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Romil Shrivastava
वो किस हुनरमंदी से ये सच्चाई छुपाती है कि जैसे सिसकियों का ज़ख्म शहनाई छुपाती है जो इसकी तह में जाता है वो फिर वापस नहीं आता नदी हर तैरनें वाले से गहराई छुपाती है ©Romil Shrivastava यूँ ही
यूँ ही
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White पत्ते पर लिखी वो शायरी इक बकरी खा गई... और..चर्चा पूरे शहर में रहा इक बकरी शेर खा गई! ©Romil Shrivastava यूँ ही
यूँ ही
read moreहिमांशु Kulshreshtha
फर्श पे गिर के बिखर पड़े हैं, फिर भी, मैं मायूस नहीं छोड़ो, उनको टूटना ही था, आखिर वो सपने ही तो थे तुमने ही जब गलत समझा, तो दिल टूटना ही था कोई होता गैर, दिल पे न लेता मैं अफ़सोस, तुम तो मेरे अपने थें ©हिमांशु Kulshreshtha बस यूँ ही..
बस यूँ ही..
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यूँ तो सब ठीक ही चल रहा था जिंदगी में फ़िर हुआ कुछ ऐसा तुम मिले मुझे और इश्क़ हो गया मुझे तुम से ©हिमांशु Kulshreshtha यूँ तो
यूँ तो
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White तुम्हारी राह में मिट्टी के घर नहीं आते इसीलिए तो तुम्हें हम नजर नहीं आते जिन्हें सलीका है तहजीब-ए-गम समझने का उन्ही के रोने में आंशू नजर नहीं आते ख़ुशी की आँख में आंशू की भी जगह रखना बुरे ज़मानें कभी किसी से पूछ कर नहीं आते ©Romil Shrivastava #sad_qoute यूँ ही
#sad_qoute यूँ ही
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White उसे हमसे मोहब्बत है... गलत फहमी में मत रहना ये बस दिल की शरारत है... गलत फहमी में मत रहना हमी को देख कर वो मुस्कुराता है, तो हैरत क्या है..? उसे हसनें की आदत है... गलत फहमी में मत रहना मैं तुझको चाहता हूँ बात ये सच है मगर फिर भी मुझे तेरी जरूरत है... तेरी गलत फहमी में मत रहना ©Romil Shrivastava #sunset_time यूँ ही
#sunset_time यूँ ही
read moreहिमांशु Kulshreshtha
अफ़सोस इतना गहरा नहीं कि सब कुछ मिटा देने को मन करे ना ही दुख इतना गहरा कि ख़ुद को पीड़ा पहुचा लूँ बस निष्प्रभ हूँ, डगमगाता , लड़खड़ाता सा कितने फ़ैसले जो मैंने लेना चाहे उन्हें लेने और ना लेने का खामियाजा भुगतता हुआ कभी सोचता हूँ अपने अकेलेपन में अगर ऐसा होता तो क्या होता अगर ये कर लिया होता तो क्या होता क्या ये होता.. या फिर..... इन्हीं सवालों में अक्सर उलझ जाता हूँ ©हिमांशु Kulshreshtha बस यूँ ही...
बस यूँ ही...
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White कहते हैं मरने के बाद सब खत्म पर…. सब खत्म नही होता यादें शेष रह जाती हैं रहेंगी मेरी यादें भी तुम भी महसूस करोगी मुझे मेरी कविताओं में तैरता रहूँगा तुम्हारी आँखों में सपना बन कर ©हिमांशु Kulshreshtha बस यूँ ही..
बस यूँ ही..
read moreहिमांशु Kulshreshtha
यूँ तो मुझे इश्क़ में कभी कोई दिलचस्पी रही नहीं… लेकिन….. मेरी शायरी का सबसे अज़ीज़ किरदार है “वो” ….!!!! ©हिमांशु Kulshreshtha यूँ तो...
यूँ तो...
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