Find the Latest Status about हाथों से from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, हाथों से.
नवनीत ठाकुर
वक्त की रेत हाथों से यूँ फिसलती रही, हर पल में एक नई तलाश, जीने की राह चली। छोटी सी जिंदगी, एक बड़ी सी दास्तान बन गई, कुछ खोने के बाद ही, उसकी असली कीमत समझी हमने। वक्त ने सब कुछ छीन लिया, पर बहुत कुछ सिखा भी दिया, हर ख्वाब के पीछे, गहरे दर्द का ग़म छुपा हुआ मिला। वक्त ने छीना, मगर आईना भी साफ़ दिखा गया, जो मिला था, उसे संभालना हमें सिखा गया। ©नवनीत ठाकुर #वक्त की रेत हाथों से यूँ फिसलती रही, हर ख्वाब के पीछे, गहरे दर्द का ग़म छुपा हुआ मिला।
#वक्त की रेत हाथों से यूँ फिसलती रही, हर ख्वाब के पीछे, गहरे दर्द का ग़म छुपा हुआ मिला।
read morepramod malakar
@ हाथों में तलवार थाम लो @ चलो जागो उठो निकलो , हाथों में तलवार थाम लो । तुम्हारा सनातन ख़तरे में है , यही सच है तुम मान लो । कांग्रेस,सपा,राजद और , झामूमो का साथ छोड़ दो। जो धर्म विरोधी है देश विरोधी, उसका राह मोड़ दो। दुनिया से हिन्दू खत्म, पाकिस्तान में हिन्दू खत्म , बंगलादेश में खून बह रहा है। चलो जागो उठो निकलो , हाथों में तलवार थाम लो । कल औरंगजेब बाबर ने मंदिर तोड़ा, आज पाकिस्तान बंगलादेश में टूट रहा है। नहीं जागे तो तुम्हारा खत्म होना तय है, हो रहा भारत इस्लाम मय है । वक्त कम है खून गर्म करो , दिल कठोर करो नहीं नर्म करो। चलो जागो उठो निकलो , हाथों में तलवार थाम लो ।। #################### प्रमोद मालाकार ... 26.11.24 ©pramod malakar #हाथों में तलवार थाम लो ।
हाथों में तलवार थाम लो ।
read moreAnant Nag Chandan
उठा तो लूंगा मैं सूरज को भी अपने इन हाथों से मगर डर है रोशनी से कहीं लोग जल ना जाएं। –अनंत ©Anant Nag Chandan उठा तो लूंगा मैं सूरज को भी अपने इन हाथों से मगर डर है रोशनी से कहीं लोग जल ना जाएं। –अनंत
उठा तो लूंगा मैं सूरज को भी अपने इन हाथों से मगर डर है रोशनी से कहीं लोग जल ना जाएं। –अनंत
read moreSawan Sharma
White जब सवेरा हो, तो दिखे चेहरा तेरा तस्वीर में नहीं, अपने पास में तेरी आवाज़ जाए सबसे पहले कानो में जागू तो मिले उंगलियां तेरे बालो में उलझी हुई जिन्हें सहलाते हुए रात मुझे नींद आ गई थी जीवन की कुछ इच्छाओं में एक इच्छा ये भी है। बाहर निकल कर कमरे से तेरे हाथ की चाय मिले चीनी हो उसमें थोड़ी थोड़ी प्रेम की मिठास हो संवरने लगे जाने को ऑफिस मैं देखु तुझे संवरते हुए दराज़ से निकाले तू झुमके मैं पहना दु अपने हाथों से जीवन की कुछ इच्छाओं में एक इच्छा ये भी है। मैं सारा दिन घर रहकर प्रेम की किताबें लिखू शाम को घर आते ही चाय तुझे तैयार मिले थकान मिटाने दिन भर की घर आते ही गले लगे फ़िर हम दोनों साथ बैठकर वो प्यार से बनी चाय पीये जीवन की कुछ इच्छाओं में एक इच्छा ये भी है। ©Sawan Sharma जब सवेरा हो, तो दिखे चेहरा तेरा तस्वीर में नहीं, अपने पास में तेरी आवाज़ जाए सबसे पहले कानो में जागू तो मिले उंगलियां तेरे बालो में उलझी हु
जब सवेरा हो, तो दिखे चेहरा तेरा तस्वीर में नहीं, अपने पास में तेरी आवाज़ जाए सबसे पहले कानो में जागू तो मिले उंगलियां तेरे बालो में उलझी हु
read moreबेजुबान शायर shivkumar
हुस्न-ए-बेनजीर के तलबगार हुए बैठे हैं, उनकी एक झलक पाने को बेकरार हुए बैठे हैं ।। उनके नाजुक हाथों से सजा पाने के कितनी सदियों से हम गुनाहगार हुए बैठे हैं ।। ©बेजुबान शायर shivkumar हुस्न-ए-बेनजीर के तलबगार हुए बैठे हैं, उनकी एक #झलक पाने को #बेकरार हुए बैठे हैं ।। उनके #नाजुक हाथों से #सजा पाने के कितनी सदियों से