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Himanshu Prajapati
ना समझ आया, ना समझाया गया, हम मोहब्बत की गलियों में भटकते रहे, दिल जुड़ा दिल टूटा, पर ये क्यों हुआ ना बताया गया..! ©Himanshu Prajapati #lovetaj ना समझ आया, ना समझाया गया, हम मोहब्बत की गलियों में भटकते रहे, दिल जुड़ा दिल टूटा, पर ये क्यों हुआ ना बताया गया..! #36gyan #hpstra
Himanshu Prajapati
White मोहब्बत का दस्तूर मेरे साथ ऐसा हुआ ग़ालिब, मुझे लगा एक दिन वो जरूर लौट कर आएंगी, पर कमबख्त क्या पता था की हाथों में अपने शादी का कार्ड लाएगी...! बस ऐसे ही मैं चकनाचूर हो गया, मोहब्बत की गलियों से दूर हो गया..! ©Himanshu Prajapati #good_night मोहब्बत का दस्तूर मेरे साथ ऐसा हुआ ग़ालिब, मुझे लगा एक दिन वो जरूर लौट कर आएंगी, पर कमबख्त क्या पता था की हाथों में अपने श
#good_night मोहब्बत का दस्तूर मेरे साथ ऐसा हुआ ग़ालिब, मुझे लगा एक दिन वो जरूर लौट कर आएंगी, पर कमबख्त क्या पता था की हाथों में अपने श
read moreHimanshu Prajapati
White मोहब्बत की गलियों से बस आना जाना था मेरा, कोई एक हसीना चुपके-चुपके मुझसे एक तरफा मोहब्बत बेमिसाल कर बैठी..! ©Himanshu Prajapati #love_shayari मोहब्बत की गलियों से बस आना जाना था मेरा, कोई एक हसीना चुपके-चुपके मुझसे एक तरफा मोहब्बत बेमिसाल कर बैठी..! #36gyan #hpstra
#love_shayari मोहब्बत की गलियों से बस आना जाना था मेरा, कोई एक हसीना चुपके-चुपके मुझसे एक तरफा मोहब्बत बेमिसाल कर बैठी..! #36gyan hpstra
read moreFuck off nojoto
उस से कहियो कि दिल की गलियों में , रात दिन तेरी इंतिज़ारी है .. हिज्र हो या विसाल हो कुछ हो , हम हैं और उस की यादगारी है .. ©Arshu.... उस से कहियो कि दिल की गलियों में रात दिन तेरी इंतिज़ारी है हिज्र हो या विसाल हो कुछ हो हम हैं और उस की यादगारी है Sethi Ji प्रज्ञा Ritu
उस से कहियो कि दिल की गलियों में रात दिन तेरी इंतिज़ारी है हिज्र हो या विसाल हो कुछ हो हम हैं और उस की यादगारी है Sethi Ji प्रज्ञा Ritu
read moreAnant Nag Chandan
रूह खोई हुई है बनारस की गलियों में, जिस्म भटक रहा रांची की सड़कों में। अनंत ©Anant Nag Chandan रूह खोई हुई है बनारस की गलियों में, जिस्म भटक रहा रांची की सड़कों में। अनंत
रूह खोई हुई है बनारस की गलियों में, जिस्म भटक रहा रांची की सड़कों में। अनंत
read moreRabindra Kumar Ram
White " इक ख़्याल हम से भी हैं तुम हो जो कहीं मुकर रहे , तुम्हें अंदाजा हैं कोई इस तरह , रुख तो किया मैंने तेरे गलियों का , इक तुम हो जो दरीचों पे नज़र नहीं आ रहे . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " इक ख़्याल हम से भी हैं तुम हो जो कहीं मुकर रहे , तुम्हें अंदाजा हैं कोई इस तरह , रुख तो किया मैंने तेरे गलियों का , इक तुम हो जो दरीचों पे
" इक ख़्याल हम से भी हैं तुम हो जो कहीं मुकर रहे , तुम्हें अंदाजा हैं कोई इस तरह , रुख तो किया मैंने तेरे गलियों का , इक तुम हो जो दरीचों पे
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