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Stories related to अट नहीं रही है कविता का भावार्थ

ll जीवन प्रभा ll

#sad_shayari इस नहीं कविता

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Qaseem Haider Qaseem

#Sad_Status खबर भी नहीं है पता भी नहीं है चलो वक़्त छोरो वफ़ा भी नहीं है तुझे तेरी अच्छाइयों का सिला है तू तनहा हुआ पर हुआ भी नहीं है qh

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White खबर भी नहीं है पता भी नहीं है 
चलो वक़्त छोरो वफ़ा भी नहीं है 

तुझे तेरी अच्छाइयों का सिला है 
तू तनहा हुआ पर हुआ भी नहीं है

#qhqofficial

©Qaseem Haider Qaseem #Sad_Status खबर भी नहीं है पता भी नहीं है 
चलो वक़्त छोरो वफ़ा भी नहीं है 

तुझे तेरी अच्छाइयों का सिला है 
तू तनहा हुआ पर हुआ भी नहीं है

#qh

नवनीत ठाकुर

#प्रकृति का विलाप कविता

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जमीन पर आधिपत्य इंसान का,
पशुओं को आसपास से दूर भगाए।
हर जीव पर उसने डाला है बंधन,
ये कैसी है जिद्द, ये किसका  अधिकार है।।

जहां पेड़ों की छांव थी कभी,
अब ऊँची इमारतें वहाँ बसी।
मिट्टी की जड़ों में जीवन दबा दिया,
ये कैसी रचना का निर्माण है।।

नदियों की धाराएं मोड़ दीं उसने,
पर्वतों को काटा, जला कर जंगलों को कर दिया साफ है।
प्रकृति रह गई अब दोहन की वस्तु मात्र,
बस खुद की चाहत का संसार है।
क्या सच में यही मानव का आविष्कार है?

फैक्ट्रियों से उठता धुएं का गुबार है,
सांसें घुटती दूसरे की, इसकी अब किसे परवाह है।
बस खुद की उन्नति में सब कुर्बान है,
उर्वरक और कीटनाशक से किया धरती पर कैसा अत्याचार है।
 हरियाली से दूर अब सबका घर-आँगन परिवार है,
किसी से नहीं अब रह गया कोई सरोकार है,
इंसान के मन पर छाया ये कैसा अंधकार है।।

हरियाली छूटी, जीवन रूठा,
सुख की खोज में सब कुछ छूटा।
जो संतुलन से भरी थी कभी,
बेजान सी प्रकृति पर किया कैसा पलटवार है।।
बारूद के ढेर पर खड़ी है दुनिया, 
विकसित हथियारों का लगा बहुत बड़ा अंबार है।
हो रहा ताकत का विस्तार है,खरीदने में लगी है होड़ यहां, 
ये कैसा सपना, कैसा ये कारोबार है?
ये किसका विचार है, ये कैसा विचार है?
क्या यही मानवता का सच्चा आकार है?

©नवनीत ठाकुर #प्रकृति का विलाप कविता

बेजुबान शायर shivkumar

जब #कदर ही नहीं, तो साथ रहने का क्या फायदा, दिल की बातें जहां #अनसुनी हों, इस सफर का क्या फायदा ? रिश्ते में गर #एहसास नहीं, वो अपना

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White जब कदर ही नहीं, 
तो साथ रहने का क्या फायदा,
दिल की बातें जहां अनसुनी हों, 
इस सफर का क्या फायदा ?

रिश्ते में गर एहसास नहीं, 
वो अपनापन नहीं,
तो किसी को अपना
कहने का क्या फायदा ?

अगर कदर नहीं मेरी, 
न साथ की चाहत है,
तो ऐसे बेमायने रिश्ते को 
निभाने का क्या फायदा ?

©बेजुबान शायर shivkumar जब #कदर  ही नहीं, 
तो साथ रहने का क्या फायदा,
दिल की बातें जहां #अनसुनी  हों, 
इस सफर का क्या फायदा ?

