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Shravan Goud
जिंदगी में अकेले ही सब कुछ करने की कोशिश करो ताकि ज्यादा से ज्यादा खुद पर निर्भर रहने की आदत हो जाय। पराधीन व्यक्ति को सपने में भी सुख की कल्पना नही करनी चाहिए।
पराधीन व्यक्ति को सपने में भी सुख की कल्पना नही करनी चाहिए।
read moreSIDDHARTH VYAS
इंशान को हमेशा अपने सुख एबम् दुखो के लिए केवल खुद को जिम्मेदार मानना चाहिए क्योकि अगर हम इन जिम्मेदारियों के लिए भी आधीन हो जायेंगे तो कुछ समय मे हमे साँस लेने के लिए भी उनकी अनुमति की आवश्यकता होगी और किसी ग्रंथ मे लिखा है " पराधीन सपने हु सुख नाही " ©SIDDHARTH VYAS #पराधीन #meditation
Himanshu Prajapati
White समझत है तो करत नाहीं करत है तो होत नाहीं, होत है तो पसंद नाहीं पसंद है तो होत नाहीं, जिंदगी है तो जीयत नाहीं जीयत है तो जिंदगी नाही..! ©Himanshu Prajapati #flowers समझत है तो करत नाहीं करत है तो होत नाहीं, होत है तो पसंद नाहीं पसंद है तो होत नाहीं, जिंदगी है तो जीयत नाहीं जीयत है तो जिंदगी न
umesh prakash salunke
रोज दिवसभरात तुला विसरणं नाहीं होतं जी काय सुचतं नाहीं तुला सांगूं कस मी सारख उन्हात थांबवून चेहरा काळवंडून गेला जी......! तुला भेटल्या विना जीवात जीव येत नाही जी तुला बोलून ही कांही तरी बोलायचं राहील जी जीवनात आनंद पाहिचा तुझ्यात जी......! कसं गाऊ तुझं गोड कौतुक कसं सांगूं तुला नजरेत करती इशारा फिरायला घेऊन जायला धरती हट्टी दरारा माग वळून करु नकोस दुजोरा......! रोज सकाळच्या उगवत्या सूर्याला साक्ष देऊन लिहीत आहे तुझ्या मनात असणाऱ्या भाबड्या भावना जी......! तसा निजत नाही जी एक लिहिले आहे विधिलिखित ते एक डायरीच पान राहणार कोर जी तुम्हीच समजून जा मंग ते काय असेल जी........! रोज दिवसभरात तुला विसरणं नाहीं होतं जी
रोज दिवसभरात तुला विसरणं नाहीं होतं जी #poem
read moreNiraj Jha
मैंने उससे प्यार किया है,मिल्कियत का दावा नहीं... वो जिसके भी साथ है,मैं उसको भी अपना खास मानता हूँ..... ये इश्क़ है मेरा ,मिल्कियत नाहीं🖤🖤
ये इश्क़ है मेरा ,मिल्कियत नाहीं🖤🖤 #शायरी
read morePoet Shivam Singh Sisodiya
#OpenPoetry पराधीन नहिं सुख सपनेहूँ क्या आनंद स्वतंत्र का कहना | श्वान नहीं तू सिंह है यौवन फिर क्यों परबंधन में रहना || कह गए तिलक तो आज़ादी है जन्मसिद्ध अधिक हमारा | यदि स्वतंत्र रहने में दुःख है फिर भी वह दुःख सबसे प्यारा || पराधीनता में रहकर तो सुख सौभाग्य भी न सहना, पराधीन नहिं सुख सपनेहूँ क्या आनंद स्वतंत्र का कहना || शिवम् सिंह सिसौदिया बाल गंगाधर तिलक पराधीन नहिं सुख सपनेहूँ क्या आनंद स्वतंत्र का कहना | श्वान नहीं तू सिंह है यौवन फिर क्यों परबंधन में रहना || कह गए तिलक तो आज़ादी है जन्मसि
पराधीन नहिं सुख सपनेहूँ क्या आनंद स्वतंत्र का कहना | श्वान नहीं तू सिंह है यौवन फिर क्यों परबंधन में रहना || कह गए तिलक तो आज़ादी है जन्मसि #OpenPoetry
read moreमेरे ख़यालात.. (Jai Pathak)
भौतिक सुख के लिए बहुत उपद्रव है, कड़ी मेहनत और मानसिक अशांति है जिससे अल्प-कालिक सुख ही मिल पाता है परन्तु आत्मिक सुख के लिए किये गये प्रत्येक प्रयास मे ही ऐसा सुख छुपा है जो चिरकालिक है। ©Jai Pathak #सुख