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parveen mati
पहले हृदय में मर जाने की इच्छा पनपेगी, आत्मा उसके बाद देह त्यागेगी...!!! ©parveen mati पहले हृदय में मर जाने की इच्छा पनपेगी, आत्मा उसके बाद देह त्यागेगी...!!!
पहले हृदय में मर जाने की इच्छा पनपेगी, आत्मा उसके बाद देह त्यागेगी...!!! #ज़िन्दगी
read moreREETA LAKRA
बृजमोहन से बिरजू महाराज ४ फरवरी १९३८ के शुभ दिन, लखनऊ में पैदा हुए मिश्रा बृजमोहन शास्त्रीय घराने के अग्रणी नर्तक थे पिता महाराज अच्छन बृज के ताऊ-चाचा लच्छू - शंभू महाराज वे प्रसिद्ध कलाकार नौ वर्ष की वय में सर से पितृच्छाया हट गयी, अंस पर इनके परिवार का जिम्मा आया चाचा से तब कत्थक सीखा, शास्त्रीय गायन में की हासिल निपुणता १६ जनवरी २०२२ जग को कहा अलविदा जोड़ा कत्थक में नृत्य नाटिका, पहुँचाया कत्थक कला को शीर्ष पर 'कलाश्रम' के वे संस्थापक विश्व भ्रमण कर सैकड़ों कार्यशालाओं के बने संयोजक कत्थक में लब्ध नई ऊँचाई, बन गए बृजमोहन से बिरजू महाराज 👑०२/३६५@२०२२ १६ जनवरी २०२२ के दिन बिरजू महाराज ने देह त्याग कर दिया। 🙏 विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित है
१६ जनवरी २०२२ के दिन बिरजू महाराज ने देह त्याग कर दिया। 🙏 विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित है
read morePiyush Sundriyal
आप देह त्याग सकते हैं , किन्तु हमारे ह्रदय से अपना वजूद नहीं त्याग सकते ।😢😢 Voice Nojoto Nojoto News Nojoto Hindi Nojoto English Nojo #Nojotovoice
read moreNaresh Bokan Gurjar
शिक्षा का दान प्यासे व्यक्ति को जल पिलाने के समान है गुणकारी होता है। क्योकि जिस प्रकार प्यासा व्यक्ति बिना जल के कुछ क्षणों में देह त्याग देता है ठीक उसी प्रकार अशिक्षित व्यक्ति जीवित होकर भी मृत के समान जीवन व्यतीत करता है । शिक्षा का दान प्यासे व्यक्ति को जल पिलाने के समान है गुणकारी होता है। क्योकि जिस प्रकार प्यासा व्यक्ति बिना जल के कुछ क्षणों में देह त्याग
शिक्षा का दान प्यासे व्यक्ति को जल पिलाने के समान है गुणकारी होता है। क्योकि जिस प्रकार प्यासा व्यक्ति बिना जल के कुछ क्षणों में देह त्याग
read moreittu Sa
last part अदब-ए-ताबीज पर क्या सवाल उठाओगे, महशर का दिन हैं आज सवाल उठाओगे। अपना जनाजा वालिद से ही क्या उठाओगे, महशर भी देह त्याग दें तोहमत ऐसा उठाओगे। ©ittu Sa blog- https://ittusaphenomenal.blogspot.com/?m=1 अदब-ए-ताबीज पर क्या सवाल उठाओगे, महशर का दिन हैं आज सवाल उठाओगे। अपना जनाजा वालिद से ही क
blog- https://ittusaphenomenal.blogspot.com/?m=1 अदब-ए-ताबीज पर क्या सवाल उठाओगे, महशर का दिन हैं आज सवाल उठाओगे। अपना जनाजा वालिद से ही क
read morePnkj Dixit
