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Monu Matoriya
तिल मिलाना तो एक बहाना है । असलि खाज तो मुह ना लगाना है । Mr.MTR खाज. mr.Mtr
खाज. mr.Mtr
read moreMohd Hasnain
मोहब्बत और मौत की पसंद मे ज्यादा अंतर नहीं होता है एक को दिल चाहिए तो दूसरे को धड़कन... 👎👎👎नीचे वाली खाज को कभी हलके में ना ले 👎👎👎
👎👎👎नीचे वाली खाज को कभी हलके में ना ले 👎👎👎
read moreSunil itawadiya
भगवान ना दिखाई देने वाले माता-पिता होते हैं, और माता-पिता दिखाई देने वाले भगवान होते हैं,, #cinemagraph बात अच्छी लगी हो तो दाद देना खाज मत देना दोस्तों 🤗🤗🤗👌🏼💐👍 राधे राधे जय श्री कृष्णा आप सभी यू आर क्यूट फैमिली को 💐👌🏼👍 बिल्कुल सह
#cinemagraph बात अच्छी लगी हो तो दाद देना खाज मत देना दोस्तों 🤗🤗🤗👌🏼💐👍 राधे राधे जय श्री कृष्णा आप सभी यू आर क्यूट फैमिली को 💐👌🏼👍 बिल्कुल सह
read morePriyanka Bhagat
त्या शब्दांनंतर पुन्हा जगलेच नाही शोधुनीही अंतरी मजला मी दिसलेच नाही... खेळ सारा त्या यौवनाच्या लपाछपीचा मयूरपंखासम मयसभा स्वप्ने रेखीत गेली मी जुगारी आयुष्य ओळखलेच नाही... मुक वेदना माझ्या कोणा कळाव्या ? भावनांचे सूर ज्याना कधी डसलेच नाही... वाहे सुगंधी रक्तही जखमांमधूनी प्राजक्ती फुलांचे वारही निष्पाप झाले हा नसे अपराध प्राजक्ता, तुझाही डोळ्यांमधली आसवेही कोरडी झाली नाही... कुरवाळले दु:खाचे उम्हाळे हृदयी दु: ख मजला सोडून कधी गेलेच नाही... #NojotoQuote त्या शब्दांनंतर पुन्हा जगलेच नाही शोधुनीही अंतरी मजला मी दिसलेच नाही... खेळ सारा त्या यौवनाच्या लपाछपीचा मयूरपंखासम मयसभा स्वप्ने रेखीत गेल
त्या शब्दांनंतर पुन्हा जगलेच नाही शोधुनीही अंतरी मजला मी दिसलेच नाही... खेळ सारा त्या यौवनाच्या लपाछपीचा मयूरपंखासम मयसभा स्वप्ने रेखीत गेल
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
अच्छी अब लगती नहीं , स्थिति गाँव की आज । घर-घर की यह बात है , यहाँ नहीं है काज ।। १ लोग पलायन कर रहे , गाँव छोड़कर आज । जैसे दाने के लिए , उड़े नील तक बाज ।। २ मातृ-भूमि जननी कहे , सुनों कष्ट के योग । भूल किए जो गाँव को , छोड़ गये तुम लोग ।। ३ खुश्बू जितनी हींग की , भोजन को महकाय । व्यथा तुम्हारी भी सुनो , संग-संग ही जाय ।। ४ सुनो सामर्थ्य भर करो , जीवन में हर काज । वर्ना इच्छाए सखे , करती रहती खाज ।। ५ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR अच्छी अब लगती नहीं , स्थिति गाँव की आज । घर-घर की यह बात है , यहाँ नहीं है काज ।। १ लोग पलायन कर रहे , गाँव छोड़कर आज । जैसे दा
अच्छी अब लगती नहीं , स्थिति गाँव की आज । घर-घर की यह बात है , यहाँ नहीं है काज ।। १ लोग पलायन कर रहे , गाँव छोड़कर आज । जैसे दा
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
पुन: कष्ट फिर दे रहा , बालक यह नादान । क्षमा करें गुरुवर इसे , तुम हो कृपानिधान ।।१ अच्छे अब दिखते नहीं , सुनो गाँव के हाल । घर-घर की यह बात है , सुन लो बाबू लाल ।। २ लोग पलायन कर रहे , गाँव छोड़कर आज । जैसे दाने के लिए , उड़े नील तक बाज ।। ३ मातृ-भूमि जननी कहे , सुनो कष्ट के योग । भूल हुई जो गाँव को , छोड़ गये तुम लोग ।। ४ खुश्बू जैसे हींग की , करती है मनुहार । व्यथा हमारी भी सुनो , करती सदा पुकार ।। ५ करो सदा सामर्थ्य भर , जीवन में हर काज । वर्ना इच्छाएँ सखे , करती रहतीं खाज ।। ६ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR पुन: कष्ट फिर दे रहा , बालक यह नादान । क्षमा करें गुरुवर इसे , तुम हो कृपानिधान ।।१ अच्छे अब दिखते नहीं , सुनो गाँव के हाल । घर
पुन: कष्ट फिर दे रहा , बालक यह नादान । क्षमा करें गुरुवर इसे , तुम हो कृपानिधान ।।१ अच्छे अब दिखते नहीं , सुनो गाँव के हाल । घर
read moreVijay Tyagi
"कटिंग कराई बालों की" रचना अनुशीर्षक में पढ़ें "बस कटिंग कराई है बालों की" नन्हा सा... प्यारा सा... नादान लगने लगा हूँ कहने लगे हैं अब सभी,मैं इंसान लगने लगा हूँ लॉकडाउन के बाद ये हिम्मत
"बस कटिंग कराई है बालों की" नन्हा सा... प्यारा सा... नादान लगने लगा हूँ कहने लगे हैं अब सभी,मैं इंसान लगने लगा हूँ लॉकडाउन के बाद ये हिम्मत
read moresandy
#लाॅ_आॅफ_अॅट्रॅक्शन हि जर पाच सुत्रे जर पाळली, तर #आयुष्यातील सर्व दुःखे, सर्व #समस्या, सर्व #प्रॉब्लेम्स, #चुटकीसरशी ‘#छुमंतर’ म्हटल्याबरो
#लाॅ_आॅफ_अॅट्रॅक्शन हि जर पाच सुत्रे जर पाळली, तर #आयुष्यातील सर्व दुःखे, सर्व #समस्या, सर्व #प्रॉब्लेम्स, #चुटकीसरशी ‘छुमंतर’ म्हटल्याबरो
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