम्भवतः धरा छोड़ने के पूर्व मेरे अनेक भ्रम समाप्त हो जाँय " .... !! कृष्ण बोले - कहिये न पितामह ....! एक बात बताओ प्रभु ! तुम तो ईश्वर हो न .... ? कृष्ण ने बीच में ही टोका , "नहीं पितामह ! मैं ईश्वर नहीं ... मैं तो आपका पौत्र हूँ पितामह ... ईश्वर नहीं ...." भीष्म उस घोर पीड़ा में भी ठठा के हँस पड़े .... ! बोले , " अपने जीवन का स्वयं कभी आकलन नहीं कर पाया कृष्ण , सो नहीं जानता कि अच्छा रहा या बुरा , पर अब तो इस धरा से जा रहा हूँ कन्हैया , अब तो ठगना छोड़ दे रे .... !! " कृष्ण जाने क्यों भीष्म के पास सरक आये और उनका हाथ पकड़ कर बोले .... " कहिये पितामह .... !" भीष्म बोले , "एक बात बताओ कन्हैया ! इस युद्ध में जो हुआ वो ठीक था क्या .... ?" "किसकी ओर से पितामह .... ? पांडवों की ओर से .... ?" " कौरवों के कृत्यों पर चर्चा का तो अब कोई अर्थ ही नहीं कन्हैया ! पर क्या पांडवों की ओर से जो हुआ वो सही था .... ? आचार्य द्रोण का वध , दुर्योधन की जंघा के नीचे प्रहार , दुःशासन की छाती का चीरा जाना , जयद्रथ के साथ हुआ छल , निहत्थे कर्ण का वध , सब ठीक था क्या .... ? यह सब उचित था क्या .... ?" इसका उत्तर मैं कैसे दे सकता हूँ पितामह .... ! इसका उत्तर तो उन्हें देना चाहिए जिन्होंने यह किया ..... !! उत्तर दें दुर्योधन का वध करने वाले भीम , उत्तर दें कर्ण और जयद्रथ का वध करने वाले अर्जुन .... !! मैं तो इस युद्ध में कहीं था ही नहीं पितामह .... !! "अभी भी छलना नहीं छोड़ोगे कृष्ण .... ? अरे विश्व भले कहता रहे कि महाभारत को अर्जुन और भीम ने जीता है , पर मैं जानता हूँ कन्हैया कि यह तुम्हारी और केवल तुम्हारी विजय है .... ! मैं तो उत्तर तुम्ही से पूछूंगा कृष्ण .... !" "तो सुनिए पितामह .... ! कुछ बुरा नहीं हुआ , कुछ अनैतिक नहीं हुआ .... ! वही हुआ जो हो होना चाहिए .... !" "यह तुम कह रहे हो केशव .... ? मर्यादा पुरुषोत्तम राम का अवतार कृष्ण कह रहा है ....? यह छल तो किसी युग में हमारे सनातन संस्कारों का अंग नहीं रहा, फिर यह उचित कैसे गया ..... ? " *"इतिहास से शिक्षा ली जाती है पितामह , पर निर्णय वर्तमान की परिस्थितियों के आधार पर लेना पड़ता है .... !* हर युग अपने तर्कों और अपनी आवश्यकता के आधार पर अपना नायक चुनता है .... !! राम त्रेता युग के नायक थे , मेरे भाग में द्वापर आया था .... ! हम दोनों का निर्णय एक सा नहीं हो सकता पितामह .... !!" " नहीं समझ पाया कृष्ण ! तनिक समझाओ तो .... !" " राम और कृष्ण की परिस्थितियों में बहुत अंतर है पितामह .... ! राम के युग में खलनायक भी ' रावण ' जैसा शिवभक्त होता था .... !! तब रावण जैसी नकारात्मक शक्ति के परिवार में भी विभीषण जैसे सन्त हुआ करते थे ..... ! तब बाली जैसे खलनायक के परिवार में भी तारा जैसी विदुषी स्त्रियाँ और अंगद जैसे सज्जन पुत्र होते थे .... ! उस युग में खलनायक भी धर्म का ज्ञान रखता था .... !! इसलिए राम ने उनके साथ कहीं छल नहीं किया .... ! किंतु मेरे युग के भाग में में कंस , जरासन्ध , दुर्योधन , दुःशासन , शकुनी , जयद्रथ जैसे घोर पापी आये हैं .... !! उनकी समाप्ति के लिए हर छल उचित है पितामह .... ! पाप का अंत आवश्यक है पितामह , वह चाहे जिस विधि से हो .... !!" "तो क्या तुम्हारे इन निर्णयों से गलत परम्पराएं नहीं प्रारम्भ होंगी केशव .... ? क्या भविष्य तुम्हारे इन छलों का अनुशरण नहीं करेगा .... ? और यदि करेगा तो क्या यह उचित होगा ..... ??" *" भविष्य तो इससे भी अधिक नकारात्मक आ रहा है पितामह .... !