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samandar Speaks

#diwali_wishes अंजान Satyaprem Upadhyay मनीष शर्मा Poonam bagadia "punit" Sandeep L Guru

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White अब घर घर में ये आग फैलाई जाएगी
चुनावी,साल है,अदावत,सबसे निभाई जायेंगी

सबको जमातों कौमों फिरको में बाटकर
आग लगा कर घरों में आग से बुझाई जायेगी

वतन के रहनुमाओं को मोहरों कि शकल देकर
झूठी हमदर्दी से मुहब्बत दिखाई जायेगी 

मुफ़्त कि रोटियां बंटेगी घर गिरवी रख कर
इस कदर हमारे कल कि बोली लगाई जायेगी

झंडो तले बंटेगी नवजवानों कि जवानी फिर से
पैर तोड़ कर आसमानों की अदा सिखाई जाएगी 

अब घर घर में ये आग फैलाई जाएगी
चुनावी,साल है अदावत सबसे निभाई जायेंगी
राजीव

©samandar Speaks #diwali_wishes  अंजान  Satyaprem Upadhyay  मनीष शर्मा  Poonam bagadia "punit"  Sandeep L Guru

samandar Speaks

#love_shayari मनीष शर्मा Satyaprem Upadhyay Radhey Ray Poonam bagadia "punit" Sandeep L Guru मनीष शर्मा Satyaprem Upadhyay अंजान S

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White  ये आसमां ज़मीं पर उतर क्यों नहीं जाता
ये गुजरता हुआ साल अब ठहर क्यों नहीं जाता 

ये रुकता तो,बच्चे भी बच्चे रहते,हम भी हम रहते
न वो दूर कहीं जाते,ना हम घर के बाहर ठहरते
बदलते वक्त के हालात पर ये तरश क्यों नहीं खाता 
ये गुजरता हुआ साल अब ठहर क्यों नहीं जाता

झोपड़ियां सहमी है दुबकी हैं फट्टे शॉल में लिपटी है
बकरियां फट्टे बोरे में,टूटी खाट पे हुई जा खड़ी हैं
इस बेबसी में नए साल का फितूर उतर क्यों नहीं जाता 
ये गुजरता हुआ साल अब ठहर क्यों नहीं जाता

बाप कि जवानी लेकर बेटे बड़े हो रहे हैं
इन्हें जवान करते बाप अधमरे हो रहे हैं 
रैन बसेरों का डर अब निकल क्यों नहीं जाता
 ये गुजरता हुआ साल अब ठहर क्यों नहीं जाता
राजीव

©samandar Speaks #love_shayari  मनीष शर्मा  Satyaprem Upadhyay  Radhey Ray  Poonam bagadia "punit"  Sandeep L Guru   मनीष शर्मा  Satyaprem Upadhyay  अंजान  S

samandar Speaks

#camping Radhey Ray Sandeep L Guru Satyaprem Upadhyay Mukesh Poonia मनीष शर्मा

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Unsplash दीवारों पे आज भी निशान है गुजरे हुए लम्हों का,
कुछ धुंधली सी तस्वीरें, कुछ खामोश कहकसों का।
वो कागज की कश्तियां, बरसात के पानी में,
वो हंसी के पल, जो छूट गए ज़िंदगानी में।
स्कूल की वो गली, वो मैदान याद आता है,
जहां ख्वाब बुनते थे, वो आसमान याद आता है।
कभी लड़ते, कभी हंसते, और दोस्ती निभाते,
आज उन चेहरों के साये भी गुमनाम नजर आते
वो क्लास की खिड़की, जहां से बाहर झांकते थे,
खुद के ख्वाबों में खोए, दुनिया को ताकते थे।
आज भी लगता है, वो सब पल वहीं ठहर गए,
और हम वक्त के साथ, न जाने कहां बिखर गए।
गुजरी सड़कों पर चलना अब सपना सा लगता है,
जहां हर मोड़ पर बचपन हमें अपना सा लगता है।
पर वो साथी, वो ठिकाने, अब कहीं खो गए हैं,
वो आवाजें, वो अफसाने, अब धुंधले हो गए हैं।
चाहे जितना लौटूं, वो रास्ते नहीं मिलते,
वो गलियां नहीं मिलती, वो किताबी बस्ते नहीं मिलते
बस यादों का एक खजाना है, जो दिल में बसता है,
और गुजरा हुआ हर पल, कहीं अंदर सिसकता है।
वक्त की परछाइयों में ढूंढते हैं अपने साये,
वो जगहें, वो लोग, जो कभी लौटकर ना आए।
पर इस दिल के कोने में,उनका निशान बाकी है
फिर से लौटेंगे हमराह ,उनका एहसास बाकी है
राजीव

