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Akashdeep
हिंदुस्तान की राजनीति पर चंद लाईन ये हिंदुस्तान हैं मेरी जान यहाँ मंदिर तोड़ने वाले को महान ओर बचाने वाले को आतंकी पढ़ाया जाता हैं बलात्कारी को ईनाम ओर सहने वाले को तिरस्कार दिया जाता हैं देश की सीमा की रक्षा करने वाले को बलात्कारी और बलात्कार करने वालो को देशभक्त बताया जाता हैं ये हिंदुस्तान हैं मेरी जान यहाँ मंदिर तोड़ने वाले को महान पढ़ाया जाता हैं यहाँ देशभक्त को अंधभक्त ओर देशद्रोही नारे लगाने वालों को देशभक्त बोला जाता हैं यहां आतंकवाद का कोई मजहब नही पर आतंकवादी के जनाज़े में सैकड़ों रिश्तेदार नजर आते हैं ऐसे ही राज नही किया लुटेरों ने इस देश पर चंद सिक्कों के लिए गद्दारों ने बेचा हैं देश मेरा लेकर नही आये थे वो लुटेरे सेना अपने साथ शामिल थे कुछ हमारे भाई चंद रोटी के टुकड़ों के लिए नदियां बही थी लहू की इस देश की माटी में शामिल जो थे तुर्को की सेना में कुछ गद्दार इस वतन के जय हिंद जय भारत आकाशदीप जयपुर राजनीतिक
राजनीतिक
read moreसतीश तिवारी 'सरस'
डॉ. प्रकाश जी डोंगरे की पंक्तियाँ जलती सड़कों पर जो एक अकेला आदमी गुलमोहर की तलाश में नंगे पाँव जा रहा है व्यवस्था का सूरज सबसे अधिक उससे ही घबरा रहा है। ''बूढ़ा पिता और आम का पेड़'' काव्य संग्रह से साभार ©सतीश तिवारी 'सरस' #व्यवस्था
Author Harsh Ranjan
दुनिया के कानूनों ने मुझे ये सिखाया है कि घोड़ा और गधा एक है, व्यवस्था की नजर में! या कहें कि घोड़ापन अथवा है। दुनिया का गधों के लिए यही जज्बा है। सर्वत्र संसार में अकाल व्याप्त है! भूख और भूख का डर जल और वायु से भी पर्याप्त है। कमाने वालों को कम खाने के गुण बताए जा रहे हैं और लोग उनकी रसोई के आटे-दाल से भंडारे करवाये जा रहे हैं। किसी ने मेरे कानों में धीमे से कहा है, एक किसान दो फसल काटकर भी आयु में उतना कमाता है कि उसके तीन पुश्त एक भी रात भूखे न गुजारें! पर ये गांव वालों को कैसे समझाएं कि बेरोजगारी के दिन-रात बिस्तर पर न गुजारें! अगर धरती पर पड़ा होना ही अस्तित्व है तो ये व्यवस्था मानव से ज्यादा मवेशियों के निमित्त है। व्यवस्था
व्यवस्था
read moreAuthor Harsh Ranjan
दुनिया के कानूनों ने मुझे ये सिखाया है कि घोड़ा और गधा एक है, व्यवस्था की नजर में! या कहें कि घोड़ापन अथवा है। दुनिया का गधों के लिए यही जज्बा है। सर्वत्र संसार में अकाल व्याप्त है! भूख और भूख का डर जल और वायु से भी पर्याप्त है। कमाने वालों को कम खाने के गुण बताए जा रहे हैं और लोग उनकी रसोई के आटे-दाल से भंडारे करवाये जा रहे हैं। किसी ने मेरे कानों में धीमे से कहा है, एक किसान दो फसल काटकर भी आयु में उतना कमाता है कि उसके तीन पुश्त एक भी रात भूखे न गुजारें! पर ये गांव वालों को कैसे समझाएं कि बेरोजगारी के दिन-रात बिस्तर पर न गुजारें! अगर धरती पर पड़ा होना ही अस्तित्व है तो ये व्यवस्था मानव से ज्यादा मवेशियों के निमित्त है। व्यवस्था
व्यवस्था
read moresomnath gawade
प्रचलित व्यवस्थेविषयी 'व्यवस्थित' बोलले नाहीतर 'व्यवस्था' आपल्याला व्यवस्थित जागी पोहचविते. 🤣😂 #व्यवस्था
Vijay Bharti
muzaffarpur नमस्ते video HD ©Vijay Bharti जिंदगी के राजनीतिक
जिंदगी के राजनीतिक #सस्पेंस
read moreRavi Kumar
झेलेंगे सारे सितम लोगों पर गम आने नहीं देंगे, ना होगा कोई लाचार, किसानों को जहर खाने नहीं देंगे, कुछ देना होगा तो सेवा का मौका देना मुझे, दुखों की दरिया मे गरीबों को नहाने नहीं देंगे, /,,,,, रवि कुमार (बिहार) निर्दलीय बिधायक🙏 सुमित कुमार गुप्ता जी को अपने क्षेत्र में एक बार सेवा करने का मौका जरूर दे, 115 बनियापुर बिधानसभा क्षेत्र,, छपरा (सारन) बिहार राजनीतिक शायरी #WelcomLife
राजनीतिक शायरी #WelcomLife
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