* *कलियुग में तो इतने से भी काम नहीं चलेगा .... !* *वहाँ मनुष्य को कृष्ण से भी अधिक कठोर होना होगा .... नहीं तो धर्म समाप्त हो जाएगा .... !* *जब क्रूर और अनैतिक शक्तियाँ सत्य एवं धर्म का समूल नाश करने के लिए आक्रमण कर रही हों, तो नैतिकता अर्थहीन हो जाती है पितामह* .... ! तब महत्वपूर्ण होती है विजय , केवल विजय .... ! *भविष्य को यह सीखना ही होगा पितामह* ..... !!" "क्या धर्म का भी नाश हो सकता है केशव .... ? और यदि धर्म का नाश होना ही है , तो क्या मनुष्य इसे रोक सकता है ..... ?" *"सबकुछ ईश्वर के भरोसे छोड़ कर बैठना मूर्खता होती है पितामह .... !* *ईश्वर स्वयं कुछ नहीं करता ..... !*केवल मार्ग दर्शन करता है* *सब मनुष्य को ही स्वयं करना पड़ता है .... !* आप मुझे भी ईश्वर कहते हैं न .... ! तो बताइए न पितामह , मैंने स्वयं इस युद्घ में कुछ किया क्या ..... ? सब पांडवों को ही करना पड़ा न .... ? यही प्रकृति का संविधान है .... ! युद्ध के प्रथम दिन यही तो कहा था मैंने अर्जुन से .... ! यही परम सत्य है ..... !!" भीष्म अब सन्तुष्ट लग रहे थे .... ! उनकी आँखें धीरे-धीरे बन्द होने लगीं थी .... ! उन्होंने कहा - चलो कृष्ण ! यह इस धरा पर अंतिम रात्रि है .... कल सम्भवतः चले जाना हो ... अपने इस अभागे भक्त पर कृपा करना कृष्ण .... !" *कृष्ण ने मन मे ही कुछ कहा और भीष्म को प्रणाम कर लौट चले , पर युद्धभूमि के उस डरावने अंधकार में भविष्य को जीवन का सबसे बड़ा सूत्र मिल चुका था* .... ! *जब अनैतिक और क्रूर शक्तियाँ सत्य और धर्म का विनाश करने के लिए आक्रमण कर रही हों, तो नैतिकता का पाठ आत्मघाती होता है ....।।* *धर्मों रक्षति रक्षितः* 🚩🚩 विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 706 से 717 नाम 706 सन्निवासः विद्वानों के आश्रय है 707 सुयामुनः जिनके यामुन अर्थात यमुना सम्बन्धी सुन्दर हैं 708 भूतावासः जिनमे सर्व भूत मुख्य रूप से निवास करते हैं 709 वासुदेवः जगत को माया से आच्छादित करते हैं और देव भी हैं 710 सर्वासुनिलयः सम्पूर्ण प्राण जिस जीवरूप आश्रय में लीन हो जाते हैं 711 अनलः जिनकी शक्ति और संपत्ति की समाप्ति नहीं है 712 दर्पहा धर्मविरुद्ध मार्ग में रहने वालों का दर्प नष्ट करते हैं 713 दर्पदः धर्म मार्ग में रहने वालों को दर्प(गर्व) देते हैं 714 दृप्तः अपने आत्मारूप अमृत का आखादन करने के कारण नित्य प्रमुदित रहते हैं 715 दुर्धरः जिन्हे बड़ी कठिनता से धारण किया जा सकता है 716 अथापराजितः जो किसी से पराजित नहीं होते 717 विश्वमूर्तिः विश्व जिनकी मूर्ति है 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' महाभारत का एक सार्थक प्रसंग🙏 महाभारत युद्ध समाप्त हो चुका था. युद्धभूमि में यत्र-तत्र योद्धाओं के फटे वस्त्र, मुकुट, टूटे शस्त्र, टूटे रथों
महाभारत का एक सार्थक प्रसंग🙏 महाभारत युद्ध समाप्त हो चुका था. युद्धभूमि में यत्र-तत्र योद्धाओं के फटे वस्त्र, मुकुट, टूटे शस्त्र, टूटे रथों #समाज
read moreनेहा उदय भान गुप्ता
है ये अनुपम, अद्वितीय, अनूठा अप्रतिम, बदले के भावना की कथा पुरानी। उदय दुलारी नेह आज लिखेगी, अम्बा से शिखंडिनी बनने की सारी कहानी।। बाक़ी कैप्शन में पढ़े👇👇 महाभारत का अध्याय यही, महाभारत का सार यही। हर एक का वर्णन करेगी, उदय दुलारी नेह आज यही।। बहुत पुरानी बात है, भारतवर्ष में था हस्तिनापुर
महाभारत का अध्याय यही, महाभारत का सार यही। हर एक का वर्णन करेगी, उदय दुलारी नेह आज यही।। बहुत पुरानी बात है, भारतवर्ष में था हस्तिनापुर #yqbaba #yqdidi #myquote #YourQuoteAndMine #yqquotes #openforcollab #collabwithmitali #amba_se_shikhandini
