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dilip khan anpadh
कीमत **** बादशाह हूँ,उसूलों का,हूँ मैं जिगरा बड़ा कोई समझेगा क्या मुझको, हूँ मैं सोना खरा। जौहरी बन कई ने है,तौला मुझे कीमती है नही,ऐसा बोला मुझे। उसे क्या पता, कीमतों की वजह सोना सदियों से होता रहा है जबह। रूप ढलता है साँचा अगर हो सही या फिर फितूर है,झूठी कारीगरी । चोट खाता है,तपता कई मरतबे फिर ये सजता,दिखाता, कई करतबे। जौहरी तो महज बैठा रहता वंही सोना महलों में जाकर फिर सजता कंही। खुद की कीमत बताता है ये जौहरी इन उसूलों की कीमत,अधिक है कंही। फेंक दो तो,क्या कीमत, गिरा है कभी हाथ मलता है,बैठा वही जौहरी। उसूलों की कीमत,तुम क्या जानो अभी ना बिका,ना बिकेगा,हो कोई जौहरी। दिलीप कुमार खाँ"""अनपढ़""" #footsteps जौहरी
#footsteps जौहरी #कविता
read moreShubham Paswan
रोशनी कई बार हमें ऐसे काम को करना पङता है जिसकी जरूरत हमें नहीं हमारे काम को होती है और हम सोचते हैं कि आखिर हमारा काम क्या है और हम कर क्या रहे हैं पर हमें वो करना पङता है । जौहरी मानसी
जौहरी मानसी #विचार
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तमाम नदियाँ बहा कर अगर तुमने एक बूँद भी बचाना सीख लिया, तो समझ लेना ऐ जिंदगी ! कि तूने जीना सीख लिया । जौहरी मानसी
जौहरी मानसी
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Umangen:- "Every Poem Explain a story How it Create" -a poem book by shubham Kumar जौहरी मानसी
जौहरी मानसी #कला
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अपना कुछ ऐसा ही मिजाज है जहाँ लोग रातों में सो कर सपने देखते हैं उस वक्त मैं किसी सपने को सच करने में लगा रहता हूँ । जौहरी मानसी
जौहरी मानसी #विचार
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बचपन और शैतानी तुम कहती हो मुझे पता नहीं है कि मुहब्बत क्या है तो सुनो " जब जिन्दगी मेरे नजरों में तीन घण्टों की फिल्म थी, तभी से मुझे मुहब्बत की इल्म(समझ) थी क्या होती है मुहब्बत ये मैंने फिल्मों से सीखा था किसी आशिक को मैंने मुहब्बत में जान देते देखा था एक धर्म की लड़ाई में दो नादान बट रहे थे उनको धर्म की पङी थी दो जिस्म मगर एक जान कट रहे थे उनको यूँ कटते देखा आश्चर्य था दिलों में सहसा मन से पूछा क्या मुहब्बत ये संसार नहीं बदल सकती खुद भी निकल पड़ा मैं मुहब्बत के उसी सफर पर जो मेरे धर्म से जुदा हो वो इंसान ढूंढने को ज्यादा दूर ना गया मैं अपने स्कूल तक सफर की वो पढती थी मेरे साथ ही मैंने उसको पहले ऐसे ना कभी देखा जो आज मेरे लिए थी वो आज से जो मेरी जिन्दगी बनने वाली थी वो उस जिन्दगी को पाने के लिए उसके भाई को भी मैंने पीटा वो बचपन खत्म हो गई मेरी मगर वो फिल्म चल रही है उसकी शादी हो गई फिल्म का बस एक किरदार मर गया है" जौहरी मानसी
जौहरी मानसी
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अच्छा सुनो.. तुम सुन रही हो ना तुम भले ही मुझसे दूर रहो मगर मैं तुम्हारे दिलों में रह रहा हूँ और इससे तुम इंकार नहीं कर सकती हो । -शुभम् कुमार जौहरी मानसी
जौहरी मानसी
read morejisu saif
Religion जिस दिन टूट जाएगी , जाति की झंजीर। भेद भाव ख़तम कौन अमीर कौन फकीर।। उस दिन गरीब भी खा सकेगा, चैन से निवाला । जिस दिन ख़तम होगा, जाति जाति कहने वाला।।। ... jisu जाति जाति जाति
जाति जाति जाति #कविता
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मुझे अपनों के खोने का डर है मैं खुद को तो कब का खो चुका हूँ शायरी जौहरी मानसी
शायरी जौहरी मानसी
read moreنمیش
उनको खुदकी न खबर है तो हम क्या करें उनके हाथ दीदावर नही तो हम क्या करें दीदावर पारखी, जौहरी
दीदावर पारखी, जौहरी
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