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धाकड़ है हरियाणा
puja udeshi
White गहरी बात...... दर्द का एहसास सब क़ो पता हैं दर्द से बचना हर कोई सीख गया हैं पर जब दर्द देने की बात आती हैं तो खुद क़ो नहीं दूसरो क़ो आसानी से दर्द दिया जाता हैं ना उम्र का लिहाज ना कोई पर्दा होता हैं बस जिस्म की प्यास और पागल पन का जनून जो इतना घातक हैं खुद के लिए भी और जिसको दे रहे हो, अपने लिए मौत माँग रहे हो क्या जो सही गलत का एहसास जाता रहा दर्द,,,, तुम्हे भी होगा पर तब तक बहुत देर हो चुकी होंगी, फंदा गले मे कस जाएगा जान अटक जाएगी गर्दन टूट कर झूल जाएगी और पाँव ज़मीन छू ना पाएगे ऐसी मौत का इंतज़ाम ना कर दर्द क़ो जान ले रे बंदे जुल्म ना कर,,, please जुल्म ना कर.. 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻, 🥹🥹 ©puja udeshi #sad_quotes #pujaudeshi #crime गहरी बात...... दर्द का एहसास सब क़ो पता हैं दर्द से बचना हर कोई सीख गया हैं पर जब दर्द देने की बात आती हैं त
#sad_quotes #pujaudeshi #crime गहरी बात...... दर्द का एहसास सब क़ो पता हैं दर्द से बचना हर कोई सीख गया हैं पर जब दर्द देने की बात आती हैं त #Life
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी । मुख मण्ड़ल के आप , नही सोहे लाचारी ।। कैसे तुमसे दूर , कहीं राधा रह पाती । सुन कर वंशी तान , दौड़ राधा नित आती ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी । मुख मण्ड़ल के
कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी । मुख मण्ड़ल के #कविता
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कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी । मुख मण्ड़ल के आप , नही सोहे लाचारी ।। कैसे तुमसे दूर , कहीं राधा रह पाती । सुन कर वंशी तान , दौड़ राधा नित आती ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी ।
कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी । #कविता
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गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष वर्ग नारी पर भारी , क्यों होता है करो विचार । निकल पड़ो हाथो में लेकर , घर से अपने आज कटार ।। बेटे भाई पति को अपने , दान करो अपने शृंगार । तुम जननी हो इस जग की .... कितनी बहनें कितनी बेटी , होंगी कब तक भला शिकार । चुप बैठी है सत्ता सारी , विवश हुआ है पालनहार ।। मन में अपने दीप जलाओ , नहीं मोम से जग उँजियार । तुम जननी हो इस जग की ..... छोड़ों चकला बेलन सारे , बढ़कर इन पर करो प्रहार । बहुत खिलाया बना-बना कर , इन्हें पौष्टिक तुम आहार ।। बन चंडी अब पहन गले में , इनको मुंडों का तू हार । तुम जननी हो इस जग की .... बन्द करो सभी भैय्या दूज , बन्द करो राखी त्यौहार । ये इसके हकदार नही है , आज त्याग दो इनका प्यार ।। जहाँ दिखे शैतान तुम्हें ये , वहीं निकालो तुम तलवार । तुम जननी हो इस जग की .... सिर्फ बेटियाँ जन्म लिए अब , सुतों का कर दो बहिष्कार । खो बैठें है यह सब सारे , बेटा होने का अधिकार ।। मिलकर जग से दूर करो यह , फैल रहा जो आज विकार । तुम जननी हो इस जग की .... तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष
गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष #कविता
read moreHimanshu Prajapati
