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Arora PR
जून क़ी तपी हुई दोपहरी थीं बाहर सन्नाटो कि बरादारी बिछी थीं... तभी अचानक हवा के थपेड़ो से बंद खिड़की खुल गई और वाता नुकूलित कमरे को गरम कर कमरे के तापमान को बड़ा गई ©Arora PR तापमान
तापमान #विचार
read moreparitosh@run
बचपन में नाप लेते थे हम, भरी दोपहरी में भी गाँव की सारी गालियां... जब से तापमान समझ में आया है, पाँव जलने लगे हैं... तापमान
तापमान #Shayari
read moreSuraj
मानव के जीवन का सूरज धीरे धीरे ढल रहा है रामायण का सीरियल देखो टीवी पर अब चल रहा है दुनिया तो अब यही सोचती मोदी के सपनों का भारत देखो कैसे जल रहा है ..........................सूरज वैश्विक संकट
वैश्विक संकट
read moreParasram Arora
छोड़ देने चाहिए ये क्षुद्र से आग्रह ताकि हम सारी मनुष्यता की वसीयतों को अपनी वसीयत कह सकें ये कैसी दरिद्रता और विडंबना है कि कोई हिन्दू. है इसलिए कुरान उसकी वासियत नहीं हो सकती..... औरकोई मुस्लमान है तो गीता उसकी वसीयत नहीं हो सकती जबकि गीता होया कुरान दोनों इतने प्यारे और समृद्ध ग्रंथ हैँ. लेकिन हम नाहक दरिद्र बने रहते हैँ जबकि कुरान और गीता दोनों वैश्विक समृद्धि बन सकती है और. मानवता धन्य हो सकती है ©Parasram Arora वैश्विक समृद्धि........
वैश्विक समृद्धि........
read moremeena mallavarapu
मेरी छोटी सी यह नैया पार लगेगी या नहीं कौन बता सकता है चारों ओर यह अथाह सागर दिलाता है अहसास मुझे मेरी छोटी सी हस्ती का- बढाचढ़ा कर पाले मैंने कितने रोग अहंकार की लौ में हो गई भस्म भूल गई, है अपनी औकात, केवल बूंद बराबर- वैश्विक चेतना का अब हुआ अहसास शाायद ,अब पा जाऊं छुटकारा अहं के प्राचीर से यह अथाह सागर भर देगा मुझमें अथाह प्रेम,स्नेह,सौहार्द्य आ गया वह सार्थक पल! ------------- वैश्विक चेतना #कविता
वैश्विक चेतना #कविता
read moreParasram Arora
धरा जहर उगल रही हैँ जीवनदायिनी हवाएं प्रदूषित होकर साँसो को विषाक्त कर रही हैँ ओजोन की छिद्रित परतो से. सूर्य आग्नेय नेत्रों से देख रहा हैँ हमें और धरती आग का गोला बन रही हैँ l सागरो मे तीव्र वाष्पीकरण क्रिया उन्मादी बादलो का निर्माण कर रही हैँ तभी तो सरिताए रौद्ररूप धारण कर अपनी विपुल जल राशि से अपने ही तटो पर बसे नगरों को लील रही हैँ आज दहशत की सलीब पर लटकी हुईं हैँ मानवता और अमूल्य जीवन की नैया डगमगा रही हैँ वैश्विक प्लावन और प्रलय
वैश्विक प्लावन और प्रलय
read moreAbhishek Mishra
ये दुनियाँ अपनी सीमा सुरक्षित करने में रह गई , अपनी अपनी अर्थव्यवस्था बढ़ाने में रह गई।। इस वैश्विक महामारी कोरोना ने क्या कमाल दिखाया, विश्व की अर्थव्यवस्था धरी के धरी रह गई।। "अभिषेक मिश्र" त्रस्त वैश्विक महामारी से
त्रस्त वैश्विक महामारी से
read moreShiv Narayan Saxena
World Vegetarian Day. ©Shiv Narayan Saxena 🙋 वैश्विक शाकाहार दिवस. 🙋
🙋 वैश्विक शाकाहार दिवस. 🙋 #Shayari
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