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F M POETRY
White ज़ाम लेते हैं तेरी यादों में.. सुबह लेते हैं शाम लेते हैं.. यूसुफ़ आर खान.... ©F M POETRY #सुबह लेते हैं शाम लेते हैं.....
#सुबह लेते हैं शाम लेते हैं.....
read moreShivkumar barman
White अपनी, सबकी वो परेशानिया को सुनते सुनते मुझे अपनी वो परेशानिया तो बताने का मन ही नहीं करता ✍❤ ©Shivkumar barman अपनी, सबकी वो #परेशानियां को सुनते सुनते मुझे #अपनी वो परेशानिया तो बताने का मन ही नहीं करता ✍❤ #बेजुबानशायर143 #बेजुबानशायर #शायरी #Noj
अपनी, सबकी वो परेशानियां को सुनते सुनते मुझे अपनी वो परेशानिया तो बताने का मन ही नहीं करता ✍❤ बेजुबानशायर143 बेजुबानशायर शायरी Noj
read moreहिमांशु Kulshreshtha
White बहकते हैं हर रोज़ ये कदम, तुम्हारे पास आने के लिए, न जानें कितने फासले, अभी तय करने हैं तुम्हें पाने के लिए…. बस इसी तरह सोचा किए थे हम अब, तुमसे मिलने तुमसे बतियाने की चाहत ही बाकी न रही न अब दर्द है, न निशाँ मोहब्बत के उजाड़ दिया है आशियां हमने ख़ुद अपने हाथों से तुम रहो सलामत, हम ख़ुश हैं अपनी ख़ुदी में ©हिमांशु Kulshreshtha खुश हैं..
खुश हैं..
read moreSaurabh Raj Sauri
White उसकी मोहब्बत को पाने का हम "राज", बेहिसाब जतन करते है दर्द को सिल कर उड़ा कर हवा मे, बिन डोर की पतंग करते है कि अधूरा सा छोड़कर मेरी हर एक पहल को रियेक्ट करके msg पर वो बात को, कुछ यूँ खतम करते हैं ©Saurabh Raj Sauri खत्म करते हैं
खत्म करते हैं
read moreperson
White सुबह होती हैं दोपहर होती हैं शाम होती हैं रात होती हैं उम्र यूं ही तमाम होती हैं मौत कब आ जाए कोई नहीं जानता कहां से आ जाए कोई नहीं जानता घर में हैं तब भी आ सकता हैं बाहर है तब भी आ सकता हैं कहीं से भी आ सकता हैं जब उसका वक्त होता हैं समय अनुसार वह आता हैं मगर बात की नहीं आता हैं जीवन और मृत्यु समय-समय के अनुसार ही होता हैं 🙏 ©person #सुबह होती हैं दोपहर होती हैं शाम होती हैं रात होती हैं उम्र यूं ही तमाम होती हैं मौत कब आ जाए कोई नहीं जानता कहां से आ जाए कोई नहीं जानत
#सुबह होती हैं दोपहर होती हैं शाम होती हैं रात होती हैं उम्र यूं ही तमाम होती हैं मौत कब आ जाए कोई नहीं जानता कहां से आ जाए कोई नहीं जानत
read more#Mr.India
White लोग सिर्फ वही सुनते हैं जो उनकी मर्ज़ी हो, सच हो या झूठ, फर्क किसे पड़ता है, बस अपनी बात सही हो। अपनी गलती हो तो उसे हंसी में उड़ा देते हैं, और अगर दूसरों की हो, तो बिना देर किए गिरेबान पकड़ लेते हैं। कभी-कभी ऐसा लगता है कि लोग बहस में चाय की चुस्की की तरह होते हैं, बस गर्मा-गर्म मुद्दे चाहिए, सही या गलत से उन्हें क्या वास्ता? अपनी बुराई पर ऐसे चुप्पी साध लेते हैं, जैसे मुंह में मिश्री रख ली हो, और दूसरों की गलती को ऐसा नमक लगाते हैं, कि अगले की जुबान जल जाए। तो जनाब, लोग वही सुनते हैं जो उन्हें सुहाता है, सच का क्या है, वो तो अपनी सहूलियत से बदलता रहता है। इसलिए ध्यान रखें, दूसरों की सुनें, मगर अपनी भी सुनाएं, वरना लोग आपको ही अपनी कहानी का विलेन बना जाएंगे! ©#Mr.India लोग सिर्फ वही सुनते हैं जो उनकी मर्ज़ी हो, सच हो या झूठ, फर्क किसे पड़ता है, बस अपनी बात सही हो। अपनी गलती हो तो उसे हंसी में उड़ा देते
लोग सिर्फ वही सुनते हैं जो उनकी मर्ज़ी हो, सच हो या झूठ, फर्क किसे पड़ता है, बस अपनी बात सही हो। अपनी गलती हो तो उसे हंसी में उड़ा देते
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