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IG @kavi_neetesh
दे दो शक्ति मुझे मां तू चंडी ( गीत) ********************** दे दो शक्ति मुझे मां तू चंडी, पास फटके कभी ना व्यभिचारी। मैया मुझको तूं सबला बना दे, बेटियों की रहे ना लाचारी।। कुंवारी कन्या की करते जब पूजा, बेटियों की तब इज्जत बचाओ। नारी शक्ति है जब दुर्गा-काली, मां- बेटी की आबरू बचाओ।। मैया ताकत और हिम्मत तूं भर दे, मर्दों से ना कमजोर रहे नारी। नारियां अब नहीं किसी से कम है, पुरुषों पे अब ये पड़ रही है भारी।। मैया तुझको निभाना पड़ेगा, नारियों को बचाना पड़ेगा। सरकार से ऐसा कानून बनवा दे, बलात्कारियों को मृत्युदंड दिलवा दे।। अब ना अबला रहे कोई भी नारी, नहीं हो नारियों पे अत्याचारी। अंबे हम सब में हिम्मत तूं भर दे, पूरी करदे मुरादे हमारी। दे दे शक्ति हमें मां तू चंडी, तेरे दर पे हैं हम सब पधारी। ©IG @kavi_neetesh दे दो शक्ति मुझे मां तू चंडी ( गीत) ********************** दे दो शक्ति मुझे मां तू चंडी, पास फटके कभी ना व्यभिचारी। मैया मुझको तूं सबला बन
सूरज कोठारी'देव'
White सादगी से बरबाद हुए हैं साहेब, पहले उनकी से फिर अपनी से। ©सूरज कोठारी'देव' #sad_quotes #दुःख #लाचार
#sad_quotes #दुःख #लाचार #शायरी
read morePraveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी भरे है जहर,अनाज फलो सब्जियों में नस्ले फसले उजड़ रही है कीटनाशक छिड़क कर बंजर जमीन ,नस नस में बीमारिया बस रही है लाचारी का जीवन उम्र कम कर एक दो नही करोड़ो में कैंसर की शिकायत हो रही है मौन है सरकारे, पैदावार बढ़ाने की जिद में आमजनों का जीवन हरण कर रही है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Sukha लाचारी का जीवन,उम्र कम कर #nojotohhindi
#Sukha लाचारी का जीवन,उम्र कम कर #nojotohhindi #कविता
read moreFuck off nojoto
नादानगी में कैसे, ख़ुद को बहका रहे हैं नही है नही है, इश्क़ झुठला रहे है.. दिल जलाने में उनको, मज़े आ रहे है जिगर चाक करके, वो चले जा रहे है.. हुए पाँच दिन कुल, उनको मुझसे है बिछड़े अभी से ये तारे, जिस्म पिघला रहे हैं.. गले से लगा लो, या मुझको मार डालो वसवसे तन्हाइयों के, दिल दहला रहे हैं.. किया ये अहद है, फिर ना होगी मुहब्बत लाचारगी तो देखो, ख़ुद को बहला रहे हैं.. लगाते है वो मोल, उदासियों का मिरी हूँ परेशां बे-मतलब, ये दोहरा रहे हैं.. आँखों से मिरी आँसू, सँभाले ही न संभलें रहमत ये किस ख़ुशी में, वो बरसा रहे हैं.. इक शराब ही है, ग़म-ए-फुरक़त समझती मरीज़-ए-इश्क़ ख़ुद को, यूँ भी समझा रहे हैं.. वाक़िफ़ हो गए है, दुश्वारियों से ज़िन्दगी की हम भी हैं इंसा, हम भी पछता रहे हैं.. तस्वीरों को जिसकी, देखकर तू था रोया कूचा-ए-रक़ीब में वो इश्क़ फरमा रहे हैं.. दूर महसूस ख़ुद को, करते है ख़ुद ही से बेवज़ह नही हम, तग़ज़्ज़ुल फ़रमा रहे है.. किनारे लग गए हैं, मिरे ख़्वाब सारे देखकर मिरा हस्र, ये भी घबरा रहे है.. मेरा अज़ीब होना, ही है मेरी जरूरत छोटे मोटे ग़म तो, आने को शरमा रहे है.. ©Arshu.... नादानगी में कैसे, ख़ुद को बहका रहे हैं नही है नही है, इश्क़ झुठला रहे है.. दिल जलाने में उनको, मज़े आ रहे है जिगर चाक करके
नादानगी में कैसे, ख़ुद को बहका रहे हैं नही है नही है, इश्क़ झुठला रहे है.. दिल जलाने में उनको, मज़े आ रहे है जिगर चाक करके #Shayari
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कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी । मुख मण्ड़ल के आप , नही सोहे लाचारी ।। कैसे तुमसे दूर , कहीं राधा रह पाती । सुन कर वंशी तान , दौड़ राधा नित आती ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी । मुख मण्ड़ल के
कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी । मुख मण्ड़ल के #कविता
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कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी । मुख मण्ड़ल के आप , नही सोहे लाचारी ।। कैसे तुमसे दूर , कहीं राधा रह पाती । सुन कर वंशी तान , दौड़ राधा नित आती ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी ।
कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी । #कविता
read morePoet Kuldeep Singh Ruhela
में देख नही सकता कटे फटे अंगों को में देख नही सकता मरते अपने सगी संबंधी को में देख नहीं सकता बहु बेटियो की लूटी अस्मत को में देख नही सकता बैकसूर लचारो को में देख नही सकता भूखे की लाचारी को अब हमको कदम कुछ तो उठाना होगा बंद हो ये अत्याचार बेकसूरों पर नही तो दोस्तो हमको फिर से हथियार उठाना होगा! ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #sad_shayari में देख नही सकता कटे फटे अंगों को में देख नही सकता मरते अपने सगी संबंधी को में देख नहीं सकता बहु बेटियो की लूटी अस्मत को में
#sad_shayari में देख नही सकता कटे फटे अंगों को में देख नही सकता मरते अपने सगी संबंधी को में देख नहीं सकता बहु बेटियो की लूटी अस्मत को में #शायरी
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White ग़ज़ल :- इश्क़ की छाई अब खुमारी है रात करवट भरी गुजारी है सबने बोला बड़ी बिमारी है माँ ने फिर भी नज़र उतारी है फूल आयेंगे एक दिन सुंदर बागबाँ ने करी तैयारी है चाँद कुछ भी न आसमां में अब उससे प्यारी जमीं हमारी है कैसे करता गिला रकीबों से हाथ उनके दिखी कटारी है जुल्म़ सहना समाज के हँसकर आज इंसान की लाचारी है लोग कहते हैं राहबर जिसको वो हक़ीक़त में इक शिकारी है लाज़ आती नहीं प्रखर उसको ऐसा लगता बड़ा भिखारी है महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- इश्क़ की छाई अब खुमारी है रात करवट भरी गुजारी है सबने बोला बड़ी बिमारी है माँ ने फिर भी नज़र उतारी है फूल आयेंगे एक दिन सुंदर बागबाँ
ग़ज़ल :- इश्क़ की छाई अब खुमारी है रात करवट भरी गुजारी है सबने बोला बड़ी बिमारी है माँ ने फिर भी नज़र उतारी है फूल आयेंगे एक दिन सुंदर बागबाँ #शायरी
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