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Pt.Anuj Vajpayee
रुलाने की कोशिश अपने ही नहीं खुद की जिन्दगी ने भी की। पर मेरी मुस्कुराहट को गम हरा न सका।। ©Anuj Kumar अनुज
अनुज
read moreNONNY
कब कब कैसे धोखा मिला,,कुसूर किसका है ये भी याद नही। साल इतने बीत गए अनुज,,इंतज़ार जिसका है वो भी याद नही अनुज।
अनुज।
read moreanuj chandravanshi
#OpenPoetry दोस्ती एक ऐसा नाम एक ऐसा शब्द जो आजकल बिल्कुल पूरी तरह से खत्म हो चुका है सिर्फ यह कह सकते है कि यह मेरा दोस्त था या पुराना दोस्त है बाकी आजकल दोस्ती की इस दुनिया मे कोई भी अहमियत नही है कड़वा है मगर सत्य है अनुज 1
अनुज 1 #OpenPoetry
read moreanuj shukla
हार और जीत क्या हार क्या जीत, आज के दौर में हम सब, पास और फेल में फसे हैं दरअसल हम जिंदगी को जीना ही भूल गए हैं! हमें जिंदगी जीनी ही नही आती! कभी समय निकाल कर अपने बारे में भी सोचिये और मस्त होकर जिंदगी जीएं! #विचार#अनुज
विचारअनुज
read moreanuj chandravanshi
*पेड़ तो बचाये नही* इन बेचारो 🐥🦆🦅🐣🦇🦉के दिन रात मौत की गोद मे झूलने को विवश कर दिया *मानव* नाम के दानव ने अनुज 1
अनुज 1
read moreSaurabh Katara
अनुज तजुर्बे सब आखिर में सीखे हम छोटे हैं जनाब हमने कोई चांद पर पर्दा नहीं डाला थोड़ी थोड़ी बातें सभी से सीखी यूं ही नहीं हैं हम घर के सबसे छोटे लाला त्याग सीखा मैंने मैं यह अच्छी तरह मानता हूं क्युकी बड़ों के आने पर मैं अपनी कुर्सी छोड़ना जनता हूं अग्रज से कहना मेरा कि तुम्हारा तजुर्बा अभी फीखा है तुमने तो सिर्फ क्रिया से मैंने प्रत्यक्ष रूप से सीखा है अथाह,अनंत सागर का उजाला सा नीर हूं पय सम ठहरे तुम,मैं गोरस का क्षीर हूं तुम शैल सम धैर्यवान,मैं तुम्हारा धीर हूं समता में कम पर मैं वृहद गंभीर हूं एक सम्मान प्रदान का बीज मन में बोए रखता हूं एक पोठली है मेरे पास जिसमें सबकी डाट और प्यार संजोए रखता हूं उम्र सम ऑर्डर मिलते हैं अनेकों काम के गलतियां हम नहीं करेंगे तो छोटे ही किस नाम के इसलिए उठाई मैने अपनी कलम और लगाया अपना ध्यान क्युकी मैने भी ले रखा है अनुज का पायदान ©Saurabh Katara #surya अनुज
Saurabh Katara
अनुज तजुर्बे सब आखिर में सीखे हम छोटे है जनाब ,हमने कोई चांद पर पर्दा नहीं डाला थोड़ी थोड़ी बातें सभी से सीखी यूं ही नहीं है हम घर के छोटे लाला त्याग सीखा मैंने मैं यह अच्छी तरह मानता हूं क्युकी बड़ों के आने पर में अपनी कुर्सी छोड़ना जनता हूं अग्रज से कहना मेरा कि तुम्हारा तजुर्बा अभी फीखा है तुमने तो सिर्फ क्रिया से मैंने प्रत्यक्ष रूप से सीखा है अथाह,अनंत सागर का उजाला सा नीर हूं पय सम ठहरे तुम मैं गोरस का क्षीर हूं तुम शैल सम धैर्यवान,मैं तुम्हारा धीर हूं समता में कम पर में वृहद गंभीर हूं एक सम्मान प्रदान का बीज मन में बोए रखता हूं एक पोठली है मेरे पास जिसमें सबकी डाट और प्यार संजोए रखता हूं उम्र सम ऑर्डर मिलते हैं अनेकों काम के गलतियां हम नहीं करेंगे तो छोटे ही किस काम के इसलिए उठाई मैंने अपनी कलम और लगाया अपना ध्यान क्युकी मैंने भी ले रखा है अनुज का पायदान ©Saurabh Katara #dodil अनुज
Anuj singh
आपको और आपके पूरे परिवार को नवरात्रि दीपावली भैया दूज पर हार्दिक शुभकामनाएं अनुज सिंह यादव अनुज सिंह
अनुज सिंह
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