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Shariq Taqi
कौन दीपक राग छेड़े ,क्युं करें फिकरे सुख़न खुश नवा हर लव्ज़ इक दिन बे सदा हो जाएगा डां.नफीस तकी सिरोंजी shariq taqi dr nafees taqi
shariq taqi dr nafees taqi
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जहाँ तआस्सुब की गोलिया हो दिलो में फ़िरक़ा परसतिय हो वहाँ तहाफ़्फ़ुज़ किसे मिलेगा न जाने किस अजनबी का खंजर हमारे सीने पे आके ठहरे न जाने किस तीर पे लिखा हो नफ़ीस नामो पता हमारे jahan tasub ki goliya ho dil -o-main firka parastiya ho wahan tahafuz kise milega na jane kis ajnabi ka khanjar humare seene pe aake thhere na jane kis tir pe likha ho nafees namo pata humara by dr nafees taqi sironj mp shariq taqi dr nafees taqi sironj
shariq taqi dr nafees taqi sironj
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अपनी मज़िंल पे पहुचंने बाले ,कोशेशे बार बार करते हें ओर ज़िन्दगी से हार ने वाले ,मोत का इंतेजार करते है डां.नफीस तकी सिरोंजी shariq taqi by nafees nafees taqi
shariq taqi by nafees nafees taqi #शायरी
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मैं तो गुन्हगार ओ ख़ता कार ही सही ये तो बताओ साहिबे किरदार कोन है Mai to gunha gar -o- khata kar hi sahi ye to bata -o -sahib -e- kirdar kon hai by Dr Nafees Taqi taqi Sironj ©Shariq N Taqi Dr Nafees taqi shariq taqi sironj
Dr Nafees taqi shariq taqi sironj
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लहर लहर लहरा ऎ मौसम लहर लहर लहरा ऎ रे लहर लहर लहरा ऎ मौसम ताजमहल सा सुंदर सुंदर रूप ने निकाला गोरी ने जगमग जगमग शीशे जैसा तन उज्यला गौरी ने नर्म हवा का झोंका छू ले तो इतरा ऎ रे लहर लहर लहराए मौसम सात सुरों की रचना उसके पांव के नीचे रहती है घुलती है कानों में सरगम हर आहट कुछ कहती है बिन पायल के छम-छम करती पनघट से वह आए रे लहर लहर लहराए मौसम बिन मोती की सीप हूं मैं और तू मेरी आशा कोरी पुस्तक हूं मैं और तू शब्दों की परिभाषा दहेका के बाजू का कसबल खेती के मैदानों में गेहूं के कोषों के अंदर पौधों की श्रयनो में किरने बोने वाला एक दिन सूरज को उपजा ए रे लहर लहर लहरा ऎ मौसम मजदूरों के हाथ सिकंदर सब है ज़माने मेहनत के सोना चांदी हीरे मोति सारे खज़ाने मेहनत के उड़कर खून पसीना जिसका दुनिया को गर्मा ऎ रे लहर लहर लहरा ऎ मौसम भारत की धरती अलबेली जिस पर मंडराते बादल रिमझिम रिमझिम बोछरो से अमृत बरसाते बादल कच्चे घर की छत पर क्या-क्या बरखा शोर मचा ऎ रे लहर लहर लहरा ऎ मौसम ये गीत मुशायरों में और रिसालों में बहुत पसंद किया जाता था आज से ५० साल पहले ये गीत मेरे वालिद साहब ने लिखा था ख़ुश बू के पर खुले बुक से लिया है ! By Dr nafees taqi shariq taqi
shariq taqi
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सुकूते माज़ी में हाल ग़ायब सदी में सब माहो साल ग़ायब सुकूते माज़ी - गुज़रा हुआ ज़माना दिमाग मे इंतेशर इतना ज़ुबा से हर्फे सवाल ग़ायब इंतेशर -बिखरा हुआ अजीब फैशन के सिलसिले है शिमाल ही में शिमाल ग़ायब शिमाल-उत्तरी दिशा By Dr nafees taqi shariq taqi
shariq taqi
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बे ज़ुबान हाथी को ज़ालिम ने धोका दिया बारूद से भरा हुआ फल खिला दिया आतंकवादी भी शर्मिन्दा हो गया ज़मीर ज़ालिम ने उस का जगा दिया उस की कोख मे पल रहा था बच्चा बिन जन्मे मौत के घाट सुला दिया तड़प तड़प के मौत को गले से लगाया तू ने हर इंसान को रूला दिया shariq taqi shariq taqi
shariq taqi
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