रिश्ते में गर #एहसास   नहीं, 
वो अपना

Satish Kumar Meena

फसल मुस्कुरा रही है

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बेजुबान शायर shivkumar

#चेहरे की #हसी दिखावट सी हो रही है असल #ज़िन्दगी भी बनावत सी हो रही है ll अनबन बढ़ती जा रही #रिश्तों में भी अब अपनों से भी #बग़ावत

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चेहरे की हसी दिखावट सी हो रही है 
असल ज़िन्दगी भी बनावत सी हो रही है

अनबन बढ़ती जा रही रिश्तों में भी 
अब अपनों से भी बग़ावत सी हो रही है

पहले ऐसा था नहीं जैसा हूँ 
आजकल मेरी कहानी कोई कहावत सी हो रही है

दूरी बढ़ती जा रही मंज़िल से 
मेरी चलते चलते भी थकावट सी हो रही है

शब्द कम पड़ रहे मेरी बातों में भी 
ख़ामोशी की जैसे मिलावट सी हो रही है

और मशवरे की आदत न रही लोगो को 
अब गुज़ारिश भी शिकायत सी हो रही है.

©बेजुबान शायर shivkumar #चेहरे  की #हसी  दिखावट सी हो रही है 
असल #ज़िन्दगी  भी बनावत सी हो रही है ll

अनबन बढ़ती जा रही #रिश्तों  में भी 
अब अपनों से भी #बग़ावत  स

Shri

मायने नहीं रखता! Hindi is extremely tough aahe! . . कविता कोश हिंदी कविता कविता कविताएं हिंदी कविता

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Anil Sapkal

#foryoupapa पिता जीवन का संगीत है, पिता हैं तो जित है ll # कविता कोश# प्यार पर कविता# हिंदी कविता# कविताएं# प्रेरणादायी कविता हिंदी

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थका हारा जब जब तू दफ्तर से घर आता है
मुश्किलोमे, संकटोमें जब जब तू घिर जाता हैं ।
ऐसे में क्या करे तब कुछ समझ नहीं आता है 
आंख से आसू बहता हैं और पापा याद आता है।।


जिम्मेदारियों का बोझ जब जब सरपें आता हैं
कोशिशोंके बावजूद भी तू संभाल नहीं पाता है।
अकेलेपनका अहसास जब जब तुझे सताता है
आंख से आसू बहता है और पापा याद आता है।।










अनिल

©Anil Sapkal #foryoupapa पिता जीवन का संगीत है, पिता हैं तो जित है ll # कविता कोश# प्यार पर कविता# हिंदी कविता# कविताएं# प्रेरणादायी कविता हिंदी

बेजुबान शायर shivkumar

फ़ैसलों का ये फासला कभी भी #आसान नहीं है कौन कहता है की दिल कभी #परेशान नहीं हैं...!! मेरी #ख़ामोशी के पीछे तो वो #आँसू छिपे हैं कौन कहता

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White फ़ैसलों का ये फासला कभी भी आसान नहीं है 
कौन कहता है की दिल कभी परेशान नहीं हैं...!!

मेरी ख़ामोशी के पीछे तो वो आँसू छिपे हैं
कौन कहता है की मेरे दर्द का नामो निशान नहीं हैं...!!

 तेरे संग उम्र भर का साथ रहने का ख़्वाब देखा हैं
कौन कहता है की मेरा कोई अरमान नहीं हैं...!!

 मेरे ही सामने मेरी ये ज़िंदगी भी अब धीरे-धीरे ख़त्म हो रही है 
कौन कहता है की मेरा कोई नुक़सान नहीं हैं...!!

©बेजुबान शायर shivkumar फ़ैसलों का ये फासला कभी भी #आसान नहीं है 
कौन कहता है की दिल कभी #परेशान नहीं हैं...!!

मेरी #ख़ामोशी के पीछे तो वो #आँसू छिपे हैं
कौन कहता

Kamlesh Kandpal

#प्रकृति का सौंदर्य हिंदी कविता

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ये सोचता हूँ मै अक्सर
जो आता है मुझे नजर
ये धरती, या ये आकाश
सूर्य का अदभुत प्रकाश
चंदा गोल,टीमटिमाते तारे
बनाये ये सब,किसने सारे
ठंडी, गर्मी औऱ ये बरसात
लू के दिन,अमावस की रात
पाने की खुशी, खोने का डर 
ये सोचता हूँ मै अक्सर
जो आता है मुझे नजर

©Kamlesh Kandpal #प्रकृति का सौंदर्य  हिंदी कविता
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