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Indrapal Maurya Kunal
ये मेरा युद्ध है! मेरे ही विरुद्ध है! लड़ना भी खुद ही को है, लड़ना भी खुद ही से है। न हाथ में हथियार हैं! न मुझ पे गैरों का वार है। न जिस्म पर कोई जख्म है! पर रूह जार-जार है। ये मेरा युद्ध है! मेरे ही विरुद्ध है! सब प्रथा मै तोड़ दूं! या खुद को यूं ही तन्हा छोड़ दूं। ये रीत है, कुरीतियों की। इन से निकलने में ही जीत है। खुद से खुद का युद्ध है! खुद के ही विरुद्ध है!!!! ...............🏵🏵🌼🌼 ©Indrapal Maurya Kunal #Books positive life quotes shayari on life
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read moreSuprith Suprith
King Virat Kohli..... Indian Cricketer 🗿❤️🔥 wbest motivational thoughts wmotivational thoughts images wmotivational thoughts on life
read moreBalwant Mehta
डगमगाया हूं पर हारा नहीं, सियासत का खेल है, सारा यही। जीत कर भी मुकाम जो पाया नहीं, एक कदम पीछे, पर दिल घबराया नहीं। कुर्सी की जंग में चली चाल नई, सत्ता के संग दोस्ती भी बेमायनी। नेता जी ने झुककर दिखा दी मिसाल, जनता की खातिर किया हर सवाल। राजनीति में ऊंच-नीच का है खेल, कभी जीत का ताज, कभी हार का मेल। पद पीछे सही, मगर हौसला वही, नेता जी का जज्बा, मिसाल बनी। ©Balwant Mehta #maharashtra #Politics
Bharat Bhushan pathak
White सुन प्राण प्रणेता प्रतिवेदन, तुम आज यही स्वीकार करो। कष्टों का ना अनुबंधन हो, निवेदन अभी स्वीकार करो।। दुख की छाया कभी न घेरे, बस सुख ही वर्षण केवल हो। कंटक जग में छू भी जाए, तो मरहम वाला संबल हो।। ©Bharat Bhushan pathak on life best
on life best
read moreAli Rashid Hasrat
तुम गरीब हो धर्म का झंडा उठा कर क्या कर लोगे अमीर होते तुम या रोजगार से जुड़े होते तो शायद सड़को पर नही होते और कभी ना झंडा उठाये,तपती धूँप मे झूलस्ते हुये होते नारे लगाते हुये, गले को फाड़ कर कभी ना प्यासे होते धहाड़ी मजदूर से भी कम मे यूँ खुद को ना सताये होते नशे की लत होगी ज़रूर ही तभी तो सब झेल गये यूँ एक अपनी "तलब" के लिये खुद को खतरे मे डाल गये ये तलब होगी शायद दिमाग मे भरे गौबर की तुम मरो कटो सड़को पर वो ठंडक ले AC की चलो अब आता हुं उस श्र्णी पर जो सम्पन्न है मगर सत्ता का लोभ उसे है उसे सत्ता का टट्टू बनना है और समाज मे एक रौब कायम करना है अब इन्हे चन्दे से गरीबो की भीड़ जुटाना है àऔर खुद की गाड़ी पर एक सत्ताधारी झंडा लगाना है कौन है वो जिनके लिये तुम बारूद के ढ़ेर पर हो तुम मे भर कर धर्म की चिंगारी खुद कुर्सी पर ये शेर है सड़को पर तुम्हे उतार कर खुद क्यूँ ज़मी पर नही आते तुम्हे शिकार बना कर ये सत्ता की रोटी खाते किस को किस से डर किस का मजहब खतरे में कौंन बताये कौन तय करे कौन सही पर मौन है तुम्हारे मन मे भरे ये मैल दुसरे धर्म के लिये खुद पीते साथ मे कोफी जायें शादियो मे एक साथ और खाये साथ मे कीमा बौटी तुम्हारे लिये सिर्फ है इन्होने दी है वैधानिक चेतवानी खतरे मे हो तुम ऐसा डरा कर ही इन्हे मिलेगी सत्ता की चाशनी -जय हिन्द ©Ali Rashid Hasrat #Politics