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Ek villain
इस घटना पर कांग्रेस और महात्मा गांधी की प्रतिक्रिया सर्व बाधित है इसके अतिरिक्त यदि समीकरण समाचार पत्र पत्रिका में चोरा चोरी की घटना पर प्रतिक्रिया देखी जाए तो वह भी घटना की आलोचना से परिपूर्ण है उदाहरण के लिए भाई आज साप्ताहिक पत्र के 11 फरवरी 1922 के अंक में शीर्षक दिया गया खेद जनक और भीषण हत्याकांड दो दरोगा और 15 कॉन्स्टेबल किया इसके अलावा लीडर ने अपने 8 फरवरी 1922 के अंक में लिखा हिंसा और आगजनी के तांडव के बीच में बेहद सुनियोजित तरीके से थाना पर हमला करते हुए पुलिस वालों को जिंदा जला दिया गया इस घटना को दिया गया दिनांक 9 फरवरी के अखबार में एक खबर छपी गोरखपुर में सामने आया भयानक त्रासदी का दृश्य इसके बाद एक अन्य अखबार ने एक शीर्षक से खबर ली थी जिसके बाद से चोरा चोरी को एक भीषण हत्याकांड के रूप में स्थापित कर दिया गया कांग्रेस के संगठन के रूप में प्रतिक्रिया तत्कालिक समाचार पत्रों की पत्रिका और आश्चर्यजनक रूप से अंतरराष्ट्रीय मीडिया द्वारा चोरा चोरी को चल बाय जलियांवाला बाग से कहीं अधिक ध्यान देना इन सबके मिलाकर चोरा चोरी की घटना को चोरा चोरी हत्याकांड के स्थानीय प्रस्तुत में स्थापित कर दिया गया ©Ek villain #गांधी और समाज पत्र पत्रिकाओं की प्रतिक्रिया #roseday
YOUTUBER RAJNISH SRIVASTAVA
photo हमर लेकर. झूमर. बीएफpagli पगली सिंदूर लेकर घुमा दियाrajnishkumarsrivastava #सस्पेंस
read moreSweety Mamta
#तमन्ना तमन्नाओ का झूमर चाहे बड़ा हो या छोटा। सजावट बन जाने पर खूबसूरत ही लगता हैं।
#तमन्ना तमन्नाओ का झूमर चाहे बड़ा हो या छोटा। सजावट बन जाने पर खूबसूरत ही लगता हैं।
read moreअर्श
पारम्परिक भोजपुरी झूमर। #soultouching Abha Anokhi Neelam✳️ Anshu writer Divya Joshi Adv Rakesh Kumar Soni
read moreDEV FAIZABADI
हास्य व्यंग्य (साकेत सुधा, पत्रिका में प्रकाशित मेरी रचना) क्या कहूँ कैसे कहूँ कुछ समझ आता नहीं। झूठी बातों को बतलाना मुझको ये भाता नहीं। आज सबके पास पैसो से भरा भण्डार है, मेरे कब्जे में तो इक बैक का खाता नही। क्या कहूँ......... उधार पडोसियों का मै दो साल से रहा हूँ, उसकी गलियों को भुलाकर आज मैं जाता नहीं। क्या कहूँ........... लोग कहते अब जमाना टेढ़ी अँगुली घी का है सीधे सीधे हक यहाँ पर कोई भी पाता नही। क्या कहूँ.............. दोस्तों के जेब से मिलता रहे खाने को ग़र, जेब अपनी खर्च करके रोता और गाता नहीं। क्या कहूँ............. कर ले सब तारीफ अपनी चंद लम्हों के लिए, वास्तव में आज कोई धर्मी और दाता नहीं। क्या कहूँ............. ग़र कोई फरियाद लेकर आये मुझसे कर्ज का, 'देव 'सीधे ही कहेगा उधार से नाता नहीं। क्या कहूँ.......... देव फैजाबादी हास्य व्यंग्य विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई रचनाओं में से एक रचना जो साकेत सुधा में प्रकाशित हुई है
हास्य व्यंग्य विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई रचनाओं में से एक रचना जो साकेत सुधा में प्रकाशित हुई है
read moreManjeet Sharma 'Meera'
सुरमई साड़ी पहनकर धरती पर उतरी है रात तारों जड़ी पहनकर चोली झूम-झूमकर चलती रात माथे पर चंदा का झूमर गालों पर झूमर की आभा किरणों की लाली से जैसे मांग सिंदूर सजाती रात सप्त ऋषि का हार गले में ध्रुव का हीरा नथनी में सोने के गहनों से लदकर सज-धजकर निकली है रात अंधियारे मेले में घूम कर आ बैठी है मेरे आंगन चंदा से मिलकर खुश होती सूरत से शर्माती रात मेरा हाथ पकड़ कर मुझको ले जाती है नदी किनारे सप्त ऋषि का हार व झूमर सब गहने दिखलाती रात एक कहानी रोज सुनाती कभी हंसाती कभी मनाती अपनी बाहों में समेटकर रोज सुलाने आती रात पवन लोरियां गाती जाती रात मुझे सहलाती जाती मां बन बैठी रहे सिरहाने सारी रात न जाती रात खिड़की पर देती जब दस्तक हौले-हौले सहर सलोनी फिर आने का वादा करके बादल में छुप जाती रात। *** #"रात" सुरमई साड़ी पहनकर धरती पर उतरी है रात तारों जड़ी पहनकर चोली झूम-झूमकर चलती रात माथे पर चंदा का झूमर
#"रात" सुरमई साड़ी पहनकर धरती पर उतरी है रात तारों जड़ी पहनकर चोली झूम-झूमकर चलती रात माथे पर चंदा का झूमर
read moreयशवंत कुमार
वो चेहरा 'तुम्हारा' है मेरी बातों का मेरे जज्बातों का मेरे ख्यालों का मेरे सवालों का Read in caption... वो चेहरा "तुम्हारा " है। मेरी बातों का मेरे जज्बातों का मेरे ख्यालों का मेरे सवालों का मेरी तन्हाईयों का मेरी परछाईयों का
वो चेहरा "तुम्हारा " है। मेरी बातों का मेरे जज्बातों का मेरे ख्यालों का मेरे सवालों का मेरी तन्हाईयों का मेरी परछाईयों का
read moreRohit Potdar
का बरं का ? "Koni Pratyaksha pyeksha Gelyavarach jasta prem jaanavte." Haa difference vedich sarkavta aala nahi. Tar aayushya aani tyatli loko, fakt aathvan mahnun rahun jhatil aani tasecha jagave lagtil. का बरं का ?
का बरं का ?
read moreAuthor Munesh sharma 'Nirjhara'
"अधूरापन ही खींचता है अपनी ओर पूर्ण हो जाने के लिए..." अधूरापन भावों का...सोच का....विचारों का...
अधूरापन भावों का...सोच का....विचारों का...
read moreMayank Pandit
आज कल लोग सच्चे प्यार की नही, बस कुछ दिन साथ दे ऐसे यार की खोज करते है, आज कल तो सकल भी नही देखते लोग, 10 मिनट की चॅटिंग मे डिरेक् पुरपोज करते है, और कहते है की बेबी हम भी मशूर हो लैला मजनू की तरह इस जमाने मे, मगर उनको क्या पता जिंदगी से अल्बिदा कहना पड़ता है इश्क़ का इतिहास बनाने मे. . poet - mayank pandit आज का का इश्क़
आज का का इश्क़
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