Find the Latest Status about लोभी आखा from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, लोभी आखा.
YATRI यात्री
जमिन्मा आकाश देख्दैछु,आज किन होला मेरो आखाले आखैमा समुन्द्र देख्दैछु आज ••यात्री0•• #आकाश #जमिन #आखा #यात्री0
Krishna Kumar
| लोभी दरजी | | लोभी दरजी | एक था दरजी, एक थी दरजिन। दोनों लोभी थे। उनके घर कोई मेहमान आता, तो उन्हें लगता कि कोई आफत आ गई। एक बार उनके घर दो मेहमान आए। दरजी के मन में फिक्र हो गई। उसने सोचा कि ऐसी कोई तरकीब चाहिए कि ये मेहमान यहाँ से चले जाएं। दरजी ने घर के अन्दर जाकर दरजिन से कहा, "सुनो, जब मैं तुमको गालियां दूं, तो जवाब में तुम भी मुझे गालियां देना। और जब मैं अपना गज लेकर तुम्हें मारने दौडू़ तो तुम आटे वाली मटकी लेकर घर के बाहर निकल जाना। मैं तुम्हारे पीछे-पीछे दौड़ूंगा। मेहमान समझ जायेंगे कि इस घर में झगड़ा है, और वे वापस चले जाएंगे।" दरजिन बोली, "अच्छी बात है।" कुछ देर के बाद दरजी दुकान में बैठा-बैठा दरजिन को गालियां देने लगा। जवाब में दरजिन ने भी गालियां दीं। दरजी गज लेकर दौड़ा। दरजिन ने आटे वाली मटकी उठाई और भाग खड़ी हुई। मेहमान सोचने लगे, "लगता है यह दरजी लोभी है। यह हमको खिलाना नहीं चाहता, इसलिए यह सारा नाटक कर रहा है। लेकिन हम इसे छोड़ेंगे नहीं। चलो, हम पहली मंजिल पर चलें और वहां जाकर-सो जाएं। मेहमान ऊपर जाकर सो गए। यह मानकर कि मेहमान चले गए होंगे, कुछ देर के बाद दरजी और दरजिन दोनों घर लौटे। मेहमानों को घर में न देखकर दरजी बहुत खुश हुआ और बोला, "अच्छा हुआ बला टली।" फिर दरजी और दरजिन दोनों एक-दूसरे की तारीफ़ करने लगे। दरजी बोला, "मैं कितना होशियार हूं कि गज लेकर दौड़ा!" दरजिन बोली, "मैं कितनी फुरतीली हूं कि मटकी लेकर भागी।" मेहमानों ने बात सुनी, तो वे ऊपर से ही बोले, "और हम कितने चतुर हैं कि ऊपर आराम से सोए हैं।" सुनकर दरजी-दरजिन दोनों खिसिया गए। उन्होंने मेहमानों को नीचे बुला लिया और अच्छी तरह खिला-पिलाकर बिदा किया। ©Krishna Kumar लोभी दरजी
लोभी दरजी #कामुकता
read moreSantosh pawara
कुर्र...ईन धरतीने पुरया रे आमू मुलनिवासी राजा रे वाघ सिहोपर बठीन आमू धदली गुफोण वाला रे...... कुर्र..एकलव्य से खून मा आमरा बिरसा मुंडा साथ रे उलगुलान पुकारया रे आमू जल, जमिनोन करी रे... कुर्र...इंग्रजोहाते लढ्या रे आमू आयता मोटा साथ रे नदी किनारे वोहती आमरी डुमखा बाजी खाईन रे ... कुर्र ..रातली पागडी बांधी लेद्या आमू दौवी खासडी पेरी लेद्या रे गोवामा डुले गालिने आमू वारो तिवारोम नाच्या रे.. कुर्र....जात-पात नी मान्तला आमू धर्म पंथ नी मान्या रे आमू आखा एक से कोइने हिवी मिवी जिवतला रे... वाघ सिह पोर बोठिने आमू धदली गुफोन वाला रे... - संतोष पावरा ( आदिवासी युवा कवी, गीतकार) ' आमू आखा एक से ' ढोल काव्यसंग्रहातील कवी संतोष पावरा यांच्या कविता
' आमू आखा एक से ' ढोल काव्यसंग्रहातील कवी संतोष पावरा यांच्या कविता
read moreShakuntala Sharma
पूजा की शादी नजदीक थी और उसके बडे भाई को दहेज की रकम का इंतजाम करना था। लड़के वाले दहेज में मोटी रकम मांग रहें थे। और पूजा भी हो उसी लड़के से प्यार करती थी। आखिर पूजा का भाई मजबूर था । वह अपनी बहन की खुशिया ही चाहता है । पर वह यह भी जानता था । कि दहेज के लोभी लोग पूजा को कभी खुश नही रख पायेंगे । पूजा के बडे भाई ने लाख कोशिश की पर दहेज की रकम का इंतजाम नही कर पाया । अतः में पूजा के बड़े भाई ने हताश होकर कहा कि में दहेज के लोभी लोगों को अपनी बहन का हाथ नही दे सकता। चाह मेरी बहन कँवारी क्यो ना रहे जाये । ©Shakuntala Sharma # दहेज के लोभी लोगों को में अपनी बहन नही दे सकता ।
# दहेज के लोभी लोगों को में अपनी बहन नही दे सकता । #प्रेरक
read moremaddylines
यूँ हीं नहीं मुक्कदर मेरा मर रहा था वो कहाँ तुमसे आगे निकलने की कर रहा था। अख्ज मुकर्रर किया गया मुकद्दर मेरा अदीबों का अदम प्रेम था जो बरस रहा था अबद के अब्र छा रहे थे चारो तरफ तब भी अपनी किस्मत के अश्क से तुम्हारी तकदीर की मिन्नत मसक्कत कर रहा था।। अख्ज ...लोभी अदीबों... विद्वान अदम...आभाव या शून्य अबद...अनन्तकाल अब्र..बादल
अख्ज ...लोभी अदीबों... विद्वान अदम...आभाव या शून्य अबद...अनन्तकाल अब्र..बादल
read more