White सबसे पहला ख्याल तेरा है, तू किसी और की क्यों होंगी ये सवाल मेरा है, मोहब्बत में जान लेना और देना अब तो आम है तुझे कोई और चाहें ...हूं..... यह बवाल मेरा है..! ©Himanshu Prajapati #indian_akshay_urja_day सबसे पहला ख्याल तेरा है, तू किसी और की क्यों होंगी ये सवाल मेरा है, मोहब्बत में जान लेना और देना अब तो आम है तुझे
#indian_akshay_urja_day सबसे पहला ख्याल तेरा है, तू किसी और की क्यों होंगी ये सवाल मेरा है, मोहब्बत में जान लेना और देना अब तो आम है तुझे #विचार #hpstrange #36gyan
read moreकृष्णा वाघमारे, जालना , महाराष्ट्र,431211
White #हुई क्रांति जब से दुश्मन देश जा के किये वार, अभिभव कहाँ यंहा बसी है शांति, अब कहाँ होंगी किसी की जुर्रत, सारी दुनिया यंहा का पावर जानती। परिवार दोस्तो के साथ सभी है देशप्रेमी, नर और नारी तुफानो से लढना जानती, भारत भूमि पर डर का वास्तव्य न रहा, हो चुकी सब धर्मों में विशाल उन्नति। अब कोई नहीं यंहा अभिभव में, ये सारी दुनियाँ है जानती, कोने कोने में आॅन लाईन जुटें सारे, देश की हर जगह हुई क्रांति। स्वरचित - कृष्णा वाघमारे,जालना 431211, महाराष्ट्र. ©कृष्णा वाघमारे, जालना , महाराष्ट्र,431211 हुई क्रांति #कृष्णावाघमारेजालनामहाराष्ट्र #Lion Rita kumari Pankaj Kumar Bhanu Priya SINGER RAJKUMAR kumarउमेश देशभक्ति कविता #हुई क्
हुई क्रांति #कृष्णावाघमारेजालनामहाराष्ट्र #Lion Rita kumari Pankaj Kumar Bhanu Priya SINGER RAJKUMAR kumarउमेश देशभक्ति कविता #हुई क्
read moreRimpi chaube
जग की न मित्रता चाहिए मुझे। हे जगदीश सखा तुम बन जाओ। ये जग वाले देखते रह जाए... तुम ऐसी प्रीत निभा जाओ।। मित्रता दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं🙏 ©Rimpi chaube #जगदीश_सखा_तुम_बन_जाओ❤️💑🥰 जग की न मित्रता चाहिए मुझे। हे जगदीश सखा तुम बन जाओ। ये जग वाले देखते रह जाए... तुम ऐसी प्रीत निभा जाओ।। मित्रता
जगदीश_सखा_तुम_बन_जाओ❤️💑🥰 जग की न मित्रता चाहिए मुझे। हे जगदीश सखा तुम बन जाओ। ये जग वाले देखते रह जाए... तुम ऐसी प्रीत निभा जाओ।। मित्रता #Poetry
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा :- भाई मेरा बन भरत , रहता हरपल साथ । देख चरण वह पादुका , लिए खड़ा है हाथ ।। नहीं लखन की बात को , पूछो हमसे आज । मेरी सेवा के सिवा , और न जाने काज ।। मुझको अतिशय प्रिय लगे , महावीर हनुमान । मैं उनके ही नाम का , करता नित गुणगान ।। घर-घर में रहते लखन , पहचानें अब आप । रहकर हरपल संग में , हर लेता संताप ।। प्राणों से प्यारी सखी , जनक दुलारी आज । मेरे सारे दुख हरें , करें हृदय पर राज ।। देखा परमेश्वर यहीं , मातु-पिता के रूप । नतमस्तक निशिदिन रहूँ , मान उन्हें अब भूप ।। बात मान गुरुदेव की , चलूँ सही मैं राह । पूर्ण तभी होंगी सभी , मन में उपजी चाह ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- भाई मेरा बन भरत , रहता हरपल साथ । देख चरण वह पादुका , लिए खड़ा है हाथ ।। नहीं लखन की बात को , पूछो हमसे आज । मेरी सेवा के सिवा , और
दोहा :- भाई मेरा बन भरत , रहता हरपल साथ । देख चरण वह पादुका , लिए खड़ा है हाथ ।। नहीं लखन की बात को , पूछो हमसे आज । मेरी सेवा के सिवा , और #कविता
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