🌷जीवन का उद्धार करो 🌷 दर्शन देकर स्वप्न साकार करो । हे देवी ! जीवन का उद्धार करो ।। ओ प्रिय पिय ! दर्शन देकर हृदय में प्रेम की उमंग भरो । रंग - बिरंगे स्वप्नों का सागर कमल - नयनों में तंरग भरो ।। मन बन कोयल लगे कूकने वाणी में मधु प्रेम रस भरो । हृदय पटल पर अंकित होकर अमिट अमर प्रेम की छाप करो ।। राधा - कृष्ण का प्रेम है निश्छल बृज संग समझ गया बलवीर । आत्मिक प्रेम में स्वर्गिक आनन्द देह त्याग समर्पण फलीभूत करो ।। दर्शन देकर स्वप्न साकार करो । हे देवी ! जीवन का उद्धार करो ।। ०९/१०/२०१९ 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' 🌷जीवन का उद्धार करो 🌷 दर्शन देकर स्वप्न साकार करो । हे देवी ! जीवन का उद्धार करो ।। ओ प्रिय पिय ! दर्शन देकर हृदय में प्रेम की उमं
🌷जीवन का उद्धार करो 🌷 दर्शन देकर स्वप्न साकार करो । हे देवी ! जीवन का उद्धार करो ।। ओ प्रिय पिय ! दर्शन देकर हृदय में प्रेम की उमं
read moreआयुष पंचोली
जो लोग किसी के जीते वक्त अगर उससे जुड़े हुएँ किसी रिश्ते का, उस व्यक्ति का सम्मान नही कर सकते तो, ऐसे लोगो को उस व्यक्ति के देह त्याग के बाद भी उसके अन्तिम दर्शन का कोई हक नही हैं। अगर आप जीते जी उस इन्सान को वह मान , वह सम्मान, उससे जुड़े रिश्ते को निभा ही नही पायें , तो उसके देह त्याग के पश्चात दिखावा करके आंसू बहाने से क्या लाभ। अगर आपके मन मे उस रिश्ते या उस व्तक्ती के लिये थोड़ा सा भी मान होता तो, आप कभी उस रिश्ते से दूर ही नही होते। मगर अगर आपने जब उस रिश्ते का उस व्यक्ति का ही मान नही रखा तो उसकी मृत्यू उपरांत भी कोई दिखावा कभी मत करना। अगर सच मे इन्सान हो तो। वजह चाहे जो हो, अगर कोई रिश्ता खत्म होता हैं तो, हाथ किसी तीसरे का ही होता हैं। और जहां दो लोग आपसी सम्बन्धो के बीच किसी तीसरे की बात को बिना सोचे, जाने और समझे ही महत्व देते हुएँ किसी रिश्ते का अन्त कर दे, वह गलती से इस मानव यौनि मे आये हैं।🙏🙏🙏 बात बहुत कड़वी हैं मगर, मै तो ऐसा ही हूं। और हर उस शख्स से हाथ जोड़कर निवेदन करता हूं, जिन्होंने मुझे बीच मजधार मे छोड दिया था, जिन्होने मुझसे जुड़े रिश्तों को किसी और की बातों मे आकर तोड दिया था, अब उनसे मेरा कोई समबन्ध नही रह जायेगा, आखरी ख्वाईश ही यह रहेगी मेरी, ऐसे किसी भी शख्स को मेरे और मुझसे जुड़े रिश्तों के अन्तिम दर्शन का हक भी नही दिया जायेगा....!!!!!🙏🙏🙏🙏🙏 ©आयुष पंचोली ©ayush_tanharaahi #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #mereprashnmerisoch जो लोग किसी के जीते वक्त अगर उससे जुड़े हुएँ किसी रिश्ते का, उस व्यक्ति का सम्मान नही कर सकते तो, ऐसे लोगो को उस व्यक्ति के देह त्याग के बाद
जो लोग किसी के जीते वक्त अगर उससे जुड़े हुएँ किसी रिश्ते का, उस व्यक्ति का सम्मान नही कर सकते तो, ऐसे लोगो को उस व्यक्ति के देह त्याग के बाद #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #mereprashnmerisoch
read moreVishw Shanti Sanatan Seva Trust
जय श्री राधे ©Vishw Shanti Sanatan Seva Trust जगद्गुरु स्वामी रामानंदाचार्य की जयंती स्वामी रामानंदाचार्य वैष्णव भक्तिधारा के महान संत हैं। रामानंद अर्थात रामानंदाचार्य ने हिन्दू धर्म को