©samandar Speaks #camping  Radhey Ray  Sandeep L Guru  Satyaprem Upadhyay  Mukesh Poonia  मनीष शर्मा

samandar Speaks

#love_shayari Satyaprem Upadhyay Radhey Ray Mukesh Poonia मनीष शर्मा bewakoof

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White अब क्या बताऊं ये क्या हैं
इक सपना है हिंदी में, या उर्दू में ख्वाब है,
चाँद का आइना, सूरज का नक़ाब है।
बारिशों की छन-छन, जैसे सितारों की सरगोशी,
हवा की सरसराहट, मानो ज़ुबां पर कोई नज़्म रुकी हो।
लहरों की हलचल, जैसे धड़कता हो समंदर का दिल,
भँवरों की गुनगुनाहट, जैसे मौन की गहराई में छुपा एक गीत।
अब क्या बताऊं ये क्या है,
ये सुबह का आँचल, जिसमें रौशनी का जादू सिमटा है,
ये शाम का सन्नाटा, जैसे थककर कायनात खुद को सुला रही हो।
जंगलों की फुसफुसाहट, जैसे पेड़ आपस में राज़ बांट रहे हों,
पहाड़ों की बुलंदी, जैसे किसी दुआ की सदा आसमान को छू गई हो।
अब क्या बताऊं ये क्या है,
ये बूँदें, जो धरती की प्यास बुझाकर मुस्कुराती हैं,
ये मिट्टी की ख़ुशबू, जैसे कुदरत का इश्क़ ज़मीन से लिपट गया हो।
ये फूलों का खिलना, जैसे हर सुबह एक नया अफ़साना लिखती हो,
ये तितलियों का नृत्य, जैसे रूहानी ख़्वाबों का रंगीन कारवां।
अब क्या बताऊं ये क्या है,
ये बादलों का आग़ोश,जैसे किसी मां ने अपने बच्चे को छुपा लिया हो,
ये झील का सुकून, जैसे किसी सूफी का दिल।
कुदरत का हर रंग, हर सुर, हर अंदाज़,
जैसे खुदा ने अपने दिल के सबसे गहरे कोने में
हमारे लिए एक नज़्म लिख छोड़ी हो।
अब क्या बताऊं ये क्या हैं 
राजीव@samandar speaks

©samandar Speaks #love_shayari  Satyaprem Upadhyay  Radhey Ray  Mukesh Poonia  मनीष शर्मा  bewakoof

samandar Speaks

#camping Radhey Ray Mukesh Poonia मनीष शर्मा Anant bewakoof

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Unsplash नीली आँखों का जादू और पलकों का पहरा
गुलाबी ये आलम और दिल ठहरा ठहरा

तब्बसुम मोतियों सा लबों पे है छाया
और सुर्खी ए महरो है पसरा पसरा

काले बादलों का घेरा ,और बारिश की बुँदे,
चाँद हो जैसे की ,नहाया नहाया

इस्लाम सी है ,लाम लट गेसुओं की
अदा पे खुदा का ,है नूर, पसरा पसरा

सांसो की ताज़गी में, कुदरत, की ख़ुशबू,
एक जाम हर अदा जैसे हो छलका छलका
Rajeev

©samandar Speaks #camping  Radhey Ray  Mukesh Poonia  मनीष शर्मा  Anant  bewakoof

samandar Speaks

#Book Radhey Ray Satyaprem Upadhyay Sandeep L Guru Mukesh Poonia मनीष शर्मा

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Unsplash रिश्तों की डोर उलझे, तो टूट जाती है,
जुड़ने का फ़न यहाँ किसे आता है?

