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Ashpak Talikote
अठराशे च गणित. अठराशे च्या गणितावर हसले सारे जण सांगितलं तीनं खरं..दिसलं नाही का वो तिचं भोळेपण मांडत होती ती गणित वारंवार, त्या अठराशे वरती चालत असेल तिच संसार.. कष्टाला तिच्या तीला पैशात मोजता आलं नाही हसुन तिच्यावर तुमच्यात माणुसपण उरला नाही.. असेल मोजत ती पैसे बोटा वरती भरत असले ती पोट त्या अठराशे वरती हसून सगळे तुम्ही उडवली त्याची खिल्ली माय -माऊली तिथं ठेवून बघा ना आपली नोटा वरच गणित तिला समजलं नाही पण इथं अडाणी कोण हे कळालं नाही.. चुक ना पोरांची ,चुक ना त्या माऊली ची चुक ना त्या पैशांची..चुक आहे तिच्या निर्मळ मनाची सवय हो लागली आपल्याला भोळेपणावर हसण्याची.. पाचशे च्या तीन नोटा तिला कळले नाही पण संसार च गणित तिचं मोडल नाही.. पण इथं अडाणी कोण हे कळालं नाही.. ©®अशपाक तालीकोटे अठराशे च गणित. #अठराशे #मराठीकविता #कविता #अठराशे_गणित
अठराशे च गणित. #अठराशे #मराठीकविता #कविता #अठराशे_गणित #poem
read moreFarooq Farooqui
# कर दिया हम ने भी#इजहारे मोहब्बत# फोन पर~~~~~लाख रुपये#कि बात थी # एक रुपये मे हो गईं-----! रुपये
रुपये
read moreArchana Patel
खून-पसीना एक करो तब जाकर, रुपये मिलता है। और रूपये से ही , पेट भरता है। हे खुदा! तू रूपयों को तलाशने के लिए ही, इतनी परीक्षा क्यों लेता है। ©Archana Patel रुपये
रुपये #कोट्स
read moreManmohan Dheer
बुढ़िया सड़क पर दौड़ पड़ी कार का शीशा उतरवा के धर दिए हथेली पे उसके छुट्टे बचे दो रुपये.... . धीर दो रुपये
दो रुपये
read morePankaj Singh
जो मैं लिखूं, साजिशों के शिकार होनें की..... तो नोजोटो का ख्याल आता है...... कमबख्त दो दिन के साढे चार रुपये???? ©Pankaj Singh #साढे चार रुपये
ridhi sain
बचपन और शैतानी सभी की बचपन से जुड़ी कुछ खट्टी -मीठी यादे जरुर होती है। मेरा भी बचपन भी कुछ इनही खट्टी-मीठी यादो के साथ गुजरा है। ऐसा ही एक किस्सा है। जिसे जब भी याद करती हूँ ,मेरी हँसी छुट जाती हैं। तब मैं चौथी कक्षा में थी।मैं, मेरी बड़ी बहन और मेरी चचेरी बहन स्कूल से घर आ रहे थे।रास्ते में अचानक ही मेरी चचेरी बहन को एक घर के नाले के पास 30 रुपये मिले। उसने उठा लिए । अब कहते हैं न कि पैसै देख अच्छे अच्छो का इमान डोलने लगता है।हम तो फिर भी बच्चे थे। शरारती तो मैं थी ही। पैसे देखते ही मेरे मन मेंआया कि कैसे भी करके ये पैसै मैं ले लू। तो मैंने अपनी चचेरी बहन को कहा कि मैं आन्टी को कह दूँगी कि तूने नाली में से पैसे उठाये है।वो बड़ी भोली थी इतना सुनते ही उसने पैसे वापस फेंक दिये। उसे क्या पता कि मेरे दिमाग में क्या चल रहा है? उसके पैसे गिराते ही मैनै उठा लिये। अब बारी उसकी थी। उसने मुझसे कहा कि तूने मुझसे तो पैसे वापस गिरवा दिये, और खुद ने उठा लिये। मेरे पैसे मुझे वापस दो। मैनै कहा कि मैं क्यों दूँ? जब तुम्हें पैसे मिले तो तूने गिरा दिये। अब मुझे मिले तो मैंने उठा लिये। इस हिसाब से पैसे अब मेरे हो गये। इतना सुन उसका मन रुआँसा हो गया।उसको उदास देख मेरा दिल पिघला। मैंने उससे कहा,अच्छा ठीक है, मैं तुम्हें पैसे वापस दे दूँगी। लेकिन उसमें से दस-दस रुपये हम दोनों बहनो को देने होगे। उसने कहा ठीक है। तो इस तरह हम तीनों बहनो ने दस-दस रूपये आपस में बाँट लिये। हम तीनों अब बहुत खुश थे- चचेरी बहन अपने पैसे वापस पाकर बड़ी दी-बिना किसी मेहनत के पैसे पाकर और और सबसे ज्यादा मैं खुश क्योंकि -एक तो अपनी बहन को बेवकूफ बनाया दूसरा बिना मेहनत के पैसे कमा लिये। आज भी जब ये किस्सा याद करती हूँ मेरे चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। सच में बचपन के दिन भी क्या दिन थे?............. #तीस रुपये और मैं
Himanshu Prajapati
50 रुपये का यारी, 100 रुपये का पेट्रोल पड़ गया भारी..! ©Himanshu Prajapati 50 रुपये का यारी, 100 रुपये का पेट्रोल पड़ गया भारी..! #Funny