जगद्गुरु स्वामी रामानंदाचार्य की जयंती स्वामी रामानंदाचार्य वैष्णव भक्तिधारा के महान संत हैं। रामानंद अर्थात रामानंदाचार्य ने हिन्दू धर्म को #लव
read moreआयुष पंचोली
मृत्यू क्या हैं। सबसे बड़ा सत्य, या सबसे बड़ा झुठ मृत्यू क्या हैं? यह एक बहुत बड़ा प्रश्न हैं, जिसका उत्तर सबके लिये अलग हैं। क्योकी जो व्यक्ति सांसारिक क्रिया कर्मो से बंधा हैं उसके लिये यह
मृत्यू क्या हैं? यह एक बहुत बड़ा प्रश्न हैं, जिसका उत्तर सबके लिये अलग हैं। क्योकी जो व्यक्ति सांसारिक क्रिया कर्मो से बंधा हैं उसके लिये यह #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #ayuspiritual
read morePARBHASH KMUAR
देवी दुर्गा ने अपने भक्तों के कल्याण के लिए पृथ्वी पर नौ अवतार लिए थे, जिन्हें नवदुर्गा भी कहा जाता है। इनमें सबसे पहला अवतार, देवी शैलपुत्री का है। देवी दुर्गा के प्रथम स्वरूप ‘शैलपुत्री’ का अर्थ है, पर्वत की पुत्री या पहाड़ों की बेटी। इन नौ अवतारों में से देवी दुर्गा के इस अवतार की कहानी, माता सती के आत्मदाह से जुड़ी हुई है। तो आइए जानते हैं, माँ शैलपुत्री की महिमा की पुण्य कथा- देवी दुर्गा के इस अवतार की पूजा, नवरात्रि के पहले दिन बड़े धूमधाम से की जाती है। देवी दुर्गा के प्रथम स्वरप, शैलपुत्री को शांति और सौभाग्य की देवी माना जाता है। देवी शैलपुत्री का स्वरूप भी अत्यंत मनोरम है। देवी के बाएं हाथ में कमल का पुष्प सुसज्जित है, तो वहीं उन्होंने अपने दाएं हाथ में त्रिशूल धारण किया है। देवी शैलपुत्री का वाहन वृषभ यानी बैल है, इसलिए उन्हें वृषारूढ़ा भी कहा जाता है। उनकी महिमा कथा का उल्लेख नवदुर्गा पुराण में भी मिलता है। पुराणों में निहित कथा के अनुसार, प्रजापति दक्ष अपने दामाद भगवान शिव के प्रति अत्यंत क्रोध और ईर्ष्या का भाव रखते थे। एक बार, उन्होंने कनखल में एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया और सभी देवताओं को उसमें शामिल होने का निमंत्रण भेजा, लेकिन दक्षराज ने अपनी पुत्री सती और उनके पति शिव को इस यज्ञ में आमंत्रित नहीं किया। इस यज्ञ के बारे में जब देवी सती को पता चला, तो वह वहां पहुंची और दक्ष से शिव को निमंत्रण न भेजने का कारण पूछा। इसपर प्रजापति दक्ष ने सती का घोर अपमान किया और महादेव के बारे में कई अनुचित शब्द भी कहे। देवी सती अपने पति का ऐसा अपमान सह नहीं पाईं और उन्होंने, उसी यज्ञ की अग्नि में अपनी देह त्याग दी। देवी सती के इस तरह आत्मदाह करने के बाद, भगवान शिव उन्माद से हो गए और कैलाश भी श्रीहीन हो गया। सभी देवताओं को महादेव की ऐसी हालत देखकर अत्यंत चिंता होने लगी, लेकिन दैत्यों को महादेव की दशा पर बहुत आनंद आ रहा था और उन्होंने मौके का फायदा उठाते हुए, स्वर्गलोक में उपद्रव मचाना शुरू कर दिया था। तब सभी देवताओं ने त्रस्त होकर, आदिशक्ति का ध्यान किया और उनसे देवगणों