Find the Best भीष्म Shayari, Status, Quotes from top creators only on Gokahani App. Also find trending photos & videos aboutबाणों की शैया पर भीष्म, देवव्रत की भीष्म प्रतिज्ञा, गंगापुत्र भीष्म का युद्ध, गंगापुत्र भीष्म पितामह का वध, पितामह भीष्म कौन थे,
Sarita Singh
ओ पितामह भीष्म, पी गए क्यूं क्रोध को , जब द्रोपदी का चीर खींचा, दुष्ट दुशासन ने, ओ पितामह भीष्म, दांव पर लगने दिया क्यूं, कुलवधु को, तुमने जुए के खेल में, ओ पितामह भीष्म , हां ये भावना , बहुत मानव, बना देती है देवों को, ओ पितामह भीष्म, तुमने देवत्व क्यूं ना छोड़ दिया, मानवता के लिए, ओ पितामह भीष्म , कृष्ण के क्रोध ने , उन्हें ऊंचा उठा दिया, देव या मानव नहीं, ईश्वर बना दिया, #क्रोध #भीष्म #कृष्ण
Ek villain
जन्म के बाद बालअवस्था युवाअवस्था के बाद वृद्धअवस्था भी आती है सबसे ज्यादा कष्ट वृद्धावस्था में ही मिलता है परिवार में संस्कारों का माहौल बना होने पर घर के सदस्य उसी वृद्ध की देखभाल करते हैं वही खुद वृद्ध हुए व्यक्ति ने अगर जीवन में सदाचार का पालन नहीं किया हो तब हो सकता है कि बाद की पीढ़ी भी उसी का अनुसरण करने लगे जाए महाभारत युद्ध के दौरान प्रबल प्रतापी भीष्म पितामह शेर सोया पर लेटने को मजबूर हो गए भीष्म जैसे वीर योद्धा की यह स्थिति उनके धनात्मक जीवन का प्रतिफल ही प्रतीत होता है वह शरीर से दुर्योधन के साथ थे जबकि मन से पांडवों के साथ थे ©Ek villain #भीष्म पितामह मन से पांडवों के साथ थे और शरीर से दुर्योधन के साथ
#भीष्म पितामह मन से पांडवों के साथ थे और शरीर से दुर्योधन के साथ
read more"Bittu"@Dil shayarana
अंतिम सांस गिन रहे #जटायु ने कहा कि "मुझे पता था कि मैं #रावण से नही जीत सकता लेकिन फिर भी मैं लड़ा ..यदि मैं नही लड़ता तो आने वाली #पीढियां मुझे कायर कहतीं" जब रावण ने जटायु के दोनों पंख काट डाले... तो मृत्यु आई और जैसे ही मृत्यु आयी... तो गिद्धराज जटायु ने मृत्यु को ललकार कहा... "खबरदार ! ऐ मृत्यु ! आगे बढ़ने की कोशिश मत करना..! मैं तुझ को स्वीकार तो करूँगा... लेकिन तू मुझे तब तक नहीं छू सकती... जब तक मैं माता #सीता जी की "सुधि" प्रभु "#श्रीराम" को नहीं सुना देता...! मौत उन्हें छू नहीं पा रही है... काँप रही है खड़ी हो कर...मौत तब तक खड़ी रही, काँपती रही... यही इच्छा मृत्यु का वरदान जटायु को मिला । किन्तु #महाभारत के #भीष्म_पितामह छह महीने तक बाणों की #शय्या पर लेट करके मृत्यु की प्रतीक्षा करते रहे... आँखों में आँसू हैं ...वे पश्चाताप से रो रहे हैं... भगवान मन ही मन मुस्कुरा रहे हैं...! कितना अलौकिक है यह दृश्य... #रामायण मे जटायु भगवान की गोद रूपी शय्या पर लेटे हैं... प्रभु "श्रीराम" रो रहे हैं और जटायु हँस रहे हैं... वहाँ महाभारत में भीष्म पितामह रो रहे हैं और भगवान "#श्रीकृष्ण" हँस रहे हैं... भिन्नता प्रतीत हो रही है कि नहीं... ? अंत समय में जटायु को प्रभु "श्रीराम" की #गोद की शय्या मिली... लेकिन भीष्म पितामह को मरते समय #बाण की शय्या मिली....! जटायु अपने #कर्म के बल पर अंत समय में भगवान की #गोद रूपी शय्या में प्राण त्याग रहे हैं.. प्रभु "श्रीराम" की #शरण में..... और बाणों पर लेटे लेटे भीष्म पितामह रो रहे हैं.... ऐसा अंतर क्यों?... ऐसा अंतर इसलिए है कि भरे दरबार में भीष्म *पितामह* ने #द्रौपदी चीरहरन देखा था... विरोध नहीं कर पाये और मौन रह गए थे ...! दुःशासन को ललकार देते... दुर्योधन को ललकार देते... तो उनका साहस न होता, लेकिन द्रौपदी रोती रही... #बिलखती रही... #चीखती रही... #चिल्लाती रही... लेकिन भीष्म पितामह सिर झुकाये बैठे रहे... #नारी की #रक्षा नहीं कर पाये...! उसका परिणाम यह निकला कि इच्छा मृत्यु का वरदान पाने पर भी बाणों की शय्या मिली और .... जटायु ने नारी का सम्मान किया... अपने प्राणों की आहुति दे दी... तो मरते समय भगवान "श्रीराम" की गोद की शय्या मिली...! जो दूसरों के साथ गलत होते देखकर भी आंखें मूंद लेते हैं ... उनकी गति #भीष्म जैसी होती है ... जो अपना परिणाम जानते हुए भी...औरों के लिए #संघर्ष करते है, उसका माहात्म्य #जटायु जैसा #कीर्तिवान होता है । अतः सदैव #गलत का #विरोध जरूर करना चाहिए । "#सत्य" #परेशान जरूर होता है, पर #पराजित नहीं ।। ©"Bittu"@Dil shayarana #विचार #NojotoRamleela
