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Shivani Verma
White स्थापना - शिवानी वर्मा राम नाम का जप करो ये थे पुरूषोत्तम त्यागी वही बनो तुम शंकर जैसे भस्म करदो त्रिनेत्रो से जब बात हो स्त्री पे भारी। बनो तुम रघुकुल के राजा राम और बनो कैलाशी भोले भंडारी करो स्त्री को इतना सक्षम की दुरी बना कर रखे दुराचारी। हो सद्भावना इतनी की जूठा भी तुम्हें स्वीकार्य हो पर प्रेम, मिठास और धैर्य आदर, सम्मान की ही बात है। भूल जाओ दुनिया को तुम शिव की भाती जब पार्वती के तुम साथ हो मत भूलो मात पिता की आज्ञा भले ही तुम्हारे जीवन में संन्यास हो। रक्षक बनो धर्म के, सत्य के, विजय के भले ही कथिन प्रयास हो स्वाभिमान को सर्वोपरि रखो तुम जाने तुम कितनों की ही आस हो। ©Shivani Verma स्थापना - ©शिवानी वर्मा (myself) #Shiva #creative #writer #Original #Hindi #ram #shiv #sita #Parvati #ShivaniVerma Kapil Nayyar neeraj V
Jansurajharnaut
2 अक्टूबर 2024 को जन सुराज स्थापना अधिवेशन में आप सादर आमंत्रित हैं।#jansuraaj #digitalyoddha शायरी मोटिवेशनल मोटिवेशनल कोट्स फॉर स्टूडेंट्स
read moreMohanbhai आनंद
White अपना कहकरआप,फिर ग़ैर समझते हो गैराना ताल्लुकात हे, फिर क्यु उलझते हौ बेहाल आखे हिसाब मांगती है अश्कों का गोरे गाल पर रोज़ फिर क्यु बरसते हो खुले आसमान में,चांद से मिलाकर आंखें, हुस्नकी नज़ाकत,फिर क्यूं चुराया करते हो बैताब इस दिलमे बहुत तमन्नाएं बसी है, उम्मीदों का बाजार खुला फिर क्यूं रखते हो खाक और मीट्टीमे, कुछ भी फर्क कहां है? फिक्र ज़िंदगीमे बेफिजूल ,फिर क्यूं करते हैं आसान कहां है ?फरमाएं इश्क़ मिज़ाज, हकीकी मैं हाल ए दिल फिर क्यूं मचलते हो ©Mohanbhai आनंद #GoodMorning अपना कहकरआप,फिर ग़ैर समझते हो गैराना ताल्लुकातमे फिर क्यु उलझते हौ बेहाल आखे हिसाब मांगती है अश्कों का गोरे गाल पर रोज़ फि
#GoodMorning अपना कहकरआप,फिर ग़ैर समझते हो गैराना ताल्लुकातमे फिर क्यु उलझते हौ बेहाल आखे हिसाब मांगती है अश्कों का गोरे गाल पर रोज़ फि
read moreFuck off nojoto
सोचता हू अपनी ख्वाहिशों को समेट दू , गठरी मे भरके , दिल के कोने मे रख दू , पर ख्वाहिशों के परिंदे उड़ान चाहते हैं , जीने के लिए खुला आसमान चाहते हैं .... ©Arshu.... सोचता हू अपनी ख्वाहिशों को समेट दू , गठरी मे भरके , दिल के कोने मे रख दू , पर ख्वाहिशों के परिंदे उड़ान चाहते हैं , जीने के लिए खुला आसमान
सोचता हू अपनी ख्वाहिशों को समेट दू , गठरी मे भरके , दिल के कोने मे रख दू , पर ख्वाहिशों के परिंदे उड़ान चाहते हैं , जीने के लिए खुला आसमान #Shayari
read moreSarfaraj idrishi
रात को जानबूझकर रखता हूँ दरवाज़ा खुला.. शायद कोई लुटेरा मेरा गम भी लूट ले. ©Sarfaraj idrishi #Darknight रात को जानबूझकर रखता हूँ दरवाज़ा खुला.. शायद कोई लुटेरा मेरा गम भी लूट ले. life quotes in hindi Sushant Singh Rajput sad shayari
#Darknight रात को जानबूझकर रखता हूँ दरवाज़ा खुला.. शायद कोई लुटेरा मेरा गम भी लूट ले. life quotes in hindi Sushant Singh Rajput sad shayari #Life #Chauhan
read moreHimanshu Prajapati
White रात में हनुमान चालीसा सुनने के बाद.. भूत पिशाच निकट नहिं आवै, आवै नींद सुबह आंख खुला ना पावै..! ©Himanshu Prajapati #Sad_Status रात में हनुमान चालीसा सुनने के बाद.. भूत पिशाच निकट नहिं आवै, आवै नींद सुबह आंख खुला ना पावै..!
#Sad_Status रात में हनुमान चालीसा सुनने के बाद.. भूत पिशाच निकट नहिं आवै, आवै नींद सुबह आंख खुला ना पावै..! #विचार
read moreN S Yadav GoldMine
White गीता ४।६){Bolo Ji Radhey Radhey} 'अपनी प्रकृतिको अधीन करके अपनी योगमायासे प्रकट होता हूँ।' प्रभु का शरीर अनामय है, अर्थात् सारे रोग और विकारों से रहित दिव्य है। हमारा जन्म सुख-दु:ख भोगने के लिये हुआ करता है; परन्तु प्रभु साधुओं की रक्षा, दुष्टों का नाश और धर्म की स्थापना करने के लिये युगो-युगो, में प्रकट होते हैं। वे अपनी दिव्य विभूतियों के सहित योग माया से अवतरित होते हैं। भक्ति के द्वारा देखे और जाने जाते हैं। अब भी भक्ति द्वारा भगवान् प्रकट हो सकते हैं। भगवान् ने कहा भी है- भक्त्या त्वनन्यया शक्य अहमेवंविधोऽर्जुन। ज्ञातुं द्रष्टुं च तत्त्वेन प्रवेष्टुं च परंतप॥ ©N S Yadav GoldMine #kargil_vijay_diwas गीता ४।६){Bolo Ji Radhey Radhey} 'अपनी प्रकृतिको अधीन करके अपनी योगमायासे प्रकट होता हूँ।' प्रभु का शरीर अनामय है, अर्
#kargil_vijay_diwas गीता ४।६){Bolo Ji Radhey Radhey} 'अपनी प्रकृतिको अधीन करके अपनी योगमायासे प्रकट होता हूँ।' प्रभु का शरीर अनामय है, अर् #मोटिवेशनल
read moreAnjali Singhal
"हर रास्ता खुला रखो उम्मीद के इंतजार में। हसरतें तो कम नहीं होती जाती हुई बहार में।।" #AnjaliSinghal #Shayari nojoto
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