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अपरिग्रह की अनिवार्य आवश्यकता जिसकी लोभ-भावना जितनी तीव्र होगी वह उतना ही अधिक संग्रह करने का संकल्प रहेगा। संग्रह कर सकेगा या नहीं यह व्यक्ति की अपनी तथा समाज की तात्कालिक परिस्थितियों पर निर्भर है। यदि वह विवशता अथवा शक्तिहीनता के कारण जितना चाहता है उतना संग्रह नहीं कर सकता, परन्तु उसकी लोभ-भावना बनी रहती है, तो उसे अपरिग्रह नहीं कहा जा सकता। आज जो वस्तु नहीं मिल सकती वह कल मिल सकती है, अतः जो विवशता से वस्तु को छोड़ता है, वह बाधा हट जाने पर संग्रह की तरफ और भी अधिक तीव्रता से बढ़ता है। किन्तु जो साधन होते हुये भी स्वेच्छा से संग्रह की लोभ-भावना का शान्त करके वस्तु का त्याग करता है, वही वास्तविक अपरिग्रही है। -”नैतिकता की ओर” अपरिग्रह
अपरिग्रह
read moreरामानंद संन्यासी
मुस्कान का कोई मोल नहीं होता, अपनी अनावश्यक आवश्यकता का परित्याग करें ,ताकि कोई और अपनी आवश्यक आवश्यकता की पूर्ति कर सके ।। ,,क्योकि मुस्कान का कोई मोल नहीं होता ,,,,,,,।। अपरिग्रह
अपरिग्रह
read moreParasram Arora
भिखारी की जिंदगी भी कितनी मज़ेदार और मधुर होती है..... लेकिन इसका अहसास तmब तक नहीं. किया जा सकता ज़ब तक ऐसा भिखारीपन.हम जी नहीं लेते वो भिखारी किसी बगीचे की जीर्ण बेंच पर या फिर किसी असतबल के विराने मे रात गुजारने का अभ्यासी हो जांता है. वो भिखारी ख्वाब देखने मे पूरी रूचि रखता है. लेकिन एक बेहतर भिखारी बनने के लिए दिन भर गर्मी धूप मे पैदल चलने का पूरा अभ्यास करते हुए अपने स्वास्थ्य का संतुलन भी बनाये रखता है.....lएक शहर से दूसरे शहर पहुंचने के लिए पुलिस की नज़रो से खुद क़ो बचा कर रखने मेवो पारंगत है अगला भोजन उसे कब मिलेगा कहा से मिलेगा इसकी फ़िक्र वो नहीं करता है अपने भिक्षावृति के इस धंधे मे तिरस्कृत होने पऱ भी कभी दुखी नहीं होता....संचय प्रवर्ती उसमे नहीं होती क्योंकि अपरिग्रह की परिभाषा वो अच्छे से समझता है ©Parasram Arora एक भिखारी और उसका अपरिग्रह
एक भिखारी और उसका अपरिग्रह
read moreRahul Shastri worldcitizens2121
Safar July 10,2019 सत्संग का अर्थ होता है गुरु की मौजूदगी! गुरु कुछ करता नहीं हैं, मौजूदगी ही पर्याप्त है। ओशो सत्संग का अर्थ
सत्संग का अर्थ
read moreARVIND KUMAR
विचार --------------------- जिन्दगी का हर एक छोटा हिस्सा ही, हमारी जिदंगी की सफलता का बड़ा हिस्सा होता है ! ©Arvind Kumar सफलता का अर्थ!
सफलता का अर्थ!
read moreनागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)
जीवन का अर्थ ..........…........... इस पृथ्वी पर मानव आता है, जीता है,चला जाता है। लेकिन जीने का अर्थ कम ही लोग समझ पाते हैं। जिस जीवन में दया,क्षमा,परोपकार न हो उसका कोई अर्थ नहीं होता।त्याग भी जीवन का एक अभिन्न अंग है। लेकिन समय, काल और परिस्थिति के अनुसार कब किसका त्याग करना उचित होगा इसका भी ज्ञान होना बहुत जरूरी है। सुमार्ग पर चलना,कल्याणकारी काम करना ही जीवन का अर्थ होता है। ©नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।) # जीवन का अर्थ।
# जीवन का अर्थ।
read moreAman Baranwal
मिट्टी का जिस्म और आग सी ख्वाहिशें, खाक होना लाजमी है, क्योंकि आदमी आखिर आदमी है! जीवन का अर्थ
जीवन का अर्थ
read moredivya...
इश्क़ आज भी है मगर राधा- कृष्ण जैसा नहीं ... होगे एक - आध भी उनके जैसे अगर... तो उनको चैन का जीवन नहीं... लोगो को प्रेम का हर दस्तूर झुटा लगता है... क्योंकि उन्होंने कभी किसी से .... सच्चा प्रेम किया ही नहीं... प्रेम का अर्थ...
प्रेम का अर्थ...
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