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Deep Kushin
ये अभिशप्त समाज, नहीं नहीं ये अभिशप्त पुरुष समाज (कुछ एक को छोड़कर) अपने अधिकार और स्त्रियों के कायदे तो निर्मित कर देता है, किन्तु विडंबना ये है कि अपने अधिकारों को वह तब तक हीं लागू कर पाता है जब तक स्त्रियों के कायदे उनके द्वारा सुरक्षित रहते हैं। जिस दिन ये स्त्री समाज अपने कायदों को रौंद देंगी उसी दिन इन पुरुषों के अपने अधिकार अस्त-व्यस्त हो जाएंगे। #सामंजस्य_नारियों_द्वारा
PRIYA SINHA
🤗🤝🤗"सामंजस्य"🤗🤝🤗 जानती हूँ स्थिति परिस्थिति के मध्य , अक्सर हीं सामंजस्य बिठाना चाहिए ; उचित अनुचित वक्त पर समझदारी से , मिलकर हीं रिश्तों को निभाना चाहिए ; पर आता नहीं काम समझदारी हर-वक्त , इसलिए नाराजगी, दोस्ती और प्यार को , खुलकर जरूर हीं अपनों से जताना चाहिए ! प्रिया सिन्हा 𝟏𝟒. जुलाई. 𝟐𝟎𝟏𝟗. (रविवार) ©PRIYA SINHA #सामंजस्य
priya sharma
बेहतर की तलाश में कही बेह्तरीन को खों ना देना.. अपने सपनो के लिए दोड़ रहे हों तो अच्छी बात है पर इस दोड़ में कही अपनों को छोड़ ना देना.. सामंजस्य नहीं है अगर तुम्हारे अंदर तो एक दिन सब कुछ पा कर भी खों दोगे.. तुम्हारी कामयाबी के वक्त जब अपने ही नहीं होगे तो क्या करोगे.. बात गहरी हे पर समझ से परे नहीं.. और याद रखना अगर खुद को मारकर जी रहे हों तो तुम कभी जिए ही नहीं. --प्रिया शर्मा ©priya sharma # सामंजस्य
# सामंजस्य #कविता
read moreअर्पिता
जीवन मे आपसी सामन्जस्य बनाएं रखना बहुत जरूरी होता हैं। ©अर्पिता #सामंजस्य
Parasram Arora
आओँ चले साथ साथ कुछ दूर तक शायद मिट जाँए अवसाद की किरचने कुछ हद तक शायदछंट जाये सनकीर्णताओ के बादल ज़ो घिरे हैं दूर दूर तक ताकि पनप सके सामंजस्य हम दोनों के मध्य और बच जाए प्रेम. अगले जन्म तक ©Parasram Arora सामंजस्य........
सामंजस्य........
read moreअदनासा-
वैसे सोशियल मिडिया हो या कोई अन्य माध्यम हो, कविता हो या कोई लेख हो, हर जगह हमने जितना "माँ" के लिए लिखा है उतना हम अपने "बाप" के लिए नही लिखते, क्योंकि केवल भारत ही नहीं विश्व भर में कई जगह पुरुष ही प्रधान है, परंतु यदि पुरुष प्रधान है तो स्त्री का प्रधान होना भी उतना ही आवश्यक है, वास्तव में हमारे आसपास हर एक के विरुद्ध एक होता ही है, फ़िर वो वैज्ञानिक दृष्टिकोण हो या फ़िर समाजिक दृष्टिकोण, वैसे ख़ासतौर पर मुझे नही लगता कि हम सभी को स्त्री या पुरुष में कोई भेद करना चाहिए, परंतु वास्तविक तौर पर स्वयं भगवान ने ही भेद किया है, मगर वर्तमान में, हम लोग जो स्त्री एवं पुरुष में भेद कर रहे है, वह भेद की पराकाष्ठा है, हम सभी संतुलन को बिगाड़ रहे है, समाज में जितनी ज़रूरत पुरुष की है उतनी ही ज़रूरत स्त्री की भी है, अब वह समय आ गया है कि हम सभी को, समाज में संतुलन एवं सामंजस्य बैठाने की नितांत आवश्यकता है, कहने का तात्पर्य बस इतना है कि, स्त्री-पुरुष, मां-बाप या बेटा-बेटी में किसी एक को भी इतना महान मत बना दो की, सामाजिक ताना-बाना बिगड़कर असंतुलित हो जाए। ©अदनासा- #हिंदी #संतुलन #सामंजस्य #समाज #स्त्रीपुरुष #बेटाबेटी #मांबाप #Facebook #Instagram #अदनासा
Shravan Goud
जीवन में सामंजस्य स्थापित करने में ही उम्र चली जाती है। ध्यान प्रक्रिया व्दारा इसको आसान किया जा सकता है। जीवन में सामंजस्य स्थापित करने में ही उम्र चली जाती है।
जीवन में सामंजस्य स्थापित करने में ही उम्र चली जाती है।
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