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Sangeeta Patidar
कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें 👇 उपवन में भी एक हास है, फूलों के मुख मुख पर छाया। मानोगे उनके गोरे मुख पर, किसी ने प्रातः रंग लगाया। बोल रहा है, कहीं पपीहा, खोज रहा है निज
उपवन में भी एक हास है, फूलों के मुख मुख पर छाया। मानोगे उनके गोरे मुख पर, किसी ने प्रातः रंग लगाया। बोल रहा है, कहीं पपीहा, खोज रहा है निज #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #होलीकेहमजोली #collabwithकोराकाग़ज़ #होलीकीठिठोली
read moreस्मृति.... Monika
रंग -रंगीला फागुन आया, मस्ती दिलों में छाई मन मेरा वृन्दावन है बना,आ जाओ न कन्हाई रंग, अबीर, ग़ुलाल उड़े है, सबने भंग चढ़ाई मन मेरा वृन्दावन है बना,आ जाओ न कन्हाई || सखियन के संग में बैठी, सुध -बुध मैं तो खोई मैं विरहा की मारी तेरी याद में रात न सोई देख क्या मेरा हाल हुआ जबसे तुझसे प्रीत लगाई मन मेरा वृन्दावन है बना आ जाओ न कन्हाई | सब रंग फीके प्रेम के रंग से, प्रेम ही बस गहराए जितना तुझको याद करे मन, प्रेम यह बढ़ता जाए फागुन के हर राग में तो बस तेरी धुन है समाई मन मेरा वृन्दावन है बना,आ जाओ न कन्हाई| रंग -रंगीला फागुन आया मस्ती दिलों में छाई मन मेरा वृन्दावन है बना, आ जाओ न कन्हाई रंग, अबीर, ग़ुलाल उड़े है, सबने भंग चढ़ाई मन मेरा वृन्दावन है बना, आ जाओ न कन्हाई || @स्मृति... मोनिका ✍️🎼💕 ©स्मृति.... Monika #flowers #फागुन -गीत
स्मृति.... Monika
'फागुन-गीत' आओ सखी हम गाएँ फाग आओ सखी हम गाएँ फाग बहे सुवासित प्रेम समीरा तन भी रंगीला मन भी रंगीला--2 ज्यों रंगों से भरा पलाश आओ सखी हम गाएँ फाग कैसे भूलूँ जिस पर उस छवि को मैं जिस पर करती हूँ कविता मैं उसकी मुरली की धुन छेड़े, छेड़े है बस प्रेम का राग आओ सखी हम गाएँ फाग नटवर नागर, नंद दुलारे रूप सलोना नैन कजरारे चंचल स्मित करती विस्मित राधा का है उससे अनुराग आओ सखी हम गाएँ फाग आओ सखी हम गाएँ फाग || स्वरचित ©स्मृति.... Monika फागुन गीत #गोविन्द राधे
कवि विजय उपाध्याय
फागुन बसंत पतझड़ लेकर आया रंग बिरंगा मौसम लाया आम बौरने लगे पुराने पत्ते झड़ने लगे। नई-नई कोपलें फूटने लगी रबी की फसलों में हरियाली दिखी बागो खेतों में रंग बिरंगे फूल दिखे तरह-तरह के फूलों से सजी धरती दिखी । चारों ओर फूलों रंगों की प्रचंड खुशबू फैली पूरा वातावरण रंगमय हो गया फागुन मे प्रकृति रंगों मे रंग गई मानो वसंत मे प्रकृति नव श्रृंगार की। इधर रंगों का त्योहार होली आई सब ने सबके गालों पर गुलाल लगाई भाईचारे के मिलन की होली आई सब ने हर्षोल्लास से रंगोत्सव मनाई। ©कवि विजय उपाध्याय #फागुन
Mohan Sardarshahari
फागुन मास अलबेला हरेक के सर चढ़कर बोला हर जवान मतवाला हर गोरी गोकुल बाला। देखो मौसम निर्जला फिर भी हर पेड़ हरियाली छाई गीतों में श्रृंगार रस की अब चारों ओर है भरमार आई। चारों ओर होली रंग संगीत में बांसुरी और चंग नाचे पुरुष पहन लिबास जनाना यह महिना है मसखरी का खजाना। कोई पीये या ना पीये दिखाते खुद को मदहोश दीवाना वृद्ध भी भूलकर उम्र गाते हैं प्रेम फ़साना।। ©Mohan Sardarshahari फागुन
फागुन #ज़िन्दगी
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