read moreनेहा उदय भान गुप्ता😍🏹
है ये अनुपम, अद्वितीय, अनूठा अप्रतिम, बदले के भावना की कथा पुरानी। उदय दुलारी नेह आज लिखेगी, अम्बा से शिखंडिनी बनने की सारी कहानी।। बाक़ी कैप्शन में पढ़े👇👇 महाभारत का अध्याय यही, महाभारत का सार यही। हर एक का वर्णन करेगी, उदय दुलारी नेह आज यही।। बहुत पुरानी बात है, भारतवर्ष में था हस्तिनापुर
महाभारत का अध्याय यही, महाभारत का सार यही। हर एक का वर्णन करेगी, उदय दुलारी नेह आज यही।। बहुत पुरानी बात है, भारतवर्ष में था हस्तिनापुर #yqbaba #yqdidi #myquote #YourQuoteAndMine #yqquotes #openforcollab #collabwithmitali #amba_se_shikhandini
read moreJyotish Jha
माँ से शुरू माँ से ही अंत हो, मेरी जिंदिगी का हरएक पल माँ तेरे ही संग हो| #drjyotishwrites #bestmom मैं अब से कई वर्षों से उससे दूर हूं, लेकिन हर पल, हर तकलीफ में, हर अच्छे वक़्त में उसकी स्मरण करता हूँ, और मैं जब
#drjyotishwrites #bestmom मैं अब से कई वर्षों से उससे दूर हूं, लेकिन हर पल, हर तकलीफ में, हर अच्छे वक़्त में उसकी स्मरण करता हूँ, और मैं जब #yqbaba #part_2 #yostowrimomday #भाग_दो #wcmothersdayspecial
read moreपंडित सुधाकर शर्मा
जिस देश भारत में पितामह भीष्म से रणधीर थें, जिनकी प्रतिज्ञा के वचन अति घोर थे गंभीर थे। कुरु वंश संरक्षक बने जो मीचु को झुठला गए, पर स्नेहवश निज मृत्यु के भी भेद को बतला गए। वह सोम वंशी शूर क्षत्रिय धर्म प्राण महान थें, सद्धर्म हेतु अधीर वह मानव चरित्र प्रमाण थे। "भीष्म पितामह "
"भीष्म पितामह "
read moreVivek Singh rajawat
"भीष्म पितामह" अपनी शक्ति की ध्वजा हाथों में लहराता हुआ, वो बढ़ा अपनो में शस्त्रों को बरसाता हुआ। कोई नही हैं आज जो रोक पाए वीर को, दुश्मनों के मध्य भी जो न माने हार को। जिनको खिलाया था कभी पालने में, उनको लगा अभी मृत्युलोक पहुचाने में। नेत्रों को अश्रुओं से भर प्रत्यंचा को चढ़ाया, हृदय सम्भाल, युद्ध को सत्य धर्म बतलाया। एक ओर अर्जुन लगे प्राणों से भी प्यारा, दूसरी ओर कदाचित वचन न टूटे तुम्हारा। तुमने कसम खाई श्रीकृष्ण को सुदर्शन सम्भालवाने की, शिखंडी ने भी ठानी तुम्हें अर्जुन के द्वारा मरवाने की। हैं आज देखो माँ बाण गंगा का प्यार बेटा, बेबस मृत्यु को व्याकुल बाण शैया पर प्यासा लेटा। जब प्यासे अधर बुलाते है, तब अर्जुन प्यास बुझाते हैं, ये कैसे नाते-रिश्ते हैं, पहिये में काल के पिसते हैं। विवेक सिंह राजावत। भीष्म पितामह
भीष्म पितामह
read moreEk villain
जन्म के बाद बालअवस्था युवाअवस्था के बाद वृद्धअवस्था भी आती है सबसे ज्यादा कष्ट वृद्धावस्था में ही मिलता है परिवार में संस्कारों का माहौल बना होने पर घर के सदस्य उसी वृद्ध की देखभाल करते हैं वही खुद वृद्ध हुए व्यक्ति ने अगर जीवन में सदाचार का पालन नहीं किया हो तब हो सकता है कि बाद की पीढ़ी भी उसी का अनुसरण करने लगे जाए महाभारत युद्ध के दौरान प्रबल प्रतापी भीष्म पितामह शेर सोया पर लेटने को मजबूर हो गए भीष्म जैसे वीर योद्धा की यह स्थिति उनके धनात्मक जीवन का प्रतिफल ही प्रतीत होता है वह शरीर से दुर्योधन के साथ थे जबकि मन से पांडवों के साथ थे ©Ek villain #भीष्म पितामह मन से पांडवों के साथ थे और शरीर से दुर्योधन के साथ
Kritsan Blaze
गुरु भगवान परशुराम जी के 3 महान शिष्य-: 1.) भीष्म पितामह 2.) द्रोणाचार्य 3.) दानवीर कर्ण #JulyCreators
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