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नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर चाहा था हासिल, वो हासिल न हो सका, ख़्वाबों का काफ़िला, मुक़म्मल न हो सका। मंज़िल की आरज़ू में सफ़र तो किया बहुत, जज़्बात का सम

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चाहा था हासिल, वो हासिल न हो सका,
ख़्वाबों का काफ़िला, मुक़म्मल न हो सका।

मंज़िल की आरज़ू में सफ़र तो किया बहुत,
जज़्बात का समंदर, साहिल न हो सका।

ज़ख़्मों ने मुझे सीखा दिया सब्र का हुनर,
पर दर्द था जो, दिल से ज़ाहिर न हो सका।

हर ग़म को सीने से लगाया ख़ुशी समझ,
मगर वो, हक़ीक़तों में क़ाबिल न हो सका।

अरमान थे चाँद छूने के, मगर ऐ दिल,
जो पास था भी, वो हासिल न हो सका।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
चाहा था हासिल, वो हासिल न हो सका,
ख़्वाबों का काफ़िला, मुक़म्मल न हो सका।

मंज़िल की आरज़ू में सफ़र तो किया बहुत,
जज़्बात का सम

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर सौ बरस की आरज़ू, पल में ढह गई, ज़िंदगी की ये कश्ती, लहरों में बह गई। ख्वाब जो संजोए थे, वो पल में बिखर गए, सफ़र का हिसाब करने स

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सौ बरस की आरज़ू, पल में ढह गई,
ज़िंदगी की ये कश्ती, लहरों में बह गई।

ख्वाब जो संजोए थे, वो पल में बिखर गए,
सफ़र का हिसाब करने से पहले ही गुज़र गए।

बरसों बरस का सामान किस काम आएगा,
जब मौत का फरिश्ता पल में बुलाएगा।

जिंदगी को समझने में उम्र गुजर गई,
और मौत ने आते ही कहानी बदल गई।

साजो-सामान क्या, ये तख़्तो-ताज क्या,
पल भर की है जिंदगी, फिर ये आज क्या।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
सौ बरस की आरज़ू, पल में ढह गई,
ज़िंदगी की ये कश्ती, लहरों में बह गई।
ख्वाब जो संजोए थे, वो पल में बिखर गए,
सफ़र का हिसाब करने स

#Mr.India

कई रोज़ से जिंदगी की रवानी में गुम सा हूं, ख़्वाब अधूरे हैं, हकीक़त से भी ख़फा हूं। सुबह का सूरज अब फीका सा लगता है, शाम का चाँद भी ब

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White कई रोज़ से जिंदगी की रवानी में गुम सा हूं,  
ख़्वाब अधूरे हैं, हकीक़त से भी ख़फा हूं।  
सुबह का सूरज अब फीका सा लगता है,  
शाम का चाँद भी बस धोखा सा लगता है।  

मंज़िलें जैसे कहीं दूर खड़ी रह गईं,  
खुद की ख़्वाहिशें दिल में ही दफन हो गईं।  
कभी उड़ने की चाहत ने आसमान मांगा,  
आज जीने की आरज़ू ने एक ठिकाना मांगा।  

हर कदम गिन रहा हूं, हर सांस टटोल रहा हूं,  
खुद से खुद को ही जाने क्यों तोल रहा हूं।  
दुनिया बदलने की चाह लेकर निकला था,  
आज अपने हिस्से का चैन भी खो रहा हूं।  

दिल कहता है थम के किसी छांव में बैठूं,  
बिखरे अरमानों को फिर से जोड़ने का हौसला बटोरूं।  
चलो, कहीं दूर एक मोड़ तलाशते हैं,  
जहां ख्वाहिशें और सपने को फिर से बचपन की तरह संवारते है..!!

©#Mr.India  कई रोज़ से जिंदगी की रवानी में गुम सा हूं,  
ख़्वाब अधूरे हैं, हकीक़त से भी ख़फा हूं।  
सुबह का सूरज अब फीका सा लगता है,  
शाम का चाँद भी ब

मिहिर

White जब देखता हूं तुम्हें 
क्या मैं तुम्हे ही देखता हूं !!
या जब तुम कहते हो कुछ
क्या मैं तुम्हे ही सुनता हूं 
ना....….... 
सच है ये की
तुम में भी खुद को ही ढूंढता हूं
सच है ये की
तुम से भी वही सुनना है 
जो है मेरे ही मन की आवाज है
सच हैं ये की
अन्दर और बाहर भी
खुद से खुद को ही ढूंढने की कश्मकश है
खुद से खुद को ही मिल पाने की आरज़ू है !

©मिहिर #आरज़ू
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