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Jayesh gulati
सोलह शृंगार । (Read in caption) ©Jayesh gulati *सोलह शृंगार* मैं नासमझ, कहां समझता था, किसी शृंगार को । वो जिसने किए मेरे लिए सोलह शृंगार ।। पहले पहना माथे उन्होंने, माँग–टिका । जैसे बा
*सोलह शृंगार* मैं नासमझ, कहां समझता था, किसी शृंगार को । वो जिसने किए मेरे लिए सोलह शृंगार ।। पहले पहना माथे उन्होंने, माँग–टिका । जैसे बा
read moreबेजुबान शायर shivkumar
White मेहंदी लगी है हाथों पर, माथे पर सजाया है पिया के नाम का सिंदूर हाथों में पहनी हैं प्यार की चूड़ियां लाल जोड़े ने भी निखारा है नूर सात जन्मों तक रहेंगे साथ यही वादा निभाएंगे हमेशा एक साथ हर साल मनाएंगे करवा चौथ का त्योहार खास ©बेजुबान शायर shivkumar #karwachouth #Karwachauth #मेहंदी लगी है हाथों पर, माथे पर सजाया है #पिया के नाम का #सिंदूर हाथों में पहनी हैं प्यार की #चूड़ियां ला
#karwachouth #Karwachauth #मेहंदी लगी है हाथों पर, माथे पर सजाया है #पिया के नाम का #सिंदूर हाथों में पहनी हैं प्यार की #चूड़ियां ला
read moreAshraf Fani
काश ऐसा हो जाये!! चाँदनी रात हो दरिया हो हल्की घटा छाई हो भीनी ख़ुशबू सी तेरी याद भी लहराई हो मौसमों पे हल्की सी उदासी हो ख़ुशी भी थोड़ी छाई हो उस चाँदनी रात में तू भागी चली आई हो काश ऐसा हो जाये!! ©Ashraf Fani काश ऐसा हो जाये!! चाँदनी रात हो दरिया हो हल्की घटा छाई हो भीनी ख़ुशबू सी तेरी याद भी लहराई हो मौसमों पे हल्की सी उदासी हो ख़ुशी भी थोड़ी छा
काश ऐसा हो जाये!! चाँदनी रात हो दरिया हो हल्की घटा छाई हो भीनी ख़ुशबू सी तेरी याद भी लहराई हो मौसमों पे हल्की सी उदासी हो ख़ुशी भी थोड़ी छा
read morePrerna Singh
कुछ लोगों का नाम पवित्र और कर्म दुश्चरित्र वाला होता हैं। जैसे #इन्द्र नाम देवता का हैं और कर्महीन मनुष्य रख लेता हैं.... ©Prerna Singh लाइफ कोट्स जिंदा लाशों के बारे में पढ़ते पढ़ते बड़ी हो गई और इतनी बड़ी हो गई कि वक्त ही कम पड़ गया। इतनी बड़ी कैसे हो गई????? पता ही नही
लाइफ कोट्स जिंदा लाशों के बारे में पढ़ते पढ़ते बड़ी हो गई और इतनी बड़ी हो गई कि वक्त ही कम पड़ गया। इतनी बड़ी कैसे हो गई????? पता ही नही
read moreRakesh frnds4ever
White बरसों से खटकता रहा हूं जिन आंखों में,, अब मैं उनमें रगड़ने लगा हूं फूटी आंख ना सुहाया किसी को, चुभता रहा ना भाया किसी को, आज उनमें और भी ज्यादा चुभने लगा हूं मैं दिल के दरिया का जो पानी सालों से आंखो से बह बह कर सूख चुका, जिसकी तलहटी को खुंद खूंद कर उसकी परतों से खून तक चूस डाला, जो अब बंजर सुनसान परतों की पपड़ी खाक बन कर उड़ती है तो उस धूल से उनकी आंखों में जो हल्की सी परेशानी है ,, वैसा एक कचरा/ तिनका बना हुआ हूं मैं ,,.... ©Rakesh frnds4ever #फूटिआंखनसुहायकिसिको #बरसों से खटकता रहा हूं जिन #आंखों में,, अब मैं उनमें रगड़ने लगा हूं फूटी आंख ना सुहाया किसी को,#चुभता रहा ना भाया कि
#फूटिआंखनसुहायकिसिको #बरसों से खटकता रहा हूं जिन #आंखों में,, अब मैं उनमें रगड़ने लगा हूं फूटी आंख ना सुहाया किसी को,#चुभता रहा ना भाया कि
read moreTHE VIKRANT RAJLIWAL SHOW
जिसमें तीन टी-शर्ट फाड़ने का दृश्य था, विक्रांत की छोटी उंगली में हल्की चोट लग गई थी। हालांकि, अब उनकी उंगली पहले से पूरी तरह ठीक हो गई है और जल्द ही फिटनेस ब्लॉग और वीडियो भी आपके सामने प्रस्तुत किए जाएंगे। आपके धैर्य और समर्थन के लिए धन्यवाद। सादर, विक्रांत राजलीवाल #VikrantRajliwal #FitnessGoals #TshirtPhadneKaScene #FitnessMotivation #WorkoutJourney #StayTuned #FitnessVlog #FitnessUpdate #ComingSoon #VikrantRajliwalShaktiKendra #StayHealthy #StayStrong ©Vikrant Rajliwal मोटिवेशनल कोट्स इन हिंदी मोटिवेशनल कोट्स हिंदी Entrance examination मोटिवेशनल कविता इन हिंदी मोटिवेशनल कोट्सजिसमें सूचना: Vikrant Rajliwal
मोटिवेशनल कोट्स इन हिंदी मोटिवेशनल कोट्स हिंदी Entrance examination मोटिवेशनल कविता इन हिंदी मोटिवेशनल कोट्सजिसमें सूचना: Vikrant Rajliwal
read moreNurul Shabd
Prakash writer05
White सुनो द्रोपदी शस्त्र उठा लो, अब गोविंद ना आएंगे...l छोड़ो मेहंदी खड़ग संभालो खुद ही अपना चीर बचा लो द्यूत बिछाए बैठे शकुनि, मस्तक सब बिक जाएंगे सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आएंगे...| कब तक आस लगाओगी तुम, बिक़े हुए अखबारों से, कैसी रक्षा मांग रही हो दुशासन दरबारों से स्वयं जो लज्जा हीन पड़े हैं वे क्या लाज बचाएंगे सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आएंग...l कल तक केवल अंधा राजा, अब गूंगा-बहरा भी है होंठ सिल दिए हैं जनता के, कानों पर पहरा भी है तुम ही कहो ये अश्रु तुम्हारे, किसको क्या समझाएँगे सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आएंगे...l ©Prakash writer05 सुनो द्रोपदी शस्त्र उठा लो, अब गोविंद ना आएंगे...l छोड़ो मेहंदी खड़ग संभालो खुद ही अपना चीर बचा लो द्यूत बिछाए बैठे शकुनि, मस्तक सब बिक जा
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठा लो, अब गोविंद ना आएंगे...l छोड़ो मेहंदी खड़ग संभालो खुद ही अपना चीर बचा लो द्यूत बिछाए बैठे शकुनि, मस्तक सब बिक जा
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