#विचार Ramleela
read morebhishma pratap singh
bhishma pratap singh
बिहार, झारखण्ड में छठ पूजा की तैयारियाँ बड़े ही उत्साह और पूर्ण श्रद्धा के साथ जाती है। विशेष रूप से हिन्दुओं का यह त्योहार वहां के लोगों की आस्था और निष्ठा का पर्व है जो दीवाली के चौथे दिन से आरम्भ होता है और छठ की पूजा के दिन समाप्त होता है।36 घण्टों का उपवास होता है। त्योहार मुख्यतः सूर्यदेव को अर्घ्य दोनों प्रात: तथा सन्ध्या समय व्रती महिलाओं (तथा पुरुषों द्वारा भी किया जाता है) पूरी स्वच्छता और सजगता के साथ साथ मनाते हैं। सेना में क्योंकि सर्व धर्म समभाव को बढ़ावा दिया जाता है इसलिए वहाँ के अधिकांश लोग इसकी अच्छी-खासी जानकारी प्राप्त कर लेते हैं और कुछ तो ये व्रत करने भी लगते हैं। इसी का परिणाम है कि आजकल इस पर्व की मान्यता भारत में ही नहीं सम्पूर्ण विश्व में तेजी से प्रचलित हो रही है। छठी के दिन व्रत का समापन दिन होता है तथा छठ मैया से अपनी मनोकामना पूर्ण हो जाने की विनती की जाती है, इसलिए छठ मईया और सूर्य देव दोनों के पूजन का विधान है। ©bhishma pratap singh #छठ पूजा#बिहार प्रदेश का अत्यंत कठिन व महत्वपूर्ण पर्व#इतिहास और पौराणिक कथा #भीष्म प्रताप सिंह #chhathpuja#नवंबर क्रिएटर
#छठ पूजाबिहार प्रदेश का अत्यंत कठिन व महत्वपूर्ण पर्वइतिहास और पौराणिक कथा #भीष्म प्रताप सिंह #chhathpuja#नवंबर क्रिएटर
read morebhishma pratap singh
बाल दिवस बोलो बच्चो, हम किसके लिये मनाते हैं? किसके लिये उपहार मिठाई, बोलो लेकर आते हैं? विविध प्रकार के खेलों का हम, क्यों करते हैं आयोजन? बोलो बच्चो बाल दिवस का, क्या होता है प्रयोजन? सब बच्चों ने एक ही स्वर में, कहा ये दिवस हमारा है। खेलों का आयोजन भी तो, हमारे लिये ही सारा है।। ये उपहार मिठाईयाँ सब, हम सभी में बाँटे जायेंगे। नाना प्रकार की प्रतियोगिताओं, में सब खेल दिखाएंगे।। जो भी अच्छे खेलेंगे हम, उनको मिलेंगे ये उपहार। आज हमारे लिए हुई है, मिठाईयों की सारी भरमार।। नेहरू जी के जन्म दिवस पर, बन गया बाल दिवस त्योहार। कहते हैं चाचा नेहरू करते, थे सब बच्चों से प्यार।। ©bhishma pratap singh #बाल दिवस#हिन्दी कविता#काव्य संकलन #भीष्म प्रताप सिंह#इतिहास और पौराणिक कथा#ChildrensDay#नवंबर क्रिएटर
bhishma pratap singh
मित्रो माह नवम्बर आया,सर्दी को संग लाया है। लगने लगी है धूप सुहानी, इश्क़ भी सिर चढ़ आया है।। तनिक धूप को देख श्वेतिमा, में निकला प्रेमी जोड़ा। मिले एक दूजे से ऐसे, ज्यों बन्दीगृह से छोड़ा।। नेति। धन्यवाद। ©bhishma pratap singh #चार पँक्तियाँ#हिन्दीकविता#काव्य संकलन #भीष्म प्रताप सिंह#4linepoetry#लव और रोमांस#नवंबर creator
bhishma pratap singh
#अनेकता_में_एकता अब खुला धोका है फरेब हैहिन्दी कविताकाव्य संकलन# #भीष्म प्रताप सिंहसस्पेंस और थ्रिलर#हॉररAnektaMeEktaनवंबर क्रिएटर
read morebhishma pratap singh
पसरी हुई है धुंध घनी सी, पथ सारा निर्जन है। दीख रहे कुछ वृक्ष सामने, एक पथिक का गमन है।। उस वन के ही बीच, बनाया होगा उसने बँगला। कहीं हिमालय की गोदी में, बसता है वह सरला।। सन्ध्या ढलने चली तभी तो, गेह उसे जाना है। कार्य रहा होगा पड़ोस में, वह करके आना है।। इसीलिए निश्चिंत भाव से, वह चले जाता है। ऊबड़-खाबड़ पथ में कोई, वाहन भी नहीं आता है।। विद्युत की भी नहीं वयवस्था, घरों में दीप जलाकर। भोजन पकाते होंगे सारे, चूल्हे में अग्नि बलाकर।। मैंने भी कश्मीर में झेला, हर कोई बड़ा मगन था। किन्तु वर्ष उन्नीस सौ पिचासी, वह सैनिक जीवन था।। नेति। धन्यवाद। ©bhishma pratap singh #अपना_सैनिक_जीवन#हिन्दी कविता #भीष्म प्रताप सिंह#प्रेरक कहानी #काव्य संकलन#findyourself #October creator
bhishma pratap singh