हर शख़्स यहाँ अपने ग़म में डूबा है,
दूसरे के दर्द को कौन सहलाता है?

मुलाक़ातें अब चेहरों तक सीमित हैं,
दिल का रास्ता कोई कहां बनाता है?

वादे क़समें सब बातें लगती हैं झूठी,
रिश्ता निभाने का वक़्त कौन लाता है?

जो सबसे क़रीब था जहां से दूर हो गया,
यादों के साये से आदमी दिल बहलाता है।
राजीव

©samandar Speaks #Book  Radhey Ray  Satyaprem Upadhyay  Sandeep L Guru  Mukesh Poonia  मनीष शर्मा

samandar Speaks

#sad_dp Mukesh Poonia Radhey Ray मनीष शर्मा Sandeep L Guru bewakoof

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White मेरी माँ 

मेरी यादों के चिलमन में आज भी मेरी माँ है,
मुझमें ज़िंदा हर पहलू में शामिल मेरी माँ है।

रातभर चाँद से गुफ़्तगू करती रोज़, ये मेरी आंखें 
अब भी रोशन मेरी आंखों में रहती, मेरी माँ है।

ढूँढ़ता हूँ उसे मै फ़ज़ा के रास्तों पर 
हर नई सुबह का पहली तारीख, मेरी माँ है।

मेरे कतरे कतरे देते झलकी उसके इल्म की,
मेरी घर के हर कोने में दिखती, मेरी माँ है।

छोड़ ग़ई है दूर मुझे गुमनाम सी मंजिल पर 
पर आज भी उसकी आहट कहती,मेरी माँ है।
राजीव ।

©samandar Speaks #sad_dp  Mukesh Poonia  Radhey Ray  मनीष शर्मा  Sandeep L Guru  bewakoof

samandar Speaks

#love_shayari Satyaprem Upadhyay Mukesh Poonia Radhey Ray मनीष शर्मा Sandeep L Guru

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White चलो लौट कर फिर से अपने गांव को गांव बनाते हैं,
कभी बरगद तो कभी नीम की छांव को फिर सजाते हैं।
जहां सुबह की पहली किरण मिट्टी को महकाती थी,
शाम को गांव की गालियां खूब संग संग शोर मचाती थीं 
चलो फिर से यादों का सुंदर चौपाल सजाते हैं,
चलो टीम टीम तारों संग सपने नए सजाते हैं 
जहां बैलगाड़ी की चर चर इक,नई धून सजाती थी,
खेतों कि परछाई हर दिन नया सवेरा लाती थी।
चलो लौट कर  माटी से फिर नाता वहीं बनाते हैं,
चलो उम्मीदों के आंगन में दीए वहीं जलाते हैं 
नदी  किनारे ठंडा पानी कल कल अब भी बहता है 
पगडंडी का कंकड़ अब भी ठोकर निहारा करता है 
चलो फिर से पत्थर संग ठोकर का खेल रचाते हैं
खिली हुई सरसों के संग मधुमास फिर लाते हैं 
मंदिर के घंटे की आहट से अंगड़ाई ले उठते थे
घर दुआर के राहों पे बेखौफ लड़ाई करते थे 
चलो लौट कर सन्नाटे को गांव से छोड़ के आते हैं,
फिर गायों को घुमाते हैं और लंबी दौड़ लगाते हैं,
वहां पेड़ हमारे साथी थे, और आसमान भी अपना था,
तोते, कुत्ते,भालू,बंदर खेल तमाशा अपना था
कभी नीम तो कभी बरगद की छांव वहीं बनाते हैं,
चलो लौट कर फिर से अपने गांव को गांव बनाते हैं।
राजीव

©samandar Speaks #love_shayari  Satyaprem Upadhyay  Mukesh Poonia  Radhey Ray  मनीष शर्मा  Sandeep L Guru

samrath babu

ये समंदर भी बड़ा मतलबी....

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RAMLALIT NIRALA

दुनिया में बसे लोग मतलबी हो गये हैं

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