की रक्षा करने की प्रार्थना की। देवी आदिशक्ति ने तब सभी देवताओं को यह कहते हुए आश्वस्त किया, कि वह बहुत जल्द राजा हिमवान के घर कन्या रूप में जन्म लेंगी। दूसरी तरफ़, पर्वतराज हिमालय और उनकी पत्नी मैनावती की कोई भी संतान नहीं थी, इसलिए उन दोनों ने भी आदिशक्ति की आराधना करते हुए, उनसे संतान प्राप्ति का वर मांगा। पर्वतराज और उनकी पत्नी की तपस्या से प्रसन्न होकर, आदिशक्ति ने उन्हें यह आशीर्वाद दिया, कि वह स्वयं उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लेंगी। कालांतर में जब देवी ने हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया, तो पर्वत की पुत्री होने के कारण उनका नाम पार्वती, शैलपुत्री और गिरिजा पड़ा। बचपन से ही देवी शैलपुत्री, महादेव को ही अपना सर्वस्व मानती थीं और देवर्षि नारद के कहने पर वह शिव को पाने की तपस्या करने के लिए, जंगल में चली गईं थी। उस वक्त, कोई भी देवी शैलपुत्री को उनकी तपस्या से विचलित नहीं कर पा रहा था। तब स्वयं महादेव ने उनके प्रेम की परीक्षा लेने के लिए, सप्तऋषियों को शैलपुत्री के पास भेजा। सप्तऋषियों ने वहाँ जाकर, महादेव के बारे में बहुत बुरा भला कहा, कि वे तो अघोरी हैं, जटाधारी हैं इत्यादि, लेकिन शैलपुत्री पर इन बातों का कोई प्रभाव नहीं पड़ा और वह अपनी तपस्या में लीन रहीं। उनकी ऐसी अडिग भक्ति और प्रेम को देख सप्तऋषि बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने कैलाश आकर सारा वृत्तांत महादेव को सुनाया। इसके बाद, महादेव ने देवी को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करने का निश्चय कर लिया और सप्तऋषियों ने उनके विवाह का शुभ लग्न तय कर दिया। हिंदू धर्म में नवरात्रि के त्योहार का काफ़ी महत्व होता है और इसे मुख्य रूप से साल में दो बार मनाया जाता है, पहला चैत्र के महीने में और दूसरा आश्विन के महीने में। देवी शैलपुत्री की पूजा के दौरान दुर्गा स्तोत्र, सप्तशती और चालीसा इत्यादि का पाठ भी किया जाता है। मां शैलपुत्री का पूजन मंत्र - “वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥” अर्थात, सभी भक्तों को मनोवांछित वर देने वाली, वृषारूढ़ा देवी शैलपुत्री का मैं वंदन करता हूँ। ऐसी मान्यता है, कि देवी शैलपुत्री को सफेद वस्तुएं अत्यंत प्रिय हैं, इसलिए उनकी पूजा में सफेद फूलों और मिठाइयों का भोग लगाया जाता है। मान्यता तो यह भी है, कि काशी में देवी शैलपुत्री का एक प्राचीन मंदिर स्थित है, जहाँ माता के दर्शन मात्र ©parbhashrajbcnegmailcomm देवी दुर्गा ने अपने भक्तों के कल्याण के लिए पृथ्वी पर नौ अवतार लिए थे, जिन्हें नवदुर्गा भी कहा जाता है। इनमें सबसे पहला अवतार, देवी शैलपुत्र
देवी दुर्गा ने अपने भक्तों के कल्याण के लिए पृथ्वी पर नौ अवतार लिए थे, जिन्हें नवदुर्गा भी कहा जाता है। इनमें सबसे पहला अवतार, देवी शैलपुत्र #Knowledge
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