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Stories related to महिषासुरमर्दिनी महालक्ष्मी स्तोत्र

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Rakesh Kumar Das

#माँ महिषासुरमर्दिनी # #navratri2020

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माँ  महिषासुरमर्दिनी 

हिन्दुओं का एक  प्रमुख  त्यौहार  
  है  दशहरा  पूजा। 
धरापृष्ठ  को आती  हैं हमें  दर्शन 
     दिलाने  माँ  दशभुजा।। 
अश्विनी शुक्ल दशमी को विजयदशमी 
    धूमधाम से मनाया जाता। 
आते  ही  सभी  रावणों   का  ह्रदय 
    धड़ धड़ सा हो जाता।। 
यह  त्यौहार  है भारतीय संस्कृति 
     के वीरता का पूजक। 
माँ देवी  है सबके रक्षक, शासक 
     शौर्य  का  उपासक।। 
भगवान  राम  ने इसी दिन वीरतापूर्ण 
     रावण का वध किया। 
इसे हम असत्य पर सत्य और शौर्य की 
     विजय के रूप में मनाया।। 
व्यक्ति  और  समाज के रक्त रक्त  में 
       वीरता प्रकट होना है। 
इसलिए भारतीय संस्कृति में दशहरा
      का उत्सव रखा गया है।। 
दशहरा पर्व को मनाने हेतु जगह -जगह 
      होता मेलों का आयोजन। 
खुले आसमान के नीचे मेले का  आनंद 
      लेते हैं परिवारजन।। 
इसदिन रावण का विशाल पुतला बनाकर 
       उसे जलाया जाता है। 
दशहरा का उत्सव शक्ति के प्रतीक के रूप 
        में मनाया जाता है।। 
लोग पुतले जलाकर सोचते  हैं  रावण का 
        वध सफलता से हो गया। 
पर  जो उनके आगे पीछे  सौ सौ रावण हैं 
        उनका वध कैसे हो पाया।। 
जश्न  की  मान्यता अलग -अलग रूप  में 
   होती  है  सबकी। 
जैसे   नयी   फसलों  के घर  आने का 
       जश्न  है  किसान  की।। 
दशहरे  पर  एक   दूसरे  के घर घर 
     जाने  का रिवाज है। 
पर ये रिवाज मोबाइल कॉल और मेसेज 
       का रूप ले चुका है।।

©Rakesh Kumar Das #माँ महिषासुरमर्दिनी #

#navratri2020

कृष्ण

शिवतांडव स्तोत्र #समाज

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कृष्ण

शिवतांडव स्तोत्र #कविता

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उपांशु शुक्ला

poetryhub

Kundan Kumar Mallick

महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र #कविता

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Devanand Jadhav

श्री गणपती स्तोत्र... #मराठीपौराणिक

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🌷 गणपति स्तोत्र 🌷

गणपति: विघ्नराजो लम्बतुन्ड़ो गजानन:।
द्वै मातुरश्च हेरम्ब एकदंतो गणाधिप:॥
विनायक: चारूकर्ण: पशुपालो भवात्मज:।
द्वादश एतानि नामानि प्रात: उत्थाय य: पठेत्॥
विश्वम तस्य भवेद् वश्यम् न च विघ्नम् भवेत् क्वचित्।

विघ्नेश्वराय वरदाय शुभप्रियाय।
लम्बोदराय विकटाय गजाननाय॥
नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय।
गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥

शुक्लाम्बरधरं देवं शशिवर्णं चतुर्भुजं।
प्रसन्नवदनं ध्यायेतसर्वविघ्नोपशान्तये॥

©Devanand Jadhav श्री गणपती स्तोत्र...

Arun Chinchangi

शिव तांडव स्तोत्र #कविता

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Manoj Bhatt

शिव पंचाक्षर स्तोत्र

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Devanand Jadhav

शिवपंचाक्षर स्तोत्र #humantouch #मराठीपौराणिक

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श्रावणी सोमवारची उपासना शिवपंचाक्षरी स्तोत्राने करा. 

शिवपंचाक्षरी स्तोत्राची रचना आदी शंकराचार्यांनी केली होती. 
   नमः शिवाय  ची पहिली पाच अक्षरे न,  म,  शि,  वा  आणि  य यातून श्र्लोकांची रचना केली गेली आहे. या माध्यमातून शंकराचार्यांनी शिवशंकराचा महिमा विस्तृत करून दिला आहे, जो प्रत्यक्ष शिव शिवशंकरा समान आहे. 

  श्लोक- नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय। नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मै 'न' काराय नमः शिवायः॥
   अर्थ :- ज्यांच्या गळ्यात सर्पमाला आहे, ज्यांना तीन डोळे आहेत, ज्यांची काया भस्माविलेपित आहे, दिशा ज्यांचे वस्त्र आहे, त्या अविनाशी महेश्वर, 'न' कार स्वरूप शिवशंकराला माझा नमस्कार असो.
 श्लोक- मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय। मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मै 'म' काराय नमः शिवायः॥
 अर्थ :- गंगाजल आणि चन्दनाने ज्यांचे स्नान झाले आहे, मंदार व इतर फुलांनी ज्यांची पुजा झाली आहे, त्या नंदीच्या अधिपती आणि प्रथम गणांचे स्वामी महेश्वर 'म' कार स्वरूप शिवशंकराला माझा नमस्कार असो.
 श्लोक- शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय। श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै 'शि' काराय नमः शिवायः॥
  अर्थ :- जे कल्याण स्वरूप आहे, माता पार्वतीचे मुखकमल प्रसन्न करण्यासाठी जे सूर्य स्वरूप आहे, जे दक्ष राजाच्या यज्ञाचा नाश करणार आहे,ज्यांच्या ध्वजावर बैलाचे चिन्ह आहे, त्या शोभायमान नीलकंठ 'शि' कार स्वरूप शिवशंकराला माझा नमस्कार असो.
  श्लोक- वसिष्ठ कुम्भोद्भव गौतमार्य मुनींद्र देवार्चित शेखराय। चंद्रार्क वैश्वानर लोचनाय तस्मै 'व' काराय नमः शिवायः॥
  अर्थ :- वशिष्ठ, आगस्ती, व गौतम इत्यादी महान ऋषि मुनींनी तसेच इंद्रादी देवदेवतांनी ज्यांच्या मस्तकाची पुजा केली आहे त्या 'व' कार स्वरूप शिवशंकराला माझा नमस्कार असो.
  श्लोक- यक्षस्वरूपाय जटाधराय पिनाकहस्ताय सनातनाय। दिव्याय देवाय दिगंबराय तस्मै 'य' काराय नमः शिवायः॥
  अर्थ :-  यक्षरूप धारण केलेल्या जटाधारी, ज्यांच्या हाती 'पिनाक' नावाचे धनुष्य आहे, व जे दिव्या सनातनी पुरुष आहे त्या दिंगबर देव 'य' कार स्वरूप शिवशंकराला माझा नमस्कार असो.
  श्लोक- पंचाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेत् शिव सन्निधौ। शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते॥
  अर्थ :- जो कोणी हा पवित्र पंचाक्षरी मंत्राचा जप भगवान श्री शिव शंकरा जवळबसून  करीन, तो शिवलोकी प्राप्त होऊन तेथे शिवशंकरा बरोबर आनंदी होईल.

|| इति श्रीशिवपंञ्चाक्षरस्तोत्रं संपुर्ण ||

 अनुवाद :- ✍

©Devanand Jadhav शिवपंचाक्षर